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पंजाब में फिरोजपुर का बल्लू कैसे बन गया लॉरेंस बिश्नोई, पढें- इंटरनेशनल गैंगस्टर बनने की पूरी इ


Gangster Lawrence Bishnoi: गुजरात के साबरमती जेल में बंद कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद फिर से सुर्खियों में आ गया है. लॉरेंस बिश्नोई जो कभी कॉलेज का छात्र था और कैंपस राजनीति में शामिल था, आज वह भारत के सबसे कुख्यात गैंगस्टरों में से एक बन गया है. उसके गिरोह का दबदबा पंजाब के म्यूजिक इंडस्ट्री से लेकर मुंबई की गलियों तक फैल चुका है.

दरअसल, बिश्नोई का सत्ता में आना कैंपस राजनीति से शुरू हुआ, लेकिन पिछले कुछ सालों में उसने न सिर्फ गिरोह के संचालन का विस्तार किया बल्कि क्रूर हत्याओं से लेकर जबरन वसूली रैकेट और हथियारों की तस्करी के पीछे मास्टरमाइंड की भूमिका भी निभाई. मई 2022 में प्रसिद्ध पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसावाला की हत्या ने पंजाब समेत पूरे देश को हिला दिया था. उसी समय लॉरेंस बिश्नोई बेहद सुर्खियों में आया था, जिसके बाद वह भारत के सबसे कुख्यात गैंगस्टर के रूप में जाना जाता है.

लॉरेंस बिश्नोई के इशारे पर की गई थी मूसावाला की हत्या!

तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के इशारे पर 29 मई, 2022 को पंजाब के मानसा जिले में मूसावाला की 6 शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. जांच से पता चला कि कनाडा से काम करने वाले उसके सहयोगी गोल्डी बराड़ ने हत्या की साजिश को अंजाम दिया था. हत्या के लिए 50 लाख रुपये का फंड हवाला नेटवर्क के जरिए ट्रांसफर किए गए थे, जिससे बिश्नोई के गिरोह की इंटरनेशनल पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है. बिश्नोई ने करीबी सहयोगी विक्की मिड्दुखेड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए मूसावाला की हत्या कराई थी.

अब समय के साथ यह स्पष्ट हो गया कि लॉरेंस बिश्नोई ने जेल में रहने के बावजूद भी पूरे देश में गिरोह का विस्तार किया. साल 2018 से 2022 के बीच उसने उत्तर प्रदेश में सहयोगियों के जरिए नौ मिमी पिस्तौल और एके-47 सहित 25 बंदूकें खरीदीं और इन हथियारों का इस्तेमाल न केवल मूसावाला की हत्या में किया गया, बल्कि देश भर में अन्य अपराधों में भी किया गया.

लॉरेंस बिश्नोई का शुरुआती जीवन से गैंगस्टर तक का सफर

लॉरेंस बिश्नोई का असली नाम बालकरन बरार उर्फ बल्लू है. लॉरेंस का जन्म पंजाब के फिरोजपुर में 12 फरवरी 1990 को हुआ था. उसके पिता पंजाब पुलिस में थे, कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति में हिस्सा लेते हुए 2007 में पहली बार लॉरेंस पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ. जिसके बाद उसका रुझान अपराध की ओर बढ़ने लगा. धीरे-धीरे लॉरेंस ने लोगों के बीच हनक बढ़ाते हुए गैंग बनाया, जिसमें गोल्डी बराड़ और संपत नेहरा जैसे कुख्यात नाम शामिल हुए. बिश्नोई की रणनीति और उसके विचारधारा के चलते उसके गैंग का नेटवर्क कई राज्यों और विदेशों तक फैल चुका है.

लॉरेंस बिश्नोई का ‘सिंडिकेट मॉडल’ दाऊद इब्राहिम से प्रेरित

लॉरेंस बिश्नोई ने दाऊद इब्राहिम की तर्ज पर एक संगठित अपराध सिंडिकेट खड़ा किया है. इसमें 700 से अधिक शूटर शामिल हैं. शूटरों का यह गैंग भारत के पांच राज्यों और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इटली जैसे देशों में फैला हुआ है. इस नेटवर्क का उद्देश्य ड्रग्स, एक्सटॉर्शन और हिंसक घटनाओं के जरिए आतंक फैलाना है. पिछले कुछ सालों में इस गैंग ने सिद्धू मूसेवाला और बाबा सिद्दीकी की हत्या जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम दिया है.

सलमान खान पर हमले की थी प्लानिंग

2018 में बिश्नोई ने साथी संपत नेहरा को मुंबई में सलमान खान पर हमले का आदेश दिया था. हमले के प्लान में सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट की रेकी की गई और साथ ही लॉन्ग रेंज वाली हथियार की व्यवस्था भी की जा रही थी. हालांकि, हरियाणा पुलिस ने समय रहते नेहरा को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की पूछताछ में नेहरा ने सलमान पर हमले की बात कबूली लेकिन इस घटना ने सलमान के सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. इसके बाद सलमान खान की सुरक्षा बढ़ाई गई.

जेल से ऑपरेटिंग नेटवर्क और ब्रह्मचर्य जीवन

लॉरेंस बिश्नोई के वर्किंग स्टाइल की बात करें तो वह जेल से ही सिंडिकेट को ऑपरेट कर रहा है. दिलचस्प बात यह है कि वह ब्रह्मचर्य जीवन जीता है और उसने गैंग में सख्त अनुशासन लागू किया है. सभी सदस्यों को महिलाओं के संपर्क में आने से मना किया गया है, ताकि सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचा जा सके. नवरात्रि में मौन व्रत रखना, दही का सेवन करना और साधारण भोजन करना उसकी दिनचर्या का हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान बिश्नोई गैंग बड़े आपराधिक वारदातों को अंजाम देता है. जैसे दशहरे पर बाबा सिद्दीकी की हत्या.

सोशल मीडिया के जरिए गैंग बना युवाओं का आकर्षण

सोशल मीडिया पर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के नाम से सैकड़ों पेज बने हैं जो आज-कल के युवाओं को अपराध की ओर आकर्षित कर रहे हैं. गैंग से जुड़ने के लिए इच्छुक युवाओं को पहले छोटे-छोटे टास्क दिए जाते हैं और इसके बाद उन्हें गैंग में शामिल किया जाता है. कई युवा तेजी से पैसा कमाने के चक्कर में इस गैंग का हिस्सा बन रहे हैं, जिससे समाज में अपराध का स्तर और भी बढ़ता जा रहा है.

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