संवाददाता-संजय सागर (आगरा input)
यूसीसी से सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा : राजेश खुराना
आगरा। यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता पर बहस शुरू हो गई। पीएम मोदी ने पहली बार युसीसी पर खुलकर बात रखी और इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकार जल्द ही कानून ला सकती है। इसमें सभी नागरिकों के लिए समान कानून होंगे फिर चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, समुदाय या क्षेत्र से हो। इससे देश के सभी नागरिक समान रूप से प्रभावित होंगे और देश के सभी नागरिकों के लिए नियम-कानून एक समान होंगे।
इस संदर्भ में आगरा स्मार्ट सिटी,भारत सरकार के सलाहकार सदस्य राजेश खुराना ने बताया कि समान नागरिक संहिता भारत को और मजबूत करेगी तथा यूसीसी से सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा। सौ साल आगे की सोचने बाले दूरदर्शी व्यक्तित्व डॉ. बीआर अंबेडकरजी ने 70 वर्ष पूर्व कहा था कि “मैं चाहता हूं कि सभी लोग पहले भारतीय बनें, अंत में भारतीय और भारतीयों के अलावा और कुछ नहीं” इसलिए परिवार में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो तो वो घर चल नहीं पाएगा। एक घर में दो कानून कभी भी नहीं चल सकते तो फिर एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं। हमें अन्य दृष्टिकोणों पर भी विचार करना चाहिए, क्योंकि अक्सर, दूसरा दृष्टिकोण ही सही दृष्टिकोण होता है। भारत सबसे पुराना, सबसे बड़ा, सबसे कार्यात्मक और जीवंत लोकतंत्र हैं। जो वैश्विक शांति और सद्भाव को स्थिरता दे रहा है। हम अपने समृद्ध और फलते-फूलते लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों पर आंच नहीं आने दे सकते। इसलिए समान नागरिक संहिता समाज और आपके विकास पथ के लिए सबसे सुरक्षित गारंटी है। पुरे विश्व में भारत की छवि एक धर्मनिरपेक्ष देश की है। ऐसे में कानून और धर्म का आपस में कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। सभी लोगों के साथ धर्म से परे जाकर समान व्यवहार लागू होना जरूरी है। समान नागरिक संहिता आने से महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी। यूनिफॉर्म सिविल कोड पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसा कानून लागू है। इन देशों के अलावा मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और मिस्र समेत कई देशों में इसी तरह के कानून लागू हैं। फ्रांस, इटली, ब्राजील, कनाडा के भी अपने सिविल कोड हैं। वहीं, गोवा में काफी पहले से UCC लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है और वहाँ सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए समान फैमिली लॉ लागू है।
श्री खुराना ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर देश में भले ही विवाद की स्थिति हो, लेकिन इस मामले में गोवा देश के लिए मिसाल बना हुआ है। गोवा में साल साल 1965 से ही समान नागरिक कानून लागू है। गोवा में उत्तराधिकार, दहेज और विवाह के संबंध में हिन्दू, मुस्लिम और क्रिश्चियन सभी अन्य धर्मों के लिए पूरे राज्य में एक ही कानून लागू है। वहीं गोवा में यदि कोई मुस्लिम अपनी शादी का पंजीयन कराता है तो उसे बहुविवाह करने की अनुमति नहीं है। गोवा में जन्मा कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा विवाह नहीं कर सकता है। यही कारण है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहा है। यदि देशभर में समान नागरिक संहिता लागू हो जाता है तो मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार नहीं रहेगा। देश में समान नागरिक संहिता लागू होती है तो सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होगा। महिलाओं को समान हक मिलने से उनकी स्थिति में सुधार होगा। महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव खत्म होगा और विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संरक्षण से संबंधित मामलों में समान अधिकार प्राप्त होगा। यह कानून में भेदभाव या असंगति के जोखिम को कम करेगी। हर धर्म के अलग -अलग कानूनों से न्याय पालिका पर बोझ पड़ता है। कॉमन सिविल कोड देश की न्याय प्रणाली के लिए बेहतर साबित होगा। इसके आजाने से देश की अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े उन हजारों मामलों का निपटारा जल्दी होगा, जो पर्सनल लॉ के प्रावधानों के चलते अटके पड़े हैं। यूसीसी के लागू होने से सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी और इससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जहां हर नागरिक समान हो, उस समाज का, देश का विकास भी इससे प्रभावित होगा। समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था रहेगी। समान नागरिक संहिता भारत और उसके राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से बांधेगी और यूसीसी के कार्यान्वयन में कोई भी देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी। कॉमन सिविल कानून देश की न्याय प्रणाली और विकास के लिए बेहतर हैं।