UP Bypoll 2024: उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव से कांग्रेस ने दूरी बनाने का फैसला लिया है. कांग्रेस ने एक भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है. हालांकि गठबंधन का साथी होने के नाते उसने सपा का साथ देने का ऐलान किया है. कांग्रेस के इस फैसले के बाद यूपी में 30 साल पुराना इतिहास दोहराते हुए दिखाई दे रहा है. फर्क ये है कि उस वक्त कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी और सपा ने अपना कोई प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा था.
कांग्रेस ने अपने गठबंधन की सहयोगी समाजवादी पार्टी का साथ देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है. लेकिन राजनीति के इतिहास में ये त्याग कोई नया नहीं है. हिन्दी अखबार अमर उजाला ने अपनी 30 साल पुरानी एक खबर जिक्र करते हुए ये सपा-कांग्रेस के इस रिश्ते की कहानी बयां की है. खबर के मुताबिक़ साल 1993 में देश के नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब सपा ने बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था.
तब सपा ने दिया था कांग्रेस का साथ
खबर के मुताबिक तब बीजेपी के सामने कांग्रेस पार्टी मैदान में थी और समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. हालांकि उस समय सपा ने कांग्रेस या किसी और राजनीतिक दल के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था. इस दौरान सपा नेता के प्रधान महासचिव रहे कपिल देव सिंह ने दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के साथ सहयोग करने के संकेत दिए थे, ताकि बीजेपी को मात दी जा सके.
बता दें कि यूपी में कांग्रेस ने उपचुनाव में एक भी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है. कांग्रेस ने सभी नौ सीटों पर सपा का समर्थन देने का ऐलान किया है. कांग्रेस के इस फैसले के पीछे गठबंधन में मनपसंद सीटें नहीं मिल पाना माना जा रहा है. कांग्रेस मझवां और फूलपुर सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन, सपा ने सिर्फ गाजियाबाद और खैर सीट ही छोड़ी थी. कांग्रेस का मानना था कि इन सीटों पर उसका संगठन कमजोर है ऐसे में बेहतर होगा कि वो चुनाव न ही लड़े.
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