बरेली के सेटेलाइट बस अड्डे पर एक 3 साल का मासूम बच्चा रोता हुआ मिला। बच्चा इतना छोटा था कि वह अपना नाम और पता तक नहीं बता पा रहा था। उसकी हालत देखकर आस-पास के लोग भी परेशान हो गए, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर पा रहा था।
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हेड कांस्टेबल योगेश कुमार ने संभाली बच्चे की जिम्मेदारी
ड्यूटी पर तैनात हेड कांस्टेबल योगेश कुमार ने बच्चे को देखा और उसकी जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने बच्चे को प्यार से समझाने की कोशिश की और उसे टॉफी और केले खिलाकर शांत किया। बच्चे का रोना बंद हो गया और उसकी पुलिसकर्मियों से दोस्ती हो गई।
पुलिस टीम ने मिलकर की मदद
योगेश कुमार के साथ मौजूद सिपाही, होमगार्ड और पीआरडी जवानों ने भी बच्चे की मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। सभी ने मिलकर बच्चे के परिवार की तलाश शुरू की। पुलिसकर्मियों ने आस-पास के इलाकों में पूछताछ की और बच्चे के परिवार को खोजने की पूरी कोशिश की।
मां-बाप की तलाश में जुटी पुलिस
बच्चे के परिवार की तलाश में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। आखिरकार, उन्हें पता चला कि बच्चे का परिवार थाना इज्जतनगर के गांव मुड़िया अहमदनगर का रहने वाला है। पुलिस ने तुरंत उनसे संपर्क किया और बच्चे को सुरक्षित उसके मां-बाप तक पहुंचाया।
बच्चे को देखकर मां-बाप के चेहरे पर लौटी मुस्कान
जब बच्चे के मां-बाप ने उसे देखा, तो उनके चेहरे की चिंता गायब हो गई और उसकी जगह खुशी की मुस्कान आ गई। वे बच्चे को गले लगाकर रो पड़े और पुलिसकर्मियों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने समय रहते बच्चे को नहीं ढूंढा होता, तो पता नहीं क्या होता, इसकी कल्पना करके भी वे डर जाते हैं।
पुलिस की मदद पर परिवार ने जताया आभार
बच्चे के परिवार ने पुलिसकर्मियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने न सिर्फ बच्चे को सुरक्षित उन तक पहुंचाया, बल्कि उनके परिवार को एक बड़ी मुसीबत से बचाया। हेड कांस्टेबल योगेश कुमार और उनकी टीम की यह पहल सराहनीय है और इससे समाज में पुलिस की सकारात्मक छवि बनती है।