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सदगुरु विशाल साहेब की 47 पुण्यतिथि पर देश विदेश से पहुंचे कई साधु संत

 

          वाइस एडिटर संपादक के के शुक्ल 

 बाराबंकी। सदगुरु विशाल साहेब की 47 पुण्यतिथि पर रविवार को कबीर अध्यात्म संस्थान विशालनगर मुंजापुर में संत निष्ठा साहेब सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित सत्संग एव भण्डारे मेभक्तो का सैलाब रहा। देश विदेश से आये हजारो भक्तो ने सत्संग एव भण्डारे में भाग लिया।रविवार की प्रातः 5 बजे गुरु वन्दना के बाद साढ़े 8 बजे से साढ़े 9 बजे तक सन्त विशाल साहब के वचनामृत पथ का बखान किया गया तथा बाद में सन्तो द्वारा भजन व सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें सन्त निष्ठा साहब ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि मानव जीवन बहुत ही परोपकार से मिलता है। गुरू के बगैर जीवन सफल नही हो सकता है। मनुष्य को आरम्भ से ही छोटी छोटी बातों का सुधार कर कार्य पूर्ण करने का अभ्यास और उत्साह रखना चाहिए जिससे वह बड़े बड़े कार्यो एव साधनाओं को पा सके। सन्त विशाल साहेब के जीवन दर्शन से और आपके बनाये सद्ग्रन्थ मनन से कल्याण पथ में चलने की प्रेरणा एव शक्ति मिलती है।

सन्त निष्ठा साहेब ने कहा कि जिस समय मनुष्य अपनी जिम्मेदारी स्वयं अपने ऊपर लेता है बस उसी समय से वह पुरुषार्थी बन जाता है और जो अपने पैरों के बल खड़ा होने को सीखेगा वही संसार में कल्याण कर सकेगा। परमुखापेक्षी, आरामतलबी कभी भी बिरागी नही बन सकता है। साधुवाद सर्वातीत की दशा है।ईर्ष्या एक ऐसा शब्द है जो मानव के खुद के जीवन को तो तहस-नहस करता है औरों के जीवन में भी खलबली मचाता है। यदि आप किसी को सुख या खुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरों के सुख और खुशी देखकर जलिए मत। यदि आपको खुश नहीं होना है न सही मत होइए खुश, किन्तु किसी की खुशियों को देखकर अपने आपको ईर्ष्या की आग में न जलाएं।
सत्संग के बाद में पूजा आरती के साथ विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया जिसमें पड़ोसी देश नेपाल सहित देश के राजस्थान, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली के आलावा प्रदेश के कोने कोने से हजारों भक्तो ने भाग लिया।
सत्संग में मैनपुरी से आये सन्त अमर साहेब, लखनऊ से शान्ति साहेब, बकौली अयोध्या से आये सन्त निर्माण साहेब, सन्त प्रभात साहेब, प्रांजल साहेब, रामदीन साहेब ने सदगुरु विशाल साहेब के जीवन पर प्रकाश डाला। सन्त कबीर अध्यात्म संस्थान के अध्यक्ष आलोक दास ने लोगो का आभार व्यक्त करते हुए गुरु की महिमा का बखान किया।

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