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खनन माफिया घाघरा नदी से कर रहे अवैध खनन प्रशासन मौन

 

 

 

                 

          रिपोर्ट:वाइस एडिटर के शुक्ल नारद संवाद

रामनगर /बाराबंकी:उत्तर प्रदेश सरकार के मंसूबों को खनन माफिया के साथ विभाग के अधिकारी और स्थानीय प्रशासन मिलकर लगा रहा पलीता। महंत योगी आदित्यनाथ चाहे लाख दावे कर लें कि भू माफिया और खनन माफिया जेल में रहेंगे। परंतु अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफिया दिन रात अवैध खनन कर सरकार को खुली चुनौती दे रहे हैं। स्थानीय पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे दिन रात सरकारी व दलितों के पट्टे की जमीनों पर अवैध खनन खुलेआम हो रहा है। पुकलैंड मशीन द्वारा सरयू (घाघरा) नदी के सफेद रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली और डंफर दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं। पुलिस प्रशासन जानते हुए भी खनन विभाग का काम बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। पुलिस विभाग और खनन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से सरयू नदी के हेतमापुर धाम के किनारे पर बालू का अवैध खनन प्रकाश में आया है।
रामनगर तहसील इलाके के सूरतगंज तलहटी क्षेत्र में हेतमापुर गांव के बाबा नारायण दास की तपोस्थली से सटी सरयू नदी में खनन माफिया दिन-रात बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। लालपुर करौता चौराहे से लेकर बतनेरा हेतमापुर बांध तक खनन कर रहे वाहनों से गिरी रेत की मोटी परत सड़कों पर जम गई है जो छोटी बड़ी दुर्घटनाओं को दावत दे रही है। शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे हैं। बता दें पूर्व में ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था तो स्थानीय पुलिस ने खनन कर रहे दो ट्रैक्टरों को कब्जे लिया था, जिस पर अब तक कोई कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई। यही वजह रही कि बेखौफ होकर खनन माफिया खुलेआम बड़े पैमाने पर नदी से बालू निकासी कर रहे हैं। अवैध खनन से नदियां खोखली हो रही है। उनकी धारा बदल रही है, बरसात का मौसम आने वाला है और ग्रामीणों को अब कटान की चिन्ता सताने लगी है। बेखौफ बालू माफिया नदी का सीना तो छलनी कर ही रहे है, साथ ही भारी मात्रा में राजस्व को हानि भी पहुंचा रहे हैं।

*नदी और बांध के बीच खनन से बढ़ा खतरा*
प्रदूषण से नदियां जहां सिकुड़ती जा रहा रही हैं। वहीं, माफिया बेखौफ बालू का खनन करा रहे हैं। राजनीतिक लोगों की दखलअंदाजी के चलते पुलिस प्रशासन भी इन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। बालू खनन से जहां बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है, वहीं, तटबंध कमजोर होने के साथ बाढ़ का जो इलाका है। कम से कम उसमें तो किसी भी प्रकार का कोई खनन न हो। इससे नदियों के साथ-साथ तटवर्ती इलाके के लोगों के बड़े नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। घाघरा नदी की तबाही से पिछले वर्ष सरसंडा, बेलहरी, केदारीपुर, सुन्दरनगर, हेतमापुर, बबुरिहा,गायघाट, क्वेलीपुरवा,मदरहा गांव सहित दर्जनों गांवों के लोग भयंकर बाढ़ की चपेट में आने से परिवार को किसी तरह बचाकर भागकर बंधे पर रहने को मजबूर थे। वही ग्रामीणों का कहना है कि भू माफियाओं से जब यह कहा जाता है कि यह जमीन हम लोगों की पट्टा है तो वह बताते हैं नदी की धारा में गई जमीन सरकार की हो जाती है हालांकि एक बात और साफ है कि खनन का आदेश उस पार का है और खनन इस पार हो रहा है पहले दिन खनन माफियाओं ने थोड़ी बालू उधर से लाकर नाव पर फोटो खिंचवा लिया था और उसके बाद लगातार दूसरे स्थान पर खनन जारी है । ग्रामीणों ने बताया कि खनन माफियाओं ने एलानिया धमकी दी है कि जो आवाज उठाएगा उसकी आवाज बंद कर दी जाएगी। अब देखना यह है कि खनन माफियाओं पर कार्रवाई होती है खनन ऐसे ही चलता रहेगा।

*खनन माफिया सरयू को छलनी करने में जुटे प्रशासन बना मूक*

*रामनगर बाराबंकी*
उत्तर प्रदेश सरकार के मंसूबों को खनन माफिया के साथ विभाग के अधिकारी और स्थानीय प्रशासन मिलकर लगा रहा पलीता। महंत योगी आदित्यनाथ चाहे लाख दावे कर लें कि भू माफिया और खनन माफिया जेल में रहेंगे। परंतु अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफिया दिन रात अवैध खनन कर सरकार को खुली चुनौती दे रहे हैं। स्थानीय पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे दिन रात सरकारी व दलितों के पट्टे की जमीनों पर अवैध खनन खुलेआम हो रहा है। पुकलैंड मशीन द्वारा सरयू (घाघरा) नदी के सफेद रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली और डंफर दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं। पुलिस प्रशासन जानते हुए भी खनन विभाग का काम बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। पुलिस विभाग और खनन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से सरयू नदी के हेतमापुर धाम के किनारे पर बालू का अवैध खनन प्रकाश में आया है।
रामनगर तहसील इलाके के सूरतगंज तलहटी क्षेत्र में हेतमापुर गांव के बाबा नारायण दास की तपोस्थली से सटी सरयू नदी में खनन माफिया दिन-रात बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। लालपुर करौता चौराहे से लेकर बतनेरा हेतमापुर बांध तक खनन कर रहे वाहनों से गिरी रेत की मोटी परत सड़कों पर जम गई है जो छोटी बड़ी दुर्घटनाओं को दावत दे रही है। शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे हैं। बता दें पूर्व में ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था तो स्थानीय पुलिस ने खनन कर रहे दो ट्रैक्टरों को कब्जे लिया था, जिस पर अब तक कोई कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई। यही वजह रही कि बेखौफ होकर खनन माफिया खुलेआम बड़े पैमाने पर नदी से बालू निकासी कर रहे हैं। अवैध खनन से नदियां खोखली हो रही है। उनकी धारा बदल रही है, बरसात का मौसम आने वाला है और ग्रामीणों को अब कटान की चिन्ता सताने लगी है। बेखौफ बालू माफिया नदी का सीना तो छलनी कर ही रहे है, साथ ही भारी मात्रा में राजस्व को हानि भी पहुंचा रहे हैं।

सरयू नदी और बांध के बीच खनन से बढ़ा खतरा
प्रदूषण से नदियां जहां सिकुड़ती जा रहा रही हैं। वहीं, माफिया बेखौफ बालू का खनन करा रहे हैं। राजनीतिक लोगों की दखलअंदाजी के चलते पुलिस प्रशासन भी इन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। बालू खनन से जहां बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है, वहीं, तटबंध कमजोर होने के साथ बाढ़ का जो इलाका है। कम से कम उसमें तो किसी भी प्रकार का कोई खनन न हो। इससे नदियों के साथ-साथ तटवर्ती इलाके के लोगों के बड़े नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। घाघरा नदी की तबाही से पिछले वर्ष सरसंडा, बेलहरी, केदारीपुर, सुन्दरनगर, हेतमापुर, बबुरिहा,गायघाट, क्वेलीपुरवा,मदरहा गांव सहित दर्जनों गांवों के लोग भयंकर बाढ़ की चपेट में आने से परिवार को किसी तरह बचाकर भागकर बंधे पर रहने को मजबूर थे। वही ग्रामीणों का कहना है कि भू माफियाओं से जब यह कहा जाता है कि यह जमीन हम लोगों की पट्टा है तो वह बताते हैं नदी की धारा में गई जमीन सरकार की हो जाती है हालांकि एक बात और साफ है कि खनन का आदेश उस पार का है और खनन इस पार हो रहा है पहले दिन खनन माफियाओं ने थोड़ी बालू उधर से लाकर नाव पर फोटो खिंचवा लिया था और उसके बाद लगातार दूसरे स्थान पर खनन जारी है । ग्रामीणों ने बताया कि खनन माफियाओं ने एलानिया धमकी दी है कि जो आवाज उठाएगा उसकी आवाज बंद कर दी जाएगी। अब देखना यह है कि खनन माफियाओं पर कार्रवाई होती है खनन ऐसे ही चलता रहेगा।

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