20 जनवरी 2025 को देश की दो अदालतों ने दो अहम फैसले सुनाए…
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- केरल की नेय्याट्टिनकारा कोर्ट ने शेरोन राज मर्डर केस में ग्रीष्मा को अपने बॉयफ्रेंड की हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई। इसके साथ ही ग्रीष्मा केरल की सबसे कम उम्र की मौत की सजा पाने वाली महिला बन गई।
- पश्चिम बंगाल की सियालदाह कोर्ट ने कोलकाता रेप-मर्डर केस के दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि पीड़िता के परिवार ने संजय के लिए मौत की सजा की मांग की थी।
इन दोनों ही मामलों में पीड़ित की दर्दनाक मौत हुई, लेकिन कोर्ट ने केरल मर्डर केस को ही ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ यानी ‘दुर्लभतम से भी दुर्लभ’ मामला माना।
आखिर जहर देकर बॉयफ्रेंड की हत्या करने पर मृत्युदंड और डॉक्टर से रेप-मर्डर के दोषी को सिर्फ उम्रकैद की सजा क्यों दी, रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्या है और क्या ग्रीष्मा फांसी से बच पाएगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: केरल कोर्ट ने शेरोन राज मर्डर केस में क्या फैसला सुनाया? जवाब: 20 जनवरी को केरल की नेय्याट्टिनकारा एडिशनल सेशन कोर्ट के जज ए. एम. बशीर ने कन्याकुमारी की रहने वाली ग्रीष्मा को मौत की सजा सुनाई। 24 साल की ग्रीष्मा को IPC की 4 धाराओं के तहत सजा हुई…
- धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में मृत्युदंड।
- धारा 364 के तहत 10 साल का कठोर कारावास।
- धारा 328 के तहत 5 साल का कठोर कारावास।
- धारा 203 के तहत 2 साल का कारावास।
- इसके अलावा 2 लाख रुपए का जुर्माना।
दरअसल, 2022 में ग्रीष्मा ने तिरुवनंतपुरम के परसाला में रहने वाले 23 वर्षीय बॉयफ्रेंड शेरोन राज की जहर देकर हत्या की थी। इस हत्याकांड में ग्रीष्मा की मां सिंधु और चाचा निर्मलकुमारन को सह-आरोपी बनाया गया। चाचा निर्मलकुमारन को IPC की धारा 201 के तहत 3 साल की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई। मां सिंधु के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने पर उन्हें बरी कर दिया गया।
20 जनवरी 2025 को नेय्याट्टिनकारा में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय के बाहर ग्रीष्मा को को ले जातीं महिला पुलिस अधिकारी।
20 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा,
इस हत्या से समाज में यह संदेश गया है कि एक लड़की अपने प्रेमी से रिश्ता टूटने के बाद उसे आसानी से मार सकती है। इससे प्रेमी और दोस्तों में दहशत फैल गई है।
सवाल-2: ग्रीष्मा ने बॉयफ्रेंड शेरोन का मर्डर क्यों किया? जवाब: 2021 में ग्रीष्मा और शेरोन की मुलाकात एक बस में सफर के दौरान हुई थी। कन्याकुमारी के एक प्राइवेट कॉलेज में ग्रीष्मा इंग्लिश लिटरेचर और शेरोन रेडियोलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे। करीब एक साल तक दोनों रिलेशनशिप में रहे, लेकिन मार्च 2022 में ग्रीष्मा के परिवार ने उसकी शादी एक मिलिट्री ऑफिसर से तय कर दी। ग्रीष्मा शादी के लिए तैयार हो गई।
शादी तय होने के बाद ग्रीष्मा और शेरोन के बीच झगड़े शुरू हो गए और शेरोन ने ब्रेकअप से मना कर दिया। ग्रीष्मा को डर लगने लगा कि कहीं शेरोन रिलेशनशिप के बारे में उसके मंगेतर को न बता दे।
शेरोन के साथ ग्रीष्मा।
केरल के न्यूज ब्रॉडकास्टर मातृभूमि की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीष्मा की कुंडली में दोष था कि उसके पहले पति की कम उम्र में मौत हो जाएगी। इस वजह से ग्रीष्मा ने शेरोन को पति मानकर उसे जान से मारने की साजिश रची।
विशेष सरकारी वकील वी.एस. विनीत कुमार ने कोर्ट में कहा,
ग्रीष्मा, शेरोन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करना चाहती थी, क्योंकि ग्रीष्मा के परिवार ने केरल के एक अन्य व्यक्ति के साथ उसकी शादी तय कर दी थी।
सवाल-3: ग्रीष्मा ने शेरोन को जान से मारने की साजिश कैसे रची? जवाब: ग्रीष्मा ने शेरोन को जहर देने के लिए ऑनलाइन स्टडी की। ग्रीष्मा ने पहले पैरासिटामॉल की गोलियों वाला पानी शेरोन को पिलाया, लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। इसके बाद ग्रीष्मा ने शेरोन को फलों के जूस में गोलियां मिलाकर पिलाईं। इससे भी शेरोन पर असर नहीं हुआ। ऐसे में ग्रीष्मा ने गूगल पर जहर के बारे में रिसर्च शुरू की। वी.एस. विनीत कुमार ने कोर्ट में डिजिटल सबूत भी पेश किए।
सरकारी वकील वी. आर. विनीत कुमार ने कहा कि डिजिटल सबूतों से साबित हुआ कि ग्रीष्मा ने पैरासिटामॉल की जानलेवा खुराक का पता लगाने के लिए कई बार गूगल पर सर्च किया था।
14 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा का परिवार घर में नहीं था। उसने शेरोन को अपने घर मिलने के लिए बुलाया। सुबह करीब 10:30 बजे ग्रीष्मा ने शेरोन को एक आयुर्वेदिक दवा पीने को दी, जिसमें जहर मिला था। दवा कड़वी थी, इसलिए शेरोन को कुछ अजीब नहीं लगा।
जहर देने के कुछ घंटे पहले ग्रीष्मा ने इंटरनेट पर खोजा कि इंसान के शरीर पर इस जहर का क्या असर होता है? ग्रीष्मा को पता चला कि पैराक्वाट की 15 मिलीग्राम की खुराक जानलेवा होती है। ग्रीष्मा के चाचा निर्मलकुमारन ने उसे पैराक्वाट खरीदकर दिया।
सवाल-4: 11 दिन तड़पने के बाद शेरोन की मौत कैसे हुई? जवाब: 14 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा के घर से निकलने के बाद शेरोन की तबीयत खराब होने लगी थी। शेरोन परसाला के सरकारी अस्पताल गया, जहां से उसे तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया। ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल होने के कारण शेरोन को डिस्चार्ज कर दिया गया।
अगले दिन यानी 15 अक्टूबर 2022 को शेरोन की हालत खराब होने लगी। उसे दोबारा तिरुवनंतपुरम अस्पताल में एडमिट कराया गया। इस बार शेरोन की ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल नहीं थी। उसे ICU में शिफ्ट किया गया।
शेरोन के इंटरनल ऑर्गन डैमेज हो चुके थे। 10 दिन तक उसका इलाज चला। इस दौरान शेरोन के अंदरूनी अंग सड़ते रहे। वो पानी तक नहीं पी पाता था।
11वें दिन, यानी 25 अक्टूबर को शेरोन के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद शेरोन को दिल का दौरा आया और उसकी मौत हो गई।
20 जनवरी 2025 को अदालत में शेरोन राज के भाई शिमोन राज (बाएं) और मां प्रिया (बीच में)।
सवाल-5: इसका खुलासा कैसे हुआ और ग्रीष्मा ने कोर्ट से क्या रियायत मांगी? जवाब: मौत से पहले शेरोन ने अपने दोस्त से कहा था कि ग्रीष्मा ने उसे धोखा दिया है और जहर देकर मारने की कोशिश की है। इसके बाद शेरोन के परिवार ने ग्रीष्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
31 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा को गिरफ्तार कर लिया। निर्मल कुमारन और सिंधु को सबूत मिटाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, सितंबर 2023 में ग्रीष्मा को जमानत मिल गई।
मुकदमे के दौरान कोर्ट में ग्रीष्मा की ओर से 3 बातें कही गईं…
- कम उम्र की वजह से उसे कम सजा मिलनी चाहिए।
- पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उसे सुधार का मौका मिलना चाहिए।
- इकलौती बेटी होने के कारण उसके साथ नरमी बरतनी चाहिए।
कोर्ट ने इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, ‘ग्रीष्मा ने बहुत सोच-समझकर शेरोन की हत्या की। उसे पूरी सजा मिलनी चाहिए।’
सजा सुनाए जाने के बाद दोषी ग्रीष्मा को अट्टाकुलंगरा की महिला जेल और सुधार गृह ले जाया गया।
सवाल-6: केरल कोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ क्यों कहा? जवाब: जज ए.एम. बशीर ने ग्रीष्मा को सजा सुनाते हुए इस केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ बताया। ‘रेयरस्ट ऑफ रेयर केस’ का मतलब बेहद घिनौने, क्रूर और हिंसक मामलों से है। किसी भी केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ कहने के लिए कोर्ट 2 तरह की तुलना करता है…
1. क्राइम टेस्ट इस टेस्ट से यह तय किया जाता है कि जुर्म कितना गंभीर है और क्या ये किसी प्लानिंग के तहत किया गया है। इसके आधार पर सजा तय की जाती है। क्राइम टेस्ट मौत या उम्रकैद जैसी सख्त सजा के फैसले में मदद करता है।
कोर्ट का तर्क: ग्रीष्मा ने शेरोन को मौत से पहले भयानक तरीके से दर्द पहुंचाया। ये जुर्म इतनी क्रूरता से किया गया कि शेरोन को 11 दिनों तक एक घूंट पानी भी नहीं मिल पाया। इससे आरोपी के ‘क्रूर मकसद’ का पता चलता है।
2. क्रिमिनल टेस्ट इस टेस्ट में जुर्म करने की परिस्थितियों को देखा जाता है, जो जुर्म की गंभीरता तय करने और सजा में नरमी बरतने की वजह बनती हैं। क्रिमिनल टेस्ट में आरोपी की परिस्थितियों या खास हालात की वजह से जुर्म की गंभीरता कम आंकी जा सकती है और दोषी की सजा कम हो सकती है।
कोर्ट का तर्क: ग्रीष्मा के मेंटल और इमोशनल डिस्टरबेंस का कोई सबूत नहीं मिला। इस वजह से उसे कोई रियायत नहीं दी जा सकती। उसे सुधारा नहीं जा सकता।
जज ए. एम. बशीर ने कहा,
कोई महिला अपने प्रेमी या पति के प्यार में रहते हुए उसकी जान नहीं ले सकती। इस केस में महिला ने पीड़ित को कई बार जान से मारने की कोशिश की। इसलिए दोषी को दया का हकदार नहीं माना जा सकता। मैं यही मानता हूं कि आरोपी का यह अपराध क्रूर और शैतानी है।
सवाल-7: कोलकाता रेप-मर्डर केस की तरह ग्रीष्मा को सजा में राहत क्यों नहीं मिली? जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘कोलकाता रेप-मर्डर केस और केरल मर्डर केस दो अलग मामले हैं। कोर्ट ने कोलकाता केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी’ में नहीं रखा था। इस वजह से कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि, वह केस भी बहुत ज्यादा क्रूर और भयानक था। जूनियर डॉक्टर के परिवार वाले ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ केस की कैटेगरी में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं।’
कोलकाता रेप-मर्डर केस में कोर्ट ने कहा, ‘मॉडर्न जस्टिस के जमाने में ‘आंख के बदले आंख’ या ‘जीवन के बदले जीवन’ जैसी सोच से ऊपर उठना होगा। हमारा कर्तव्य न्याय की गहरी समझ के जरिए मानवता को ऊपर उठाना है। कोर्ट को जनता के दबाव या इमोशनल अपील के आगे नहीं झुकना चाहिए।’
आरोपी संजय सिविक वॉलंटियर था। उसे पुलिस ने 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था। तस्वीर उसी दिन की है।
अश्विनी दुबे कहते हैं कि केरल मर्डर केस बहुत सोची-समझी साजिश थी। इसमें पीड़ित को क्रूरता के साथ तड़पाकर मारा गया। इसमें शेरोन ग्रीष्मा को प्यार करता था और उस पर बहुत भरोसा करता था। जबकि कोलकाता केस में आरोपी संजय रॉय और पीड़िता के बीच कोई रिश्ता नहीं था। इसलिए केरल केस को ज्यादा गंभीर मानकर ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ कहा गया होगा, वहीं ग्रीष्मा के साथ नरमी नहीं बरती गई।
सवाल-8: क्या ग्रीष्मा फांसी से बच सकती हैं? जवाब: ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस’ के तहत, जब किसी व्यक्ति को हत्या या गंभीर अपराध के लिए फांसी की सजा दी जाती है, तो उसके पास बचने के कुछ कानूनी रास्ते होते हैं। ग्रीष्मा के मामले में फैसला जिला अदालत ने सुनाया है। फांसी से बचने के लिए वह केरल हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है।
अश्विनी दुबे बताते हैं, ‘अगर मामला हाईकोर्ट में जाता है तो ग्रीष्मा को यह साबित करना पड़ेगा कि सजा अत्यधिक कठोर है या अपराध के सभी पहलुओं को सही तरीके से नहीं समझा गया।’
फांसी से बचने के लिए दो अन्य तरीके भी हैं…
1. न्यायिक पुनर्विचार कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद दोषी पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है। ये याचिका हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाती है, जहां फिर से मामले की जांच होती है। इस दौरान अगर कोई कानूनी गलती मिली, तो सजा को बदला जा सकता है।
2. राष्ट्रपति से दया याचिका फांसी की सजा मिलने के बाद दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकता है। इसमें राष्ट्रपति से अपील की जाती है कि कोर्ट के फैसले को दया या मानवता के आधार पर बदला जाए। राष्ट्रपति केस को देख कर सजा कम कर सकते हैं या बदल सकते हैं।
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रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा
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