Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
The Pradhan of Kanpur Dehat got the invitation for Republic Day Parade | कानपुर देहात की प्रधान को मिला गणतंत्र दिवस परेड न्योता: प्रधान ने गांव के विकास के लिए किया उत्कृष्ट काम, ऑक्सीजन मार्ग और आधुनिक सचिवालय बनवाया – Kanpur Dehat News Shreyas Iyer appointed as new Captain for Punjab Kings IPL 2025 ricky ponting head coach Kolkata RG Kar Doctor Rape Murder Case; Sanjay Roy | Kolkata News | कोलकाता रेप-मर्डर केस- संजय रॉय की सजा पर फैसला आज: 2 दिन पहले दोषी करार; संजय की मां बोली-फांसी पर लटका दो, कोई आपत्ति नहीं Rajasthan Govind Bhadu Success Story; Challenges Failures | Bikaner | पॉजिटिव स्टोरी- मसाला बेचता था, आज तीन कंपनियां: टर्नओवर 20 करोड़, 20 हजार से शुरुआत; कभी किराए के लिए बेचनी पड़ी थी बाइक BJP leader committed suicide in Jalaun | जालौन में ठेकेदार ने की आत्महत्या: लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को मारी गोली, पत्नी से चल रहा विवाद – Jalaun News ipl 2025 captains list all teams shreyas iyer captain punjab kings csk mumbai indians hardik pandya ruturaj gaikwad
[post-views]

Rajasthan Govind Bhadu Success Story; Challenges Failures | Bikaner | पॉजिटिव स्टोरी- मसाला बेचता था, आज तीन कंपनियां: टर्नओवर 20 करोड़, 20 हजार से शुरुआत; कभी किराए के लिए बेचनी पड़ी थी बाइक


राजस्थान के बीकानेर शहर से 115 किलोमीटर दूर पाकिस्तान बॉडर से सटा खाजूवाला गांव। जहां तक नजरें जा रही हैं, रेत के पहाड़ और छिटपुट घर नजर आ रहे हैं। साथ में सीरियल एंटरप्रेन्योर यानी एक साथ कई बिजनेस करने वाले गोविंद भादू हैं।

.

गोविंद खाजूवाला गांव के ही रहने वाले हैं। वो किस्सा बताते हैं, ‘बचपन में हम लोग गांव में रहते थे, तो पानी की बड़ी किल्लत थी। ऊंट से पानी की ढुलाई होती थी। इसके बदले 50 रुपए देने होते थे।

50 रुपए बचाने के लिए मां पांच किलोमीटर दूर से सिर पर पानी का घड़ा रखकर लाती थीं। गांव से शहर जाने के लिए भी सोचना पड़ता था। गांव में साइकिल भी किसी-किसी के पास होती थी।

दादा-पापा भी यहां से 35 किलोमीटर दूर, दूसरे गांव से पलायन करके आए थे क्योंकि वहां रहने-खाने को भी नहीं था। बहुत गरीबी थी। उस वक्त मेरी उम्र 5 साल थी।’

गोविंद भादू जब 12वीं में थे, तो वह पढ़ने और काम करने के लिए गांव से बीकानेर शहर आ गए थे।

गोविंद भादू जब 12वीं में थे, तो वह पढ़ने और काम करने के लिए गांव से बीकानेर शहर आ गए थे।

गोविंद हंसते हुए कहते हैं, ‘सब मेहनत और विजन का खेल है। आज खुद की तीन-तीन कंपनी है। इंपोर्ट के बिजनेस से लेकर स्टोन माइनिंग तक का काम है। 100 से ज्यादा लोगों की टीम है। सालाना 20 करोड़ का बिजनेस है।

जहां से मैं आता हूं, वहां दूर-दूर तक किसी को पता भी नहीं था कि बिजनेस क्या होता है। घर में खेती और सर्विस का माहौल था। गरीबी भी थी। 1990 के आसपास की बात है। मैं 7वीं, 8वीं में था। स्कूल की फीस महीने की 50 रुपए थी। घरवालों के लिए ये फीस भर पाना भी मुश्किल था।

कई बार कहने के बाद स्कूल में फीस जमा होती थी। एक यूनिफॉर्म हम दो-तीन साल पहनते थे। किसी रिश्तेदार के यहां जाते थे तो गरीब होने की वजह से हमारे साथ भेदभाव होता था।

ये सारी बातें मेरे दिमाग में खटकती रहती थी। सोचता था कि मेरे पास भी पैसे होते, तो घर की जरूरतें पूरी कर पाते।’

गोविंद की यह फैमिली फोटो है। उनके पिता कुलदीप भादू की 2019 में रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। अब उनका परिवार शहर में ही रहता है।

गोविंद की यह फैमिली फोटो है। उनके पिता कुलदीप भादू की 2019 में रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। अब उनका परिवार शहर में ही रहता है।

गोविंद कहते हैं, ‘9वीं की बात है। उस वक्त गांव में वीडियो गेम का दौर था। 10 रुपए देकर बच्चे एक घंटे के लिए वीडियो गेम खेलते थे। मैंने एक पुराना टीवी खरीदकर वीडियो गेम का बिजनेस शुरू कर दिया।

7 रुपए के हिसाब से चार्ज करने लगा। मेरे पास लोग वीडियो गेम खेलने के लिए आने लगे। उसके बाद मैंने पुरानी कॉमिक्स खरीदकर रेंट पर देना शुरू कर दिया।

मेरे दिमाग में बस एक ही चीज थी कि बिजनेस करना है। जॉब नहीं। भले ही रेहड़ी, ठेला क्यों न लगाना पड़े। जब एक रुपए के बदले दो रुपए आने लगे, तो घरवालों को भी लगा कि ठीक ही है। आवारा घूमने से तो अच्छा ही है कि कुछ करके पैसे कमा रहा है।

12वीं के बाद मुझे लगा कि गांव में ही रहा, तो इसी रेत के बीच रह जाऊंगा। मैंने घरवालों से कहा- बीकानेर जाकर कंप्यूटर सीखना है। चाचा मेरे एग्रीकल्चर में थे। उन्होंने कहा- इसकी पढ़ाई कर लो। जॉब लग जाएगी।

मैं एग्जाम देने के लिए गया भी, लेकिन पेपर नहीं लिखा। फेल होने के बाद अब घरवालों के पास भी दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था। उन्होंने शहर भेज दिया। उसी के बाद मसाला बेचने लगा।’

गोविंद की कंपनी यूनिलाइफ हेल्थ केयर, स्किन केयर, पेन केयर रिलेटेड प्रोडक्ट बनाती है। ये प्रोडक्ट्स वह आउटसोर्स करते हैं।

गोविंद की कंपनी यूनिलाइफ हेल्थ केयर, स्किन केयर, पेन केयर रिलेटेड प्रोडक्ट बनाती है। ये प्रोडक्ट्स वह आउटसोर्स करते हैं।

मसाला?

‘हां, और क्या करता। घरवालों का कहना था कि रहने-खाने का खर्च खुद उठाओ। वे सिर्फ कंप्यूटर क्लास की फीस देते थे। मेरे एक दोस्त की मसाले की फैक्ट्री थी। मैं छोटे-छोटे पैकेट में मसाले पैक करके शहर की दुकानों में जाकर बेचने लगा।

करीब एक-डेढ़ साल तक ये बिजनेस चला। सुबह से लेकर रात तक मोटरसाइकिल पर दुकान-दुकान जाता था। मैं सोचने लगा- पैसे कमाने के लिए बिजनेस शुरू किया था। यह तो जॉब से भी मुश्किल है।

इसी के बाद मैंने कई छोटे-छोटे काम करने शुरू किए। प्रिंटिंग से लेकर डिजाइनिंग तक का काम करने लगा। कुछ साल तक मैं दिल्ली से इंडक्शन कुकटॉप जैसे प्रोडक्ट खरीद कर बीकानेर में बेचता था। इससे पैसे बनने लगे।

2005 आते-आते मैंने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर स्किन केयर प्रोडक्ट बनाने की कंपनी शुरू करने के बारे में सोचा। घरवालों को भी लगा कि उनका बेटा बिजनेस कर रहा है। करीब 15 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया। दो साल के भीतर ही कंपनी बंद करने की नौबत आ गई।

दरअसल, मार्केट में इन प्रोडक्ट्स की डिमांड नहीं थी। 25 लोग काम कर रहे थे। सैलरी देने में भी दिक्कत होने लगी। रातों-रात कंपनी बंद करनी पड़ी। घरवालों के 4 लाख रुपए लगे थे। बाकी पैसे मार्केट से लिए थे।

हमारे पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि कमरे का किराया भर पाएं। मुझे आज भी याद है- बाइक बेचकर किराया चुकाया था।’

गोविंद के साथ उनके भाई राकेश और गौतम हैं। स्किन केयर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी डूबने के बाद तीनों ने मिलकर फिर से बिजनेस शुरू किया था।

गोविंद के साथ उनके भाई राकेश और गौतम हैं। स्किन केयर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी डूबने के बाद तीनों ने मिलकर फिर से बिजनेस शुरू किया था।

कहते-कहते गोविंद थोड़े मायूस हो जाते हैं। कुछ देर ठहरने के बाद कहते हैं, ‘मैंने सोचा कि अब छोटे लेवल से बिजनेस शुरू करूंगा। हम तीन भाई हैं। तीनों ने साथ मिलकर स्किन केयर प्रोडक्ट इंपोर्ट करना शुरू किया।

साल 2010-11 के बाद इंडिया में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आ चुका था। मैंने बॉडी डिटॉक्स करने वाले फुट पैच या हील पैड जैसे प्रोडक्ट इंपोर्ट करके ऑनलाइन बेचना शुरू किया। ‘यूनिलाइफ’ नाम से कंपनी बनाई। ये ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिसकी इंडिया में डिमांड है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग नहीं है।

आपको यकीन नहीं होगा। 20 हजार रुपए से मैंने ये बिजनेस शुरू किया था। शुरुआत में दो-चार ऑर्डर आते थे। आज हर रोज 150 के करीब ऑर्डर आते हैं। मैंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को लेकर भी एक खुद की कंपनी शुरू की।’

गोविंद भादू की उदयपुर में क्वार्ट्ज ग्रेन की माइनिंग यूनिट है। इसका इस्तेमाल सेरेमिक इंडस्ट्री में होता है।

गोविंद भादू की उदयपुर में क्वार्ट्ज ग्रेन की माइनिंग यूनिट है। इसका इस्तेमाल सेरेमिक इंडस्ट्री में होता है।

गोविंद मुझे प्रोडक्ट के कुछ सैंपल दिखा रहे हैं। उनका प्रीमियम स्टोन यानी क्वार्ट्ज ग्रेन का भी बिजनेस है। गोविंद कहते हैं, ‘इस स्टोन की सप्लाई गुजरात के मोरबी में होती है। ग्लास, सेरेमिक और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल होता है।

उदयपुर में हमारी माइनिंग साइट है। यहीं पर क्वार्ट्ज स्टोन तैयार किया जाता है। फिर इसे थर्ड पार्टी को सप्लाई करते हैं।’

क्वार्ट्ज ग्रेन का बिजनेस?

‘जब इंपोर्ट्स इंडस्ट्री में कनेक्शन बनने लगे, तो पता चला कि क्वार्ट्ज ग्रेन की माइनिंग राजस्थान के कुछ जिलों में होती है। हमने थर्ड पार्टी वेंडर्स के साथ कॉन्टैक्ट करके ‘अल्फा नेचुरल्स’ की शुरुआत की।

आज 15 से ज्यादा क्लाइंट हैं, जो थोक में स्टोन खरीदते हैं। यह महंगा होता है। इसे ज्यादातर एक्सपोर्ट किया जाता है।’

गोविंद अब तक 50 से ज्यादा सेमिनार अटैंड कर चुके हैं। वह 'शेप योर ड्रीम' नाम से बिजनेस अवेयरनेस को लेकर मुहीम चलाते हैं।

गोविंद अब तक 50 से ज्यादा सेमिनार अटैंड कर चुके हैं। वह ‘शेप योर ड्रीम’ नाम से बिजनेस अवेयरनेस को लेकर मुहीम चलाते हैं।

2019 तक बिजनेस अच्छा चलने लगा। इसी बीच एक रोज मुझे ब्रेन स्ट्रोक आ गया। आधा शरीर पैरालाइज्ड हो गया।

करीब तीन-चार महीने तक मैं बेड पर था। धीरे-धीरे रिकवरी हुई, तो मैंने सोचा कि अब खुद के बिजनेस के साथ-साथ दूसरों के बिजनेस बनाने में भी मदद करूंगा। बतौर बिजनेस मेंटॉर काम करने लगा।

करीब 3 सालों में मैंने 50 से ज्यादा सेमिनार्स अटेंड किए हैं। ‘शेप योर ड्रीम’ के नाम से यंग जनरेशन को बिजनेस के बारे में बताता हूं। मैंने एक किताब भी लिखी है- बिजनेस बियॉन्ड लिमिट्स।

लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल होता है कि एक मसाला बेचने वाला आज तीन कंपनी चला रहा है।



Source link

Loading

अन्य खबरे

जम्मू कश्मीर रहस्यमय बीमारी के लक्षण; न्यूरोटॉक्सिन | राजौरी गांव | स्पॉटलाइट- पहले उल्टी, बेहोशी, कोमा और फिर मौत: जम्मू-कश्मीर में हो रही छुट्टी की वजह, स्वास्थ्य मंत्री ने इसे 'बीमारी' क्यों नहीं कहा

दिल्ली आप उम्मीदवार अवध ओझा साक्षात्कार; अरविंद केजरीवाल कुमार विश्वास | सिसौदिया | ओझा बोले- बीजेपी नामांकन 15 लाख कब देवी: बंटेंगे तो कटेंगे नहीं, विपक्ष पर बात हो; मनीषी सिसोदिया ही मुझे AAP में शामिल किया गया

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1070425
Total Visitors
error: Content is protected !!