ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन जल्द ही इंडिया में एपल के ऑडियो वियरेबल्स AirPods की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी। AirPods इंडिया में बनने वाला एपल का दूसरा प्रोडक्ट होगा। कभी टेलीविजन कंपनी के लिए प्लास्टिक पार्ट्स बनाने वाली ये कंपनी आज एपल, एचपी, डेल, सोनी
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मेगा एंपायर में आज कहानी ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन की-
फॉक्सकॉन को Hon Hai Precision Industry Co. Ltd. के नाम से भी जाना जाता है। एयर-पॉड्स प्रोडक्शन के लिए फॉक्सकॉन ने करीब ₹3,500 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया है। फॉक्सकॉन ये प्रोडक्शन अपनी हैदराबाद वाली फैक्ट्री में करेगी। भारत में एयर-पॉड्स का प्रोडक्शन शुरू होने से एपल की चीन पर निर्भरता कम होगी। कंपनी इंडिया में आइफोन की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए भी 276 करोड़ इन्वेस्ट कर रही है।
साल 1974 में ताइवान में फॉक्सकॉन की शुरुआत टेरी गाउ (Terry Gou) ने की थी। टेरी गाउ का जन्म ताइपेई में हुआ था। 24 साल की उम्र तक उन्होंने रबर फैक्ट्री और दवा बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद टेरी ने एयरफोर्स में एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी ऑफिसर के रूप में भी काम किया।

फॉक्सकॉन कंपनी के फाउंडर टेरी गाउ।
साल 1974 में दोस्त और परिवार से करीब 6 लाख रुपए उधार लेकर टेरी ने कंपनी की नींव रखी। 10 बुजुर्ग कर्मचारियों के साथ मिलकर वर्कशॉप शुरू हुई, जिसका नाम Hon Hai Precision Industry Co. Ltd. रखा। जिसे आज हम फॉक्सकॉन के नाम से जानते हैं। तब यह कंपनी ब्लैक-एंड-व्हाइट टीवी के लिए प्लास्टिक पार्ट्स बनाती थी।
तब ताइवान में टीवी का चलन बढ़ रहा था। टेरी ने बाजार की डिमांड को भांपते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी। ऑर्डर लेने के लिए टेरी खुद फैक्ट्री के बाहर खड़े हो जाते थे। उनका फोकस छोटे कस्टमर पर था। कस्टमर्स को अपने प्रोडक्ट और उसकी क्वालिटी के बारे में टेरी खुद बताते थे। यही उनके बिजनेस की बुनियाद बनी।
साल 1980 के दशक में कंप्यूटर का जमाना शुरू हुआ। तब टेरी की कंपनी ने कंप्यूटर के कनेक्टर्स पर फोकस किया। उन्होंने अमेरिका की कंपनी IBM के साथ डील की। यही डील उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। फॉक्सकॉन ने IBM के लिए कंप्यूटर कनेक्टर्स बनाए। देखते ही देखते फॉक्सकॉन एक ग्लोबल सप्लायर बन गया। धीरे-धीरे फॉक्सकॉन ने अपना नेटवर्क बढ़ाना शुरू कर दिया।
साल 1990 के दशक में फॉक्सकॉन ने कई नए इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स बनाने शुरू किए जैसे मदरबोर्ड, ग्राफिक्स कार्ड और कंप्यूटर के कई दूसरे पार्ट। इससे कंपनी अलग-अलग टेक्निकल कंपनियों के लिए एक प्रमुख सप्लायर बनी।
साल 2001 में फॉक्सकॉन को एपल ने पहला मैन्युफैक्चरिंग कॉन्ट्रैक्ट दिया। ये कॉन्ट्रैक्ट एपल के लिए कुछ एक्सेसरीज और कंप्यूटर पार्ट्स बनाने के लिए मिला था।
साल 2007 में एपल ने पहला आईफोन लॉन्च किया। इसके बाद ही फॉक्सकॉन को आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का जिम्मा मिला। यही से फॉक्सकॉन की पहचान एपल की फैक्ट्री के रूप में बनने लगी।

iPhone के प्रोडक्शन की वजह से लोग फॉक्सकॉन कंपनी को आईफोन फैक्ट्री कहने लगे।
इसके बाद साल 2010 में चीन के झेंगझौ में फॉक्सकॉन ने अपनी सबसे बड़ी फैक्ट्री बनाई, जिसे बाद में iPhone City नाम दिया गया। इस प्लांट में फॉक्सकॉन के लाखों कर्मचारी आईफोन, आइपैड और MacBooks बनाने लगे।
इस दशक में फॉक्सकॉन ने ब्राजील, मेक्सिको और वियतनाम जैसे देशों में भी अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशंस शुरू किए। साथी ही कई अन्य टेक कंपनियों के लिए प्रोडक्शन शुरू किया।
Apple के अलावा फॉक्सकॉन ने Amazon, soni, HP, Microsoft Dell और Lenovo जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ भी डील की। जिससे उनकी कस्टमर की लिस्ट और भी बड़ी हो गई। साल 2016 में कंपनी ने जापान की प्रमुख कंपनी Sharp को टेकओवर किया, जिसके बाद उसने Display, TV और स्मार्ट डिवाइस को मैन्युफैक्चर करना शुरू कर दिया। इस दौरान फॉक्सकॉन ने अमेरिका में बड़े इन्वेस्टमेंट की योजना बनाई। इसके बाद Wisconsin में फैक्ट्री लगाने की घोषणा की, जिसे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट का प्रतीक माना गया।
साल 2020 के बाद फॉक्सकॉन ने भारत और वियतनाम जैसे देशों में भी एपल प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की, ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके। कोरोना महामारी के दौर में भी कंपनी ने iPhone 12 और अन्य डिवाइसेज के प्रोडक्शन को जारी रखा।
साल 2021 में फॉक्सकॉन ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के बारे में सोचा और MIH प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। ये EV निर्माताओं के लिए एक ओपन-सोर्स बेस प्लेटफॉर्म है। इसके साथ ही कंपनी ने कई EV स्टार्टअप और बैटरी कंपनियों के साथ साझेदारी की।
साल 2022 से फॉक्सकॉन ने भारत में iPhone 13 और 14 की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की। इसी दौरान कंपनी ने तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में कई इन्वेस्टमेंट योजनाओं की घोषणा की। इसके साथ ही साल 2023 में फॉक्सकॉन ने भारत में लगभग 12 हजार 525 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया। फॉक्सकॉन भारत में आईफोन के कई मॉडल बना रही है। इसके अलावा बेंगलुरु में सेमीकंडक्टर और चिप प्लांट लगाने की योजना भी बना रही है।
साल 2024 तक फॉक्सकॉन सिर्फ एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी नहीं रही। बल्कि यह स्मार्ट फैक्ट्री, AI बेस्ड प्रोडक्शन और ग्रीन टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता दे रही है। कंपनी की इंडिया में प्रेजेंस एपल के प्रोडक्शन के जरिए और अधिक मजबूत हो रही है। जिससे भारत वैश्विक iPhone प्रोडक्शन का एक मुख्य सेंटर बन चुका है।

AI बेस्ड प्रोडक्शन पर काम कर रही है फॉक्सकॉन।
आज फॉक्सकॉन पांच महाद्वीपों में फैल चुकी है। इसके 30 से ज्यादा देशों में 200 से अधिक प्लांट्स हैं। इनमें सबसे प्रमुख देश हैं चीन जहां सबसे बड़ा प्लांट झेंगझौ में है। यहां 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते है। इस जगह को iPhone City के नाम से भी जाना जाता हैं।
इसके अलावा भारत (चेन्नई, नोएडा, बेंगलुरु), वियतनाम, मेक्सिको, ब्राजील, अमेरिका, हंगरी, जापान, कोरिया, मलेशिया में भी इसके प्लांट्स मौजूद हैं। फॉक्सकॉन कंपनी में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
साल 2019 में टेरी गॉउ के बाद यंग लियू कंपनी के चेयरमैन बने। लियू इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, AI और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में कंपनी को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा लिन बाओझोंग इंडिया ऑपरेशंस हेड हैं। ये भारत में फॉक्सकॉन की योजनाओं, विस्तार और प्लांट सेटअप को संभालते हैं।

फॉक्सकॉन कंपनी के चेयरमैन यंग लियू।
फॉक्सकॉन B2B यानी बिजनेस टू बिजनेस मॉडल पर काम करती है। इसका मतलब है कि कंपनी आम लोगों को प्रोडक्ट नहीं बेचती बल्कि वो बड़ी कंपनियों के लिए मैन्युफैक्चरिंग करती है।
हालांकि फॉक्सकॉन अब सिर्फ मोबाइल या कंप्यूटर के पार्ट्स नहीं बना रही बल्कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां, हेल्थ टेक्नोलॉजी और रोबोट बनाने के काम भी कर रही है। कंपनी का मानना है कि आने वाले समय में इनकी ज्यादा जरूरत होगी। इसी सोच के साथ फॉक्सकॉन ने 3+3 स्ट्रैटजी बनाई है यानी 3 इंडस्ट्री और 3 टेक्नोलॉजी पर फोकस।
फॉक्सकॉन अब स्मार्ट फैक्ट्री यानी ऐसी फैक्ट्री पर काम कर रही है जिसमें ज्यादातर काम मशीनें और रोबोट करेंगे। इसके लिए फॉक्सकॉन ने NVIDIA नाम की कंपनी के साथ पार्टनरशिप की है। इस पार्टनरशिप के जरिए वह AI फैक्ट्री बनाने जा रही हैं जो बिना इंसानों के मशीनों से काम करवाएगी। इससे काम और तेज, सस्ता और सही तरीके से होगा।
फॉक्सकॉन अपने सामान को कम लागत में बनाने के लिए ऐसे देशों में फैक्ट्रियां खोलती है जहां मजदूरी कम होती है, जैसे भारत, वियतनाम और मेक्सिको। इससे कंपनी का खर्च कम और प्रॉफिट ज्यादा होता है।

रिसर्च-बिपाशा, रतन प्रिया
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