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Noida University Student Rape Case Explained | Allahabad High Court | आज का एक्सप्लेनर: शराब पार्टी के बाद छात्रा से रेप, हाईकोर्ट ने पीड़िता को जिम्मेदार बताकर आरोपी को दी जमानत; क्या है कानून और सजा


अगर पीड़ित के रेप के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था और वो रेप के लिए खुद ही जिम्मेदार भी है। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने ये कहते हुए रेप के आरोपी

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क्या है पूरा मामला, कोर्ट ने क्यों कहा छात्रा ही रेप के लिए जिम्मेदार है और इस फैसले का क्या इम्पैक्ट होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: नोएडा की छात्रा के साथ रेप का मामला क्या है? जवाब: 23 सितंबर 2024… नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में MA की छात्रा ने सेक्टर 126 के पुलिस थाना में रेप केस दर्ज कराया। इसमें छात्रा अपने साथ हुई पूरी घटना बताई…

  • 21 सितबंर 2024 को छात्रा अपने दोस्तों के साथ नोएडा से दिल्ली घूमने गई। वे हौज खास के द रिकॉर्ड रूम बार रेस्टोरेंट में पहुंचे, जहां उसकी 2 सहेलियों के साथ 3 लड़के भी आए थे। इनमें निश्चल चांडक भी शामिल था।
  • रात के 3 बजे तक बार में सभी ने पार्टी की और शराब पी। ज्यादा शराब पीने की वजह से छात्रा को काफी नशा हो गया, जिस कारण उसे सहारे की जरूरत थी। तभी निश्चल ने उसे अपने साथ चलने को कहा।
  • निश्चल के बार-बार कहने पर छात्रा साथ चलने के लिए तैयार हो गई। दोनों बार से निकल गए। रास्ते भर निश्चल ने उसे गलत तरीके से छुआ।
  • छात्रा ने निश्चल से नोएडा वाले घर चलने को कहा, लेकिन वो उसे गुरुग्राम में एक रिश्तेदार के फ्लैट ले गया। यहां आरोपी ने छात्रा के साथ 2 बार रेप किया।

छात्रा के शिकायत दर्ज कराने के 79 दिन बाद 11 दिसंबर 2024 को निश्चल की गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने निश्चल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा 64 के तहत मामला दर्ज किया। इस धारा के तहत रेप करने पर कम से कम 10 साल की जेल या उम्रकैद की सजा मिलती है। इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है।

सवाल-2: आरोपी निश्चल ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए क्या दलीलें दीं? जवाब: आरोपी निश्चल चांडक ने केस की इन्वेस्टिगेशन के दौरान जमानत मांगी। इसके लिए उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। निश्चल की ओर से सीनियर एडवोकेट विनय सरन और एडवोकेट बलबीर सिंह ने केस लड़ा। दोनों वकीलों ने जज के सामने निश्चल के बचाव में 4 बड़ी दलीलें दीं…

  1. पीड़िता ने खुद स्वीकार किया है कि वह बालिग है और पीजी हॉस्टल में रहती है। वह अपनी मर्जी से पुरुष दोस्तों के साथ बार गई, जहां उसने साथ में शराब पी। वो ज्यादा नशे में थी और 3 बजे तक दोस्तों के साथ बार में रही।
  2. अगर सभी आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो यह बलात्कार का मामला नहीं है, बल्कि दोनों के बीच सहमति से बने संबंध का मामला हो सकता है।
  3. 11 दिसंबर 2024 से निश्चल जेल में बंद है और उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। वह जमानत की आजादी का गलत इस्तेमाल नहीं करेगा।
  4. निश्चल मामले को जल्द से जल्द निपटाने में मदद करेगा और अदालत के बुलाए जाने पर फौरन हाजिर होगा। रिहाई के बाद किसी भी क्रिमिनल एक्टिविटी में शामिल नहीं होगा।

आरोपी निश्चल ने कोर्ट में कहा कि महिला को मदद की जरूरत थी और वह खुद ही मेरे साथ घर पर आराम करने के लिए चलने को तैयार हुई थी। आरोपी ने फ्लैट पर ले जाने और 2 बार बलात्कार करने वाले आरोपों से भी इनकार किया। निश्चल ने दावा किया कि रेप नहीं है, बल्कि सहमति से यौन संबंध बनाया था।

सवाल-3: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किस आधार पर निश्चल को जमानत दी? जवाब: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय सिंह ने आरोपी निश्चल की दलीलों को सही मानते हुए जमानत दे दी। जस्टिस संजय ने 2 आधारों पर जमानत दी…

  1. पीड़िता MA की छात्रा है, इसलिए वह अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझने के काबिल थी। अगर पीड़िता के आरोप को सच मान भी लिया जाए तो यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया और इसके लिए वह खुद जिम्मेदार भी है।
  2. पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में उसकी हाइमन यानी वेजाइना की झिल्ली फटी हुई पाई गई, लेकिन डॉक्टर ने यौन हिंसा या जोर-जबरदस्ती की बात नहीं कही।

जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा,

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तथ्यों और हालातों पर विचार करने के साथ-साथ अपराध की प्रकृति, सबूत और वकीलों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, मेरा मानना है कि आवेदक (निश्चल) जमानत के लिए उचित मामला बनाया है। इसलिए, जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय सिंह ने कहा कि छात्रा ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय सिंह ने कहा कि छात्रा ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था।

सवाल-4: भारत के कानून में रेप किसे माना जाता है और दोषी को कितनी सजा मिलती है? जवाब: भारतीय कानून में रेप यानी बलात्कार की परिभाषा इंडियन पीनल कोड यानी IPC की धारा 375 के तहत दी गई, जो अब नए कानून BNS की धारा 63 और 64 से बदल दी गई है। इसके तहत…

  • किसी महिला की इजाजत के बिना, डरा-धमका कर, नशे या बेहोशी की हालत में या जबरदस्ती यौन संबंध बनाया जाता है, तो वह रेप की कैटेगरी में आता है।
  • अगर 18 साल से कम उम्र की महिला के साथ उसकी मर्जी से संबंध बनाया, तो भी रेप कहलाएगा। क्योंकि भारतीय कानून में नाबालिग की सहमति को कानूनी मान्यता नहीं है।
  • अगर महिला शारीरिक या मानसिक रूप से ऐसी हालत में नहीं है कि वह यौन संबंध बनाने के बारे पूछने पर इनकार कर पाए, तो भी वह रेप है।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, ‘रेप का मतलब पेनिट्रेशन करने से होता है। अगर किसी महिला के निजी अंग को छूना, दबाना, वेजाइना में पेनिस या कोई अन्य धातु डालना या यौन संबंध की बातें करना भी रेप कहलाता है। लेकिन मौजूदा केस में रेप के दौरान परिस्थितियों का खुलासा नहीं हुआ। पीड़िता के वर्जन के मुताबिक, रेप हुआ और आरोपी के वर्जन की मानें को सहमति से संबंध बनाया गया। जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति साफ होगी।’

रेप के मामले में सजा: रेप के सामान्य मामलों में दोषी को कम से कम 7 साल से लेकर उम्रकैद और जुर्माने प्रावधान है। वहीं गंभीर मामलों में कम से कम 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा होती है। जुर्माना भी लगता है।

रेप केस में BNS धारा 63 और 64 के तहत जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। (प्रतीकात्मक चित्र)

रेप केस में BNS धारा 63 और 64 के तहत जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। (प्रतीकात्मक चित्र)

सवाल-5: इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का क्या इम्पैक्ट पड़ेगा? जवाब: एडवोकेट आशीष पांडे मानते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है। वे कहते हैं,

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, सभी हाईकोर्ट और निचली अदालतों को महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मामलों में सोच-समझकर बोलने की हिदायत दी। इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस तरह की टिप्पणी हुई, जो विक्टिम शेमिंग होती है। इससे अदालतों को बचना चाहिए।

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आशीष पांडे आगे कहते हैं, ‘हाईकोर्ट के ऐसे कमेंट्स से गलत सामाजिक प्रभाव पड़ता है। लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ सकता है और न्यायपालिका के लिए नाराजगी भी बढ़ सकती है। आजकल युवाओं के बीच माहौल बहुत अलग हो गया है। पबों में मुलाकात और फिर यौन संबंध या रेप के बढ़ने लगे हैं। इसलिए न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने पर गौर करना चाहिए। बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के अन्य केस पर गलत टिप्पणी ने भी माहौल गर्म कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा।’

करीब 3 हफ्ते पहले 17 मार्च 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या ‘अटेम्प्ट टु रेप’ का मामला नहीं बनता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सख्ती जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि इस विक्टिम शेमिंग से बचना चाहिए और फैसला सुनाते हुए सरल और सभ्य शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।’

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपियों पर ‘अटेम्प्ट टु रेप’ का चार्ज हटाया जाए। उन पर यौन उत्पीड़न की अन्य धाराओं के तहत केस चलेगा। (प्रतीकात्मक चित्र)

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपियों पर ‘अटेम्प्ट टु रेप’ का चार्ज हटाया जाए। उन पर यौन उत्पीड़न की अन्य धाराओं के तहत केस चलेगा। (प्रतीकात्मक चित्र)

सवाल-6: क्या आरोपी निश्चल इस मामले में निर्दोष साबित हो जाएगा? जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को सिर्फ जमानत दी है। अभी आरोपी का ट्रायल नहीं हुआ है। पुलिस की जांच होगी फिर सारे सबूत और गवाह कोर्ट में पेश किए जाएंगे। इसके बाद कोर्ट फैसला सुनाएगी कि यह रेप है या नहीं। फिलहाल कोर्ट ने इसे रेप होने से इनकार नहीं किया। कोर्ट ने सिर्फ इतना कहा कि जो भी हुआ, उसकी जिम्मेदार खुद छात्रा है। अगर जांच और सबूतों के बाद आरोपी दोषी पाया जाता है, तो कानून के मुताबिक उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है।’

एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं,

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अगर पीड़ित पक्ष को हाईकोर्ट के जमानत वाले फैसले से आपत्ति है, तो वो सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर हाईकोर्ट के फैसले की जांच करेगा और फिर अगर जमानत गैर-जरूरी लगती है, तो आरोपी को फिर से जेल भेज दिया जाएगा।

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सवाल-7: क्या इससे पहले भी ऐसे मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया? जवाब: इससे पहले भी रेप के कई आरोपियों को बेल पर रिहा कर दिया गया है। हालांकि इसमें पीड़ित की सहमति भी शामिल थी।

पहला मामला: 15 साल की लड़की से रेप के आरोपी को जमानत अक्टूबर 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल की लड़की से रेप के आरोपी अभिषेक को बेल पर रिहा कर दिया था। अभिषेक ने शादी का झांसा देकर लड़की से संबंध बनाए, लेकिन जब वह प्रेग्नेंट हुए तो लड़के ने शादी से इनकार कर दिया।

जब मामला कोर्ट पहुंचा तो आरोपी ने दलील दी कि वह जेल से रिहा होकर लड़की से शादी कर लेगा और उनकी नवजात बच्ची का भी ध्यान रखेगा। वहीं अभिषेक के वकील ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लड़की की उम्र 18 साल होने का दावा किया। इस केस में लड़की ने भी माना था कि उसके साथ जबरदस्ती नहीं की गई थी।

दूसरा मामला: कॉलेज में साथ पढ़ने वाला रेप का आरोपी, जमानत मिली दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने जून 2024 में एक 20 साल के कॉलेज स्टूडेंट को रेप केस में जमानत दे दी थी। पीड़ित लड़की ने अपने साथ कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के पर रेप का आरोप लगाया था।

लड़के के फोन में दोनों की अश्लील फोटो भी मिली। जबकि लड़की ने अपना फोन चेक कराने से मना कर दिया। दोनों के दोस्तों से की गई पूछताछ में भी लड़की के आरोप सही साबित नहीं हुए। वहीं पीड़ित लड़की ने भी आरोपी को बेल दिए जाने का विरोध नहीं किया।

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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े

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