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सहारनपुर। गाजियाबाद कांड को लेकर सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाया और न्यायिक कार्यों से विरत रहे। इससे दीवानी कचहरी में कोई सुनवाई नहीं हुई। वादकारियों को बिना सुनवाई के वापस लौटना पड़ा। उन्हें अगली तारीख दी गई। अधिवक्ताओं ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
गाजियाबाद की घटना से अधिवक्ताओं में खासा आक्रोश है। सोमवार को अधिवक्ता सुबह 10 बजे दीवानी कचहरी पहुंचे। अपने चैंबर और बार कक्ष में काली पट्टी बांधकर गाजियाबाद की घटना का विरोध जताया। वादकारी अपनी तारीख पर दीवानी कचहरी आए। अधिवक्ताओं से अपने-अपने मामले में तारीख को लेकर बात की। लेकिन कार्य बहिष्कार के चलते वादकारियों की कोई सुनवाई नहीं हो पाई। ऐसे में उन्हें अगली तारीख लेकर वापस लौटना पड़ा। सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि गाजियाबाद में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज होना देशभर के अधिवक्ताओं का अपमान है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 29 अक्तूबर को गाजियाबाद में जिला जज के न्यायालय में सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं से अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया। विरोध करने पर अधिवक्ताओं पर पुलिस से लाठीचार्ज कराया। न्यायाधीश को उच्च न्यायालय से तत्काल निलंबन करने की मांग की। साथ ही दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि न्यायालय कक्ष में घटित घटना पर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश संज्ञान लें और कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में अधिवक्ताओं के साथ न्यायालयों में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा घटित न हो। न्यायिक कार्य प्रभावित होने की संभावनाओं से बचा जा सके। निशांत त्यागी, जमाल साबरी, अमरीश, गौरव शर्मा, राजेंद्र चौहान, अभय सैनी, मुनव्वर आफताब, जयवीर पुंडीर, अरविंद शर्मा आदि रहे।
गाजियाबाद कोर्ट में 29 अक्तूबर को धोखाधड़ी के एक केस की सुनवाई दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित किए जाने की मांग पर अधिवक्ताओं और जिला जज में बहस हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज किया था।
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