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मनरेगा स्कीम से ‘गायब’ हो गए 84.8 लाख मजदूर! रिपोर्ट में हुआ खुलासा, जानें वजह


Lib Tech Reports: एसोसिएशन ऑफ अकेडेमिक एंड एक्टिविस्ट लिब टेक की ओर से जारी किए एक रिसर्च के मुताबिक इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच मनरेगा योजना के तहत रजिस्टर्ड 84.8 लाख श्रमिकों का नाम इस लिस्ट से हटा दिए गए है. साथ ही 45.4 लाख नए वर्कर्स को जोड़ा गया है.वहीं करीब 39.3 लाख श्रमिकों का नाम हटाया गया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा नाम हटाए जाने की संख्या तमिलनाडु में 14.7% है. उसके बाद छत्तीसगढ़ (14.6%) दूसरे स्थान पर है. जानकारी के अनुसार लिब टेक ने पिछले साल के एक रिपोर्ट में भी बताया था कि वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान 8 करोड़ लोगों को MGNREGS रजिस्ट्री से हटा दिया गया था.

आंध्र प्रदेश में करीब 15% नाम गलत तरीके से हटाए गए
रिपोर्ट के मुताबिक गलत तरीके से हटाए गए नामों का ये आंकड़ा चिंताजनक है. बताया जा रहा है कि लिब टेक के मेंबर्स चक्रधर बुद्ध, शमाला किट्टाने और राहुल मुक्केरा ने अध्ययन में पाया कि आंध्र प्रदेश में लगभग 15% विलोपन गलत थे. इतनी बड़ी संख्या में हटाए नाम सरकार की ओर से आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को बढ़ावा देने से जुड़ी हुई है. 

जनवरी 2023 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने MGNREGS के लिए ABPS के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया. इसके तहत श्रमिकों को ABPS के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती हैं, जैसे कि उनका आधार उनके जॉब कार्ड से जुड़ा होना चाहिए और बैंक अकाउंट भी आधार से लिंक होना चाहिए. लिब टेक के रिपोर्ट के अनुसार सभी रजिस्टर्ड वर्कर्स में से 27.4% (6.7 करोड़ वर्कर) और 4.2% एक्टिव श्रमिक (54 लाख श्रमिक) ABPS के लिए अयोग्य हैं. 

हटाए गए नामों की संख्या ने एक नई चिंता को उजागर किया 
अक्टूबर 2023 में एक्टिव वर्कर की संख्या 14.3 करोड़ थी, जो अक्टूबर 2024 में घटकर 13.2 करोड़ रह गई. साथ ही, वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में इस वर्ष व्यक्ति दिवसों में 16.6% की कमी आई है जो ग्रामीण रोजगार योजना की स्थिरता पर सवाल उठाती है. इस प्रकार मनरेगा के तहत श्रमिकों के नाम हटाए जाने और रोजगार के अवसरों में गिरावट ने एक नई चिंता को जन्म दिया है, जिससे यहां के लोगों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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