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Mumbai Terrorist Attack; Tahawwur Rana David Headley | Pakistan Lashkar | 26/11 के बाद दिल्ली, राजस्थान, गोवा में होते हमले: तहव्वुर राणा ने कहा था- इंडियन आर्मी के इतने अफसर मारेंगे, जितने जंग में नहीं मरे


26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले से 6 महीने पहले अमेरिका के शिकागो में एक मीटिंग हुई। इसमें पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के अलावा डेविड हेडली और तहव्वुर राणा मौजूद थे।

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मीटिंग में हेडली ने हमले का प्रजेंटेशन दिया। बlकायदा ग्राफिक्स और 3D इमेज से दिखाया कि कैसे समुद्र के रास्ते आतंकी मुंबई पहुंचेगे। कैसे ताज होटल पर अटैक होगा। प्रजेंटेशन देखकर तहव्वुर राणा जोर से हंसा। ये देखकर हेडली बोला कि ये बहुत भयानक होने वाला है। आखिर यही हुआ। मुंबई में घुसे लश्कर के 10 आतंकी अलग-अलग जगहों पर 4 दिन तक गोलियां बरसाते रहे। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए।

हेडली और राणा स्कूल के दोस्त थे और मुंबई हमले की साजिश के सबसे बड़े किरदार बने। मुंबई पर हमले के बाद उनकी प्लानिंग दिल्ली, राजस्थान और गोवा में हमले की थी। दिल्ली में टारगेट नेशनल डिफेंस कॉलेज था, जहां सेना के अफसर पढ़ते हैं। राणा ने हेडली से कहा था कि यहां हमला करके इतने सीनियर अफसरों को मारना है, जितने भारत-पाकिस्तान जंग में भी नहीं मरे होंगे।

अमेरिका की जेल में बंद तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को डिपोर्ट करके भारत लाया गया है। दैनिक भास्कर के पास अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट, लोअर कोर्ट में हुई सुनवाई और जांच एजेंसी की रिपोर्ट का 248 पेज का डॉक्यूमेंट है। ये रिपोर्ट दिसंबर, 2024 में तैयार की गई थी। इसमें तहव्वुर राणा, डेविड हेडली और पाकिस्तान की हर साजिश का खुलासा है। सबूतों के साथ सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए मुंबई हमले की साजिश कैसे रची गई।

राणा और हेडली कहां मिले, उनमें क्या बातें होती थीं, उनकी एक-एक फोन कॉल और ईमेल की डिटेल, मुंबई हमले के बाद क्या हुआ और कैसे अनजाने में की गई एक कॉल रिकॉर्डिंग से दोनों अमेरिकी इन्वेस्टिगेशन एजेंसी FBI की नजर में आ गए। इस रिपोर्ट में पूरी डिटेल है।

राणा और हेडली कहां मिले, उनमें क्या बातें होती थीं, उनकी एक-एक फोन कॉल और ईमेल की डिटेल, मुंबई हमले के बाद क्या हुआ और कैसे अनजाने में की गई एक कॉल रिकॉर्डिंग से दोनों अमेरिकी इन्वेस्टिगेशन एजेंसी FBI की नजर में आ गए। इस रिपोर्ट में पूरी डिटेल है।

रिपोर्ट की बड़ी बातें, जिनसे मुंबई हमले में हेडली-राणा के शामिल होने का पता चला

1. मुंबई पर हमले के बाद 25 दिसंबर, 2008 को लश्कर के पाकिस्तानी हैंडलर ने डेविड हेडली को ईमेल भेजा था। FBI ने ईमेल की जांच की है। इसमें पाकिस्तानी हैंडलर ने डेविड हेडली से पूछा था कि भारत में जो हुआ, उस पर तहव्वुर राणा का क्या रिएक्शन है। वो डरा हुआ है या रिलैक्स है। हेडली ने अगले दिन ईमेल का जवाब दिया। उसने लिखा कि राणा बहुत रिलैक्स है।

2. 7 सितंबर 2009 को राणा और हेडली के बीच करीब 24 मिनट बात हुई। इस दौरान भी दोनों ने मुंबई हमले पर बात की। इसी कॉल पर पहली बार भारत में दूसरे बड़े अटैक की साजिश का जिक्र हुआ था।

बातचीत में राणा ने कहा कि मुंबई अटैक में मारे गए 9 आतंकियों को पाकिस्तानी आर्मी का सबसे बड़ा सम्मान निशान-ए-हैदर देना चाहिए। साथ ही हेडली को भी हमले की प्लानिंग के लिए टॉप क्लास का मेडल मिलना चाहिए।

3. तहव्वुर राणा और डेविड हेडली की गिरफ्तारी एक लापरवाही की वजह से हुई। दरअसल, हेडली ने राणा को कोडवर्ड में एक मेल भेजा था, जिसे राणा समझ नहीं पाया। ईमेल में मुंबई हमले का भी जिक्र था। कोडवर्ड समझाने के लिए हेडली ने कॉल किया। यही कॉल FBI ने रिकॉर्ड कर लिया।

कॉल रिकॉर्डिंग के 24 दिन बाद 3 अक्टूबर, 2009 को डेविड हेडली को अरेस्ट कर लिया गया। हेडली की गिरफ्तारी के 15 दिन बाद तहव्वुर राणा भी अमेरिकी पुलिस की पकड़ में आ गया।

मुंबई के बाद राजस्थान, दिल्ली और गोवा में हमले की साजिश मुंबई अटैक के बाद डेविड हेडली और तहव्वुर राणा ने 2009 में भारत में दोबारा बड़े हमले की तैयारी की थी। अमेरिकी कोर्ट के डॉक्युमेंट के मुताबिक, दोनों मुंबई अटैक के बाद भारत में सीरियल ब्लास्ट करना चाहते थे। भारत के अलावा डेनमार्क में भी हमला किया जाना था। डेनमार्क के न्यूजपेपर जाइलैंड्स-पोस्टेन ने 30 सितंबर 2005 को पैगंबर मोहम्मद के 12 कार्टून पब्लिश किए थे। इसका बदला लेने के लिए डेनमार्क पर हमले की तैयारी थी।

भारत में दिल्ली, गोवा, राजस्थान के पुष्कर में हमले किए जाते। दिल्ली में दो टारगेट भी तय थे। नेशनल डिफेंस कॉलेज, जहां भारतीय सेना के अधिकारी पढ़ाई करते हैं। दूसरा पहाड़गंज एरिया में चाबड़ हाउस। चाबड़ हाउस यहूदियों का कम्युनिटी सेंटर है। इजराइल से आने वाले टूरिस्ट भारत में इसे अपना घर मानते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में टारगेट तय करने के बाद दोनों जगह हमले के लिए डेविड हेडली ने रेकी की तैयारी शुरू कर दी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में टारगेट तय करने के बाद दोनों जगह हमले के लिए डेविड हेडली ने रेकी की तैयारी शुरू कर दी थी।

राणा ने कहा- भारत के इतने अफसर मारने हैं, जितने जंग में नहीं मरे हेडली ने नेशनल डिफेंस कॉलेज की रेकी के बारे में तहव्वुर राणा को भी बताया था। 7 सितंबर 2009 को दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी। इसमें तहव्वुर राणा ने कहा था कि नेशनल डिफेंस कॉलेज पहले से मेरे टारगेट पर है।

राणा ने कहा कि ऐसा अटैक करना है, जिससे इंडियन आर्मी के इतने सीनियर अफसर मारे जाने चाहिए, जितने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी नहीं मरे हों।

हेडली ने ईमेल आईडी सिक्योर करने के लिए दूसरा ईमेल सेटअप किया। इसके बाद तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में हेडली और लश्कर के मेंबर्स से सीधे कॉन्टैक्ट किया था। इसी दौरान हेडली ने ईमेल पर राणा को कोडवर्ड में जानकारी भेजी थी। तहव्वुर राणा को ये कोडवर्ड समझ नहीं आया। कोडवर्ड समझाने के लिए हेडली ने फोन किया था, जिसे FBI ने रिकॉर्ड कर लिया।

असल में हेडली ने एक लिस्ट बनाई थी। इसे वो कागज पर लिखकर ईमेल नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने ईमेल पर उसे कोडवर्ड में लिख दिया था। फोन पर बात करते हुए हेडली ने बताया कि अगर मैं कागज पर लिखकर रख लेता और तलाशी में पकड़ा जाता तो फंसने का डर था। इसलिए कभी कोई साजिश की बात कागज पर नहीं लिखी।

इसी डिटेल के आधार पर FBI ने डेविड हेडली को शिकागो से 3 अक्टूबर 2009 को अरेस्ट कर लिया। 18 अक्टूबर 2009 को राणा को अरेस्ट किया गया।

डेविड हेडली का FBI के सामने कबूलनामा

हेरोइन तस्करी में अरेस्ट हुआ, तहव्वुर राणा ने जमानत के लिए घर दे दिया

डेविड हेडली ने FBI को राणा से मुलाकात, मुंबई अटैक और दूसरे हमले की साजिश के बारे में बताया था। उसने कहा…

मैं और तहव्वुर राणा पहली बार पाकिस्तान में मिले थे। हम आर्मी बोर्डिंग हाईस्कूल में पढ़ते थे। वहीं अच्छे दोस्त बने। पढ़ाई पूरी करने के बाद तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर जॉइन कर ली। उसे कैप्टन की रैंक मिली थी। बाद में वो सेना से अलग हो गया।

इसके बाद वो शिकागो जाने की तैयारी करने लगा। शिकागो जाने से पहले कनाडा की नागरिकता ली। वहां बिजनेस शुरू किए। इमिग्रेशन लॉ-सेंटर खोला। उसके लॉ-सेंटर के ऑफिस शिकागो के अलावा न्यूयॉर्क और कनाडा के टोरंटो में भी थे। इस दौरान मैं (डेविड हेडली) हेरोइन तस्करी करने लगा था। दो बार ड्रग्स केस में दोषी ठहराया गया।

1997 में अमेरिका में पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया। तब तहव्वुर राणा ने ही मुझे जमानत दिलाई थी। उसने बॉन्ड के लिए अपने घर को जमानत के तौर पर रखा था। तहव्वुर राणा ने ही खर्च के लिए मुझे पैसे दिए।

साल 2000 में मैं पाकिस्तान गया था। वहां पहली बार लश्कर की मीटिंग में शामिल हुआ। जिहाद के भाषण सुने। दिसंबर, 2001 में फिर से अमेरिका से पाकिस्तान गया। 2002 से 2005 तक लश्कर के ट्रेनिंग सेंटर में रहा। हथियार चलाना, आमने-सामने मुकाबला करना, रेकी करना, दूसरे देश में सुरक्षित ठिकाना बनाने का तरीका सीखा। खुफिया ट्रेनिंग वाले कैंप में भी रहा।

अगस्त 2005 में अमेरिका लौट आया। यहां तहव्वुर राणा से मिला। उसे लश्कर की ट्रेनिंग के बारे में बताया। तभी पहली बार तहव्वुर राणा से बताया कि लश्कर ने उसे भारत जाकर रेकी करने के लिए कहा है। कहा है कि मुझे नाम बदलना है, जिससे मेरी मुसलमान और पाकिस्तानी होने की पहचान छिप जाए।

इसके बाद मैंने फरवरी, 2006 में कानूनी तौर पर नाम बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रख लिया। इसी नाम से पासपोर्ट बनवाया। लश्कर के लोगों से फिर मीटिंग की। ये मीटिंग गर्मी में हुई थी। इसमें मुझसे कहा गया कि मैं इंडिया में इमिग्रेशन ऑफिस खोलकर रेकी करूं।

उसी समय मैंने लश्कर को तहव्वुर राणा के बारे में बताया। ये भी बताया कि तहव्वुर मेरा अच्छा दोस्त है। वो मुंबई में ऑफिस खोलने में मदद करेगा। तहव्वुर राणा पहले से इमिग्रेशन सेंटर का काम कर रहा था। इसलिए लश्कर भी तैयार हो गया। फिर हम दोनों काम करने लगे।

तहव्वुर राणा ने अफसरों से मिलीभगत कर हेडली को भारत का वीजा दिलाया जून 2006 में मैं शिकागो पहुंचा। यहां तहव्वुर राणा से मिला। उससे मुंबई में इमिग्रेशन सेंटर खोलने में मदद मांगी। मुझे इमिग्रेशन ऑफिस चलाने का अनुभव नहीं था। इसलिए तहव्वुर राणा ने ऑफिस खुलवाने से लेकर बाकी सभी काम में मदद की।

तहव्वुर राणा ने मुझे इंडिया भेजने के लिए गलत तरीके से डॉक्युमेंट्स बनवाए। उसने ही शिकागो के इंडियन कॉन्सुलेट में डॉक्युमेंट दिए थे। कुछ लोगों की मदद से उसने मुझे बिजनेस वीजा दिला दिया। बिजनेस वीजा इसलिए जरूरी था क्योंकि मुझे ज्यादा वक्त तक इंडिया में रहकर रेकी करनी थी।

तहव्वुर राणा ने इमिग्रेशन लॉ सेंटर की मुंबई ब्रांच का ऑफिस खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ प्रोसेस पूरी करने में भी मदद की। इसके बाद मैं पाकिस्तानी हैंडलर से मिला। मुंबई में ऑफिस खोलने की तैयारी की डिटेल दी। उसने मुझे मुंबई के वीडियो बनाने के लिए कहा। इसमें होटल ताज भी शामिल था।

सितंबर, 2006 में मैं मुंबई पहुंचा। यहां कई लोकेशन और स्पॉट के वीडियो बनाए। तभी तहव्वुर राणा के करीबी ने मुझे फोन किया। उसने बताया कि राणा के कहने पर मेरे लिए मुंबई में रहने के लिए घर और खाने-पीने का इंतजाम कर दिया गया है। दिसंबर, 2006 में मैं फिर पाकिस्तान गया। लश्कर के आतंकियों से मिला और उन्हें मुंबई के वीडियो दिखाए।

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इस मीटिंग में लश्कर के मेंबर्स ने कहा कि मुझे फिर से ताज होटल जाना होगा। वहां के सेमिनार हॉल की वीडियो बनानी होगी। दूसरे फ्लोर का भी वीडियो बनाना है। भारत के बड़े साइंटिस्ट और आर्मी अफसर इसी सेमिनार हॉल में मीटिंग करते हैं।

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मैं फरवरी से सितंबर 2007 के बीच कई बार मुंबई गया। होटल ताज की दूसरी मंजिल के वीडियो बनाए। फिर पाकिस्तान जाकर लश्कर के लोगों को दिए। जुलाई 2007 में मैं शिकागो गया। वहां तहव्वुर राणा से मिला। हम कई दिन साथ रहे। उसे मुंबई में रेकी से लेकर लश्कर की मीटिंग के बारे में बताया। इसी दौरान मेरा भारत का वीजा खत्म हो गया। तहव्वुर राणा ने फिर फर्जी तरीके से मुझे दोबारा बिजनेस वीजा दिलवाया।

18 जुलाई, 2007 को भारत के अफसरों से 5 साल का मल्टी-एंट्री वीजा मिल गया। दिसंबर, 2007 में मैं पाकिस्तान गया। वहां लश्कर के हेडक्वॉर्टर में सभी हैंडलर और दूसरे आतंकियों से मिला। मार्च 2008 में शिकागो में हमारी मीटिंग हुई।

मैंने होटल ताज में घुसने से लेकर सभी जगहों की 3डी इमेज दिखाई। लश्कर के हैंडलर्स ने मुझसे समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसने के बारे में डिटेल मांगी। इसके लिए मैं अप्रैल-मई में फिर से मुंबई गया। इस बार समुद्र के रास्ते देखे। नाव से सफर किया। वीडियो बनाए और GPS डिवाइस से लोकेशन की डिटेल ली। ये डिटेल लेकर पाकिस्तान गया और वहां समुद्री रास्तों के बारे में बताया।

पाकिस्तान से आए 10 आतंकी स्पीड बोट से मुंबई के कोलाबा में इसी जगह उतरे थे। मछुआरों का गांव होने की वजह से ये जगह चुनी गई थी।

पाकिस्तान से आए 10 आतंकी स्पीड बोट से मुंबई के कोलाबा में इसी जगह उतरे थे। मछुआरों का गांव होने की वजह से ये जगह चुनी गई थी।

26/11 हमले से पहले क्या हुआ… मई, 2008 में हेडली और राणा शिकागो में थे। दोनों कई बार मिले। हेडली ने तहव्वुर राणा को मुंबई में रेकी के बारे में सब बताया। इसके बाद साजिश में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों के साथ एक मीटिंग हुई। इसमें पहली बार ग्राफिक्स और 3D इमेज के जरिए हेडली ने बताया कि अटैक कैसे किया जाएगा। कंप्यूटर पर इसकी पूरी मॉकड्रिल दिखाई कि कैसे अटैक करने वाले आतंकी ताज होटल के सामने जाएंगे। उस वक्त उनकी बोट पास में ही समुद्र में ऐसी जगह रहेगी, जहां पानी शांत रहता है।

हेडली ने होटल ताज के सामने लैंडिंग साइट के बारे में प्रजेंटेशन दिया तो तहव्वुर राणा बहुत खुश हुआ। इसके बाद हेडली ने तहव्वुर राणा को लश्कर के आतंकियों के साथ ईमेल में जोड़ लिया। सभी बातें अब ईमेल के जरिए होने लगी थीं।

इस मीटिंग के बाद जून 2008 में हेडली पाकिस्तान गया और साजिश में शामिल लश्कर के आतंकियों से मिला। उन्होंने मुंबई में टारगेट की लिस्ट सौंपी। उसे एक GPS डिवाइस भी दी। बताया कि मुंबई जाकर हेडली कैसे लैंडिंग साइट की फिर से जांच करेगा। उसे कनाडा वाला ऑफिस बंद करने के लिए कहा गया।

जुलाई के पहले हफ्ते में डेविड हेडली मुंबई आ गया। यहां राणा की मदद से ऑफिस खोला। ये दिखाया गया कि इस ऑफिस के जरिए लोगों को काम दिया जाता है। इस बीच हेडली लगातार मुंबई में रेकी करता रहा।

रेकी का काम पूरा होने के बाद पाकिस्तान में बैठे लश्कर के हैंडलर्स ने हेडली को ऑफिस बंद करने के लिए कहा। तभी हेडली के सामने एक परेशानी आ गई। उसने बताया कि उस ऑफिस का मालिक किराए के एडवांस पैसे वापस नहीं कर रहा है। अचानक ऑफिस बंद करके जाने से शक हो सकता है।

हेडली ने इस पर तहव्वुर राणा से सलाह मांगी। तहव्वुर राणा ने कहा कि अभी कुछ दिन और रुक जाओ। एडवांस दिया पैसा किराए में चला जाएगा। मुंबई अटैक से दो हफ्ते पहले एडवांस किराया भी खत्म हो गया। तब ऑफिस बंद कर हेडली ने भारत छोड़ दिया।

फिर वो पाकिस्तान गया और साजिश में शामिल लोगों से मिला। उन्हें मुंबई की रेकी के वीडियो दिए। GPS डिवाइस भी दिया, जिसमें सभी लोकेशन की डिटेल थी। डेविड हेडली पाकिस्तानी हैंडलर के कहने पर 15 लाल ब्रेसलेट भी ले गया था। प्लान ये था कि इन्हें पहनने से लगेगा कि आतंकी हिंदू हैं। इससे उनकी पहचान छिपी रहेगी।

तहव्वुर राणा भारत आने वाला था, हेडली ने पाकिस्तानी हैंडलर से दुबई में मिलवाया 2008 के आखिर में डेविड हेडली को पता चला कि तहव्वुर राणा चीन, दुबई और भारत जाने वाला है। उसने तहव्वुर राणा और पाकिस्तानी हैंडलर की दुबई में मीटिंग कराई। हैंडलर ने तहव्वुर राणा से कहा कि वो अभी इंडिया न जाए।

26/11 हमले के बाद क्या हुआ… मुंबई अटैक के बाद दिसंबर, 2008 में डेविड हेडली अमेरिका लौट आया। करीब एक साल बाद 7 सितंबर, 2009 को उसने राणा से फोन पर बात की। डेविड हेडली ने उसे मुंबई में बनाए वीडियो की डिटेल दी। बताया कि मुंबई में जहां अटैक हुआ, उसके वीडियो उसी ने बनाए थे। लोकेशन की जानकारी उसी ने दी थी।

इसी बातचीत में पहली बार हेडली ने बताया कि 1971 में इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान में उसके स्कूल पर अटैक किया था। डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा से कहा कि अब मैंने भारतीयों को बराबरी का जवाब दिया है। इस पर तहव्वुर राणा ने कहा था कि भारत के लोग इसी के हकदार हैं।

अमेरिकी रिपोर्ट के इस पेज पर तहव्वुर राणा और हेडली के बीच की बातचीत दर्ज है। इसके अलावा पाकिस्तानी हैंडलर के हेडली को भेजे ईमेल का भी जिक्र है।

अमेरिकी रिपोर्ट के इस पेज पर तहव्वुर राणा और हेडली के बीच की बातचीत दर्ज है। इसके अलावा पाकिस्तानी हैंडलर के हेडली को भेजे ईमेल का भी जिक्र है।

राणा को अमेरिकी कानून के हिसाब से ही सजा दे सकता है भारत भारत डिपोर्ट होने के बाद तहव्वुर राणा को कितनी सजा हो सकती है? ये सवाल हमने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे से पूछा। वे कहते हैं, ‘भारत और अमेरिका के बीच 1997 से प्रत्यर्पण संधि है। इसके मुताबिक, अगर अमेरिका में आतंकवाद के लिए फांसी या उम्रकैद की सजा है तो भारत में भी उसे वही सजा दी जा सकती है। अभी तहव्वुर राणा केस में शुरुआती पूछताछ हो रही है। कोर्ट में मुकदमा चलेगा। फिर उसे सजा सुनाई जाएगी।

राणा के जरिए भारत में हेडली की मदद करने वालों की पहचान होगी गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि मुंबई अटैक के समय मॉनिटरिंग कर रहे थे। हमने उनसे पूछा कि तहव्वुर राणा को भारत लाने और पूछताछ से क्या लीड मिल सकती है? वे बताते हैं, ‘तहव्वुर राणा के भारत आने से काफी फायदा मिलेगा।’

‘मुंबई अटैक के बारे में अब तक जो जानकारी नहीं मिली है, वो राणा से मिल सकती है। मुंबई में रेकी के दौरान बॉलीवुड से जुड़े लोगों ने भी मदद की थी। डेविड हेडली को मुंबई में रुकने के लिए घर और खाने-पीने का इंतजाम करने वाला कौन था, जिसे तहव्वुर राणा ने जिम्मेदारी सौंपी थी। ये सब पता चलेगा।’

‘ये भी पता चलेगा कि ताज महल पैलेस होटल के किचन तक ले जाने में हेडली की किसने मदद की। भारत में स्लीपर सेल की तरह मदद करने वालों के बारे में काफी लीड मिल सकती है।’

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तहव्वुर राणा से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए…

आतंकी तहव्वुर राणा से पहले दिन 3 घंटे पूछताछ, NIA ने कहा- कोऑपरेट नहीं कर रहा

11 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने तहव्वुर राणा से 3 घंटे पूछताछ की। एजेंसी ने बताया कि वह कोऑपरेट नहीं कर रहा है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजा है। कस्टडी के दौरान NIA रोजाना राणा से पूछताछ की एक डायरी तैयार करेगी। आखिरी दौर की पूछताछ के बाद डिस्कलोजर स्टेटमेंट में उसे रिकॉर्ड पर लिया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर…



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