‘हम देख रहे हैं हर जगह मस्जिद पर मंदिर का दावा हो रहा है। हमसे मस्जिद छीनी जा रही है। इसीलिए हम आंदोलन कर रहे थे। इसमें बाहर का कोई संगठन शामिल होने नहीं आया था। ये सब बदमाश लोगों ने किया है।’
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मोहम्मद कमर बशीर मुर्शिदाबाद में रतनपुर सुलिताला के रहने वाले हैं। 11-12 अप्रैल को हुई हिंसा को लेकर वो जांच चाहते हैं, ताकि पता चल सके कि कैसे वक्फ बिल के विरोध में शुरू हुए छोटे-छोटे प्रदर्शन हिंसा में बदल गए। मुर्शिदाबाद में हिंसा हुए दो हफ्ते बीत गए, लेकिन प्रभावित इलाकों में तनाव बरकरार है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ये तनाव और बढ़ गया है।
मुर्शिदाबाद में हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। प्रभावित इलाकों में रहने वाले हिंदू परिवार अब भी जान को खतरा बता रहे हैं। वहीं मुस्लिम परिवारों का कहना है कि उन्हें डराया जा रहा। हालात ये हैं कि मुर्शिदाबाद के हिंदू इलाकों में TMC के लोकल लीडर्स की एंट्री बंद है। उन्हें देख कर लोग घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं।
हिंसा में 3 लोगों की जान गई और करीब 109 मकानों को नुकसान पहुंचा है। 350 से ज्यादा लोगों को मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा जाने पर मजबूर होना पड़ा। सभी ने मालदा के परलालपुर हाई स्कूल में शरण ले रखी थी। हालांकि हिंसा के एक हफ्ते बाद 20 अप्रैल को आखिरी 25 परिवार भी घर लौट आए हैं।
हिंसा के मामले में पुलिस अब 100 से ज्यादा FIR दर्ज कर चुकी है। 276 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा के दो हफ्ते बाद दैनिक भास्कर की टीम मुर्शिदाबाद के प्रभावित इलाकों हाल जानने ग्राउंड जीरो पर पहुंची।

हिंसा के बाद हिंदू मोहल्ले का हाल… शमशेरगंज में रोज हो रहे प्रदर्शन, TMC की एंट्री बैन सबसे पहले हम शमशेरगंज के जाफराबाद गांव पहुंचे। यहां सुरक्षा को लेकर हिंदू परिवारों का प्रदर्शन अब भी जारी है। यहां के लोगों ने हिंसा में मारे गए हरगोबिंद दास (72) और उनके बेटे चंदन दास (40) के लिए इंसाफ की मांग करते हुए रैली निकाली। इसमें 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। लोगों के हाथ में ‘वी वॉन्ट जस्टिस’ और ‘राष्ट्रपति शासन चाहिए’ जैसे पोस्टर ले रखे थे।
प्रदर्शन में शामिल निर्मला घोष कहती हैं, ‘हम चाहते हैं कि मोहल्ले में केंद्रीय सुरक्षा बल (CSF) तैनात रहे। वो ये जगह परमानेंट अपनी सिक्योरिटी में ले। मुसलमानों ने हमारे घर जला दिए। इतनी तबाही मचाई। हमें ममता बनर्जी की योजनाएं नहीं चाहिए। हम चाहते हैं कि यहां BSF का कैंप लगवाया जाए।’

शमशेरगंज के जाफराबाद गांव में सुरक्षा को लेकर हिंदू परिवारों का प्रदर्शन अब भी जारी है।
यहीं मिले लोकल जर्नलिस्ट नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘यहां रोज प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस कोशिश कर रही है कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएं और दुकानें खुलने लगें। यहां रोज BJP नेता या कार्यकर्ता आ रहे हैं। वही यहां के लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम भी कर रहे हैं।’

यहां हिंदुओं के इलाके में BJP ने अच्छी पकड़ बना ली है। यहां के लोग TMC के नेताओं को गांव में घुसने तक नहीं दे रहे।
‘हिंसा के बाद यहां TMC MP समीउल इस्लाम, खलीलुर रहमान, MLA (शमशेरगंज) अमीरुल इस्लाम और धुलियन म्युनिसिपल्टी के उपाध्यक्ष सुमित साहा पहुंचे थे। इन्होंने प्रभावितों से बात करने की भी कोशिश की, लेकिन लोगों ने घर के दरवाजे बंद कर दिए।’
इधर, धूलियान और आसपास के इलाकों में दुकानें खुलने लगी हैं। राजकुमार दास यहां इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाते हैं। वे कहते हैं, ‘केंद्रीय सुरक्षा बल के सहारे से आज दो हफ्ते बाद हम अपनी दुकान खोल पा रहे हैं। हम चाहते हैं कि धीरे-धीरे सब के काम-धंधे शुरू हो सकें। कभी तो फोर्स यहां से जाएगी। इसलिए यहां डर अब भी बना हुआ है।‘

मुस्लिम इलाके का हाल… हिंसा के पीछे कोई संगठन नहीं, अचानक जुटी भीड़ ने माहौल बिगाड़ा मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर सुकांत मजूमदार ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि हिंसा का ऐलान लाउडस्पीकर से किया गया था। हालांकि, मोहल्ले के लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
लाउडस्पीकर वाले बयान पर लक्शीपुर में रहने वाले रफीकुल इस्लाम कहते हैं, ‘इस पूरे मामले को BJP और RSS ने हाईजैक कर लिया है। ये उसी का नतीजा है। हालांकि, वे लोग जो कह रहे हैं, वो सब गलत है। मैं इमाम हूं। हमने अपने हर इमाम भाई को यही बोला है कि वक्फ के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध ही होना चाहिए।’
रफीकुल हिंसा का दिन याद करते हुए कहते हैं, ‘उस दिन अचानक लोगों की भीड़ जमा हो गई। इस भीड़ ने ही माहौल हिंसक बना दिया। इसमें ज्यादातर लड़के 18 से 20 साल के थे। ऐसा पहली बार हुआ कि भीड़ का कोई नेतृत्व नहीं कर रहा था। इतनी भीड़ कहां से आ गई, हमें ये भी नहीं पता।’

रतनपुर सुलिताला में रहने वाले मोहम्मद कमर बशीर बताते हैं, ‘वक्फ बिल को लेकर यहां कोई मीटिंग नहीं हुई थी। आस-पास के हर गांव में छोटे-छोटे आंदोलन हो रहे थे। हम वक्फ कानून के बारे में हम रोज टीवी पर देख रहे हैं। मुसलमानों को डर है कि हमारे मस्जिद और मदरसे खत्म हो जाएंगे।’
‘हिंसा वाले दिन सभी छोटे ग्रुप एक साथ आ गए। शायद पुलिस को इसकी उम्मीद नहीं थी। जैसे-जैसे मार्च आगे बढ़ा, लोग बढ़ते गए। पुलिस इन्हें कंट्रोल नहीं कर सकी और भगदड़ जैसे हालात पैदा हो गए। पुलिस और आंदोलनकारियों में हुई झड़प की वजह से ही हिंसा भड़की।’
वे आगे कहते हैं, ‘यहां कोई संगठन काम नहीं करता है। ना ही आंदोलन में बाहर से कोई संगठन शामिल होने आया था। यहां कुछ बदमाश लोगों ने हिंसा की। इसकी जांच होनी चाहिए।’

डर के चलते घर से निकलना मुश्किल, न पैसे बचे न राशन धूलियान में रहने वाले मोहम्मद मुजिबुर प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘हमारे इलाके में सिक्योरिटी फोर्सेज आकर घोषणा करती हैं कि घर से बाहर न निकले। बच्चों को भी घर से न निकलने दिया जाए। ये सब कहकर हमें डराया जा रहा है, ताकि लोग घर से बाहर न निकल पाएं।’
‘हमारी ये हालत हो गई है कि हम काम तक पर नहीं जा पा रहे हैं। हम रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं। हम रात को चैन से सो भी नहीं पा रहे। सुबह से लेकर रात तक हमारे इलाके में डर का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसे कहा जा रहा कि जैसे कोई भी गिरफ्तार हो सकता है।’
‘हिंसा में दोनों पक्षों के लोग मारे गए लेकिन जो भी नेता और अधिकारी आ रहे हैं, वो सिर्फ हिंदुओं के घर जा रहे हैं।’

धूलियान में ही हमें मस्जिद से निकल रहे महताब अंसारी मिले। वो इलाके के माहौल के बारे में बताते हैं, ‘मस्जिद में कभी कोई मीटिंग नहीं हुई। न उस दिन लाउडस्पीकर से कुछ कहा गया। हिंसा खुद-ब-खुद भड़की। इसमें कौन लोग शामिल थे, इसका पता पुलिस को लगाना चाहिए।’
‘उस दिन भीड़ दुकानें तोड़ रही थी। घरों और गाड़ियों में आग लगा दी गई। हम भी बहुत डर गए थे। अब स्थिति सुरक्षा बलों के हाथ में है, लेकिन रात में डर लगता है। हिंसा के बाद भी कहीं-कहीं वक्फ को लेकर प्रदर्शन चल रहा है। इस वजह से हम अब भी सिर्फ नमाज पढ़ने के लिए ही घर से निकलते हैं।’
‘हमारा पैसा और राशन खत्म हो रहा है। दुकानें बंद हैं। सामान लूट लिया गया।’

यहीं रहने वाले शम्सू जम्मान इलाके के माहौल से तो डरे ही हुए हैं। उनका मानना है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव और बढ़ गया है।
वे कहते हैं, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। वो इंसानियत के दुश्मन हैं, लेकिन हमले का असर पूरे देश में दिख रहा है। हम मुसलमानों को आतंकवादी समझा जा रहा है। हम मुसलमानों ने हिंदू भाइयों के साथ मिलकर देश को आजाद कराया था। फिर भी हमें ये डर सता रहा है कि हम ये भाईचारा और कितने दिन बरकरार रख पाएंगे।
हिंसा के मामले में 100 से ज्यादा FIR, 276 लोग गिरफ्तार हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT ने 21 अप्रैल को ओडिशा के झारसुगुड़ा से 16 लोगों को गिरफ्तार किया। मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद ये सभी झारसुगुड़ा जाकर छिपे थे। पुलिस ने हिंसा के मामले में जियाउल हक समेत उसके दोनों बेटों सफाउल हक और बानी इसराइल को गिरफ्तार कर लिया है। इन पर हिंसा भड़काने का आरोप है।
पश्चिम बंगाल पुलिस STF और SIT ने मिलकर जॉइंट ऑपरेशन चलाया। अधिकारियों ने CCTV फुटेज और मोबाइल टावर रिकॉर्ड बरामद किए। इनसे क्राइम सीन पर इनकी मौजूदगी की बात कंफर्म हुई।
इसके अलावा हिंसा में मारे गए हरगोबिंदो दास और चंदन दास की हत्या मामले में पुलिस ने कालू नादर, दिलदार, इंजमाम उल हक को मुराराई और जियाउल शेख को अरेस्ट किया है। पुलिस ने बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़ी 100 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं। इसमें अब तक 276 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

11-12 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज में दुकानों और मकानों में तोड़फोड़ की गई और कई जगहों पर आग लगा दी गई।
मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहास मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है।
दिसंबर, 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दीं
2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई।

पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे।
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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…