‘पाकिस्तान में पानी की कमी है, ऐसी स्थिति में सिंधु नदी जल समझौता रद्द होने से पाकिस्तान के लोग सदमे में हैं। पहलगाम आतंकी हमले से दोनों देशों के बीच संबंध खराब होने से पूरे दक्षिण एशिया पर असर हो रहा है। कहां तो हमें अपने रिश्ते सुधारने की तरफ बढ़ना
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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के रहने वाले ताहिर नईम अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं। वे मानते हैं कि भारत से रिश्ते खराब होने का पाकिस्तान पर बुरा असर होगा। वे कहते हैं कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद झेल रहा है। पहलगाम हमले से पाकिस्तानी भी खुश नहीं हैं।
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर 5 बड़े फैसले किए हैं। इनमें सिंधु जल संधि स्थगित करने, अटारी चेक पोस्ट बंद करने और वीजा रद्द करने जैसे फैसले हैं। इसके जवाब में 24 अप्रैल को पाकिस्तान ने भी द्विपक्षीय समझौते रद्द करने की बात कही और वाघा बॉर्डर बंद कर दिया। इसके बाद से भारत और पाकिस्तान से लोग अपने देश लौट रहे हैं।
हमने इन फैसलों को लेकर भारत और पाकिस्तान के लोगों से बात की। दोनों तरफ के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये फैसले साफ संदेश हैं कि भारत और पाकिस्तान के संबंध अपने इतिहास में सबसे खराब दौर में हैं। 1965 और 1971 की जंग और मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद भी दोनों देशों के संबंध इतने खराब नहीं हुए थे।

45 दिनों का वीजा था, 10 दिन में ही लौटना पड़ा पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान आए लोग अपने देश लौट रहे हैं। अब तक भारत से 28 पाकिस्तानी नागरिक अपने देश लौट चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान से 105 भारतीय भी लौट आए हैं। कराची से आए दिल्ली में अपने दोस्त की गमी में आए मंसूर भी दिल्ली से लौट गए हैं। दिल्ली से रवाना होने से पहले पहलगाम आतंकी हमले पर वे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए था। जो हुआ गलत हुआ।’
मंसूर भारत की ओर से की गई सख्ती को भी ठीक नहीं मानते हैं। वे कहते हैं, ‘पाकिस्तान भारत से अच्छे रिश्ते चाहता है और भारत भी पाकिस्तान से अच्छे रिश्ता ही चाहता है।’
दिल्ली में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए कराची के शेख फैजल अहमद भी अब पाकिस्तान लौट गए हैं। जाने से पहले वे कहते हैं, हम 15 अप्रैल को भारत आए थे। हमारा 45 दिन का वीजा था लेकिन हमें इन सबकी वजह से उससे पहले ही लौटना पड़ रहा है।

पाकिस्तानी बोले- पहलगाम हमला गलत सबसे पहले हमने पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ताहिर नईम से बात की। ताहिर इस्लामाबाद में रहते हैं। पढ़िए पूरी बातचीत…
पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान में लोग क्या सोच रहे हैं? पहलगाम में हमले के बाद पहली बार ऐसे हुआ, जब पाकिस्तान में लोग वहां की तस्वीरें देखकर दुखी हैं। कोई इसका जश्न नहीं मना रहा है। साउथ एशिया में आतंकवाद को लेकर लोगों की समझ बढ़ी है। पहलगाम में जान गंवाने वाले नेवल अफसर की स्टोरी सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान में भी वायरल है कि कैसे अभी उनकी शादी हुई थी और 8वें दिन ही उन्हें मार दिया गया।

हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठकर पाकिस्तान में लोग ये दर्द महसूस कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये गलत हुआ। पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित रहा है। बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर आतंकी हमला हुआ, तब भारत में भी इसे लेकर सहानुभूति दिखी थी।
हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर 5 बड़े फैसले किए। उस पर पाकिस्तान के लोग क्या सोचते हैं? भारत ने फैसले काफी जल्दबाजी में और एकतरफा लिए हैं। भारत को पाकिस्तान से जवाब तलब करना चाहिए था। वो जांच की मांग कर सकते थे। वो इसमें थर्ड पार्टी को भी शामिल करने की बात कर सकते थे। भारत और पाकिस्तान मिलकर बलूचिस्तान और कश्मीर दोनों में हुए आतंकी हमलों को लेकर बात कर सकते थे।
कश्मीर में आर्टिकल-370 हटाए कई साल हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद से कुछ नहीं हुआ। पाकिस्तान में भी लोगों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के संबंध नॉन स्टेट एक्टर्स ( जिनका किसी देश या राज्य विशेष से संबंध ना हो) के हाथों में चले गए हैं। अगर ये नॉन स्टेट एक्टर कोई गतिविधि करते हैं तो दोनों सरकारें आपस में लड़ने लगती हैं।

इंडिया का म्यूजिक, फिल्में, ट्रैवलॉग, क्रिकेट टीम उनके पाकिस्तान में मिलियंस फॉलोअर्स हैं, मुझे लगता है कि इंडिया में भी ऐसा ही है।
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया, इसका क्या असर होगा? दोनों देशों में कई सारे बिछड़े परिवार रहते हैं, जो अपने परिवारों से मिलने दूसरे देश जाते हैं। पाकिस्तान में बहुत सारे हिंदू हैं, जो भारत अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते रहते हैं। सिंध में बहुत सारे ऐसे हिंदू परिवार रहते हैं, जो अपने रिश्तेदारों से मिलने भारत जाते रहते हैं। ऐसे में अब इनका जाना मुश्किल हो जाएगा।

‘पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख खत्म’ भारत और पाकिस्तान के बीच बने मौजूदा हालात को लेकर हमने विजय नांबियार से भी बात की। वे पूर्व भारतीय राजदूत हैं और पाकिस्तान में 2000-2001 तैनात रहे हैं। वे यूनाइटेड नेशंस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे हैं।
क्या मान लिया जाए कि भारत और पाकिस्तान के संबंध पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं? भारत ने पाकिस्तान को लेकर जो 5 फैसले लिए हैं, उनकी भाषा बहुत सधी हुई है, लेकिन इसका असर सख्त है। भारत-पाकिस्तान संबंधों का ये सबसे लो पॉइंट है। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। पाकिस्तान में शीर्ष पद पर बैठे लोग जिस तरह के बयान दे रहे हैं, इससे साफ है कि भारत-पाकिस्तान के संबंध इतिहास के सबसे खराब दौर में हैं।

अब भारत के पास आखिरी एक ही विकल्प बचता है- पाकिस्तान से पूरी तरह रिश्ते खत्म कर देना, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वो सही फैसला होगा।

संबंध पूरी तरह खत्म हो जाएं ऐसा नहीं है, ये कहानी का अंत नहीं पाकिस्तान में भारतीय राजदूत रह चुके अजय बिसारिया से भी हमने बात की। वो पुलवामा हमले के वक्त पाकिस्तान में तैनात थे और तब उन्हें तत्काल भारत बुला लिया गया था।
2019 में पुलवामा अटैक के बाद जो भारत का रिएक्शन था, इस बार का रिएक्शन कितना अलग है? भारत सरकार ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में जो कूटनीतिक फैसले लिए गए हैं, वो पहले से जताए जा रहे अनुमान के मुताबिक हैं। खासतौर जब इस तरह का बड़ा आतंकी हमला होता है। जब पुलवामा का हमला हुआ था, तब मैं पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त में तैनात था। पुलवामा हमले के बाद मुझे पाकिस्तान से वापस दिल्ली बुलाया गया था। उस वक्त भारत पाकिस्तान के बीच कारोबार को बंद करने के फैसला लिया गया था।
भारत में लोगों में जो गुस्सा है, उसे देखते हुए एक्शन लेना जरूरी हो गया था। उसी के तहत ये फैसले लिए गए थे। भारत-पाकिस्तान के बीच अब संबंध पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। ये कहानी का अंत नहीं है। अभी कुछ और भी फैसले किए जा सकते हैं।

सिंधु नदी जल समझौते को रद्दे करने का पाकिस्तान पर कितना असर होगा, जमीन पर इससे क्या बदलेगा? सिंधु नदी जल समझौता रद्द किए जाना नजरिए (ऑप्टिक्स) के लिहाज से बड़ा फैसला है, लेकिन इसका क्या असर होगा, वो आगे देखना होगा। भारत पाकिस्तान के बीच चार बार जंग हो चुकी है। कई बार आतंकी हमले हो चुके हैं। उसके बावजूद ये समझौता रद्द नहीं किया गया। भारत ने इस फैसले से बता दिया है कि भारत हमले को लेकर बहुत गंभीर है।
सिंधु नदी जल समझौते में भारत कमांडिंग पोजिशन पर है। हमारी संधि की वजह से ही पाकिस्तान में सिंधु का पानी जाता है।

ऐसे बड़े आतंकी हमलों के बाद भारत के पास क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं? ऐसे मामलों में तीन तरह के एक्शन लिए जाते हैं।
1. द्विपक्षीय स्तर (भारत-पाकिस्तान के बीच) पर लिए जाते हैं, भारत ने जो फैसले अभी लिए हैं वो इसी के तहत हैं। अब तक पूरी तरह पाकिस्तान से संबंध खत्म नहीं हुए हैं, अब भी कुछ दरवाजे खुले हैं।
2. हम दूसरे देशों को साथ लेकर पाकिस्तान को कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए घेरेंगे।
3. मिलिट्री एक्शन भी होता है, जो हमने उरी और बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में देखा था।

भारत के पास अब ज्यादा डिप्लोमैटिक विकल्प नहीं, मिलिट्री एक्शन ही रास्ता भारत-पाकिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर हमने JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर और डिप्लोमैटिक एक्सपर्ट डॉ राजन कुमार से भी बात की।
सिंधु नदी जल समझौते को रद्द करना आप कितना बड़ा फैसला मानते हैं? सिंधु रिवर वाटर ट्रीटी रद्द करना भारत के पांचों फैसलों में से सबसे अहम है। सिंधु नदी जल संधि 1960 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय हुई थी। ये समझौता वर्ल्ड बैंक की निगरानी के तहत हुआ था। भारत पाकिस्तान के बीच कई युद्ध और दिक्कतें होने के बाद भी ये समझौता कभी रद्द या स्थगित नहीं किए गए।
इस संधि से ज्यादा फायदा पाकिस्तान को होता रहा है। पूरे इलाके का 70% पानी पाकिस्तान को जाता है, भारत के पास 30% पानी बचता है।

क्या सिंधु नदी जल समझौता पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है? भारत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान सीमा पार आतंक का समर्थन बंद कर दे, तो इसे स्थगन पर फिर से विचार किया जा सकता है। पाकिस्तान ऐसा करे, इसकी उम्मीद बहुत कम है। अगर पाकिस्तान कहता कि वो जांच में समर्थन करेगा या फिर कार्रवाई करेगा, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया।

रूस, अमेरिका, चीन, EU के जरिए भारत पाकिस्तान पर कैसे दबाव बना सकता है? रूस का पाकिस्तान पर प्रभाव नहीं है, तो रूस ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है। अगर अमेरिका चाहे तो पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है। अमेरिका पाकिस्तान को अब भी मिलिट्री वेपन की सप्लाई करता है, उसमें रोक लगाने से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा।
शांधाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन में पाकिस्तान और भारत दोनों हिस्सा हैं, भारत वहां मुद्दा उठा सकता है।

बाकी दुनिया में जो दूसरे बहुपक्षीय मंच हैं, जैसे- UN में बहुत कुछ होने की उम्मीद नहीं है। वो बयान जारी करके निंदा करेगा, लेकिन उससे ज्यादा कुछ करने की उम्मीद कम है।
भारत के बाद इसके बाद आखिरी डिप्लोमैटिक विकल्प क्या बचेगा? भारत के पास इसके बाद ज्यादा डिप्लोमैटिक विकल्प नहीं बचते हैं। अब मिलिट्री एक्शन का ही विकल्प बचता है। द्विपक्षीय स्तर पर जो भारत को करना था, वो कर चुका है। मुद्दे को बहुपक्षीय मंचों पर ले जाने से कोई खास फायदा नहीं होता और मुद्दा भटक जाता है। इसलिए अब कूटनीतिक तौर पर भारत के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
भारत बलूचिस्तान मुद्दे को गंभीरता के साथ उठा सकता है। वहीं, एक विकल्प Pok को वापस लेने की बात कर सकता है, लेकिन इस पर चीन आड़े आने लगता है। अब तक भारत ने जो फैसले किए हैं, वो सही हैं और यही सही सोची समझी रणनीति है।
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22 अप्रैल की दोपहर करीब 2 बजे, जगह- कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी। देश के अलग-अलग राज्यों से 40 से ज्यादा लोगों का ग्रुप यहां घूमने आया था। सभी टूरिस्ट खुले मैदान में थे। आसपास ही 4 से 5 छोटी-छोटी दुकानें हैं। कुछ टूरिस्ट दुकानों के बाहर लगी कुर्सियों पर बैठ गए। कुछ टूरिस्ट आसपास मैदान में बैठे थे। पढ़िए पूरी खबर…