मृतक मेहरबान सिंह और हरदास सिंह की फाइल फोटो
झांसी के एक परिवार में लंबे समय बाद बेटी का जन्म हुआ तो परिवार में जश्न का माहौल था। इसी खुशी में बच्ची के दादा अपने भाई के साथ बेटे की ससुराल मिठाई बांटने गए थे। यहां से लौटते हुए उन्हें रास्ते में कार ने टक्कर मार दी, जिससे दोनों भाइयों की मौके पर
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थाना सीपरी बाजार के ग्राम आरी के रहने वाले मेहरबान सिंह का छोटा बेटे नरेंद्र की ससुराल मोठ थाना क्षेत्र के तोड़ी गांव में है। दो माह पहले नरेंद्र की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया तो परिवार में खुशियां आ गईं। इसी खुशी में दादा बने 55 साल के मेहरबान सिंह अपने बड़े भाई 67 वर्षीय हरदास सिंह के साथ सोमवार को मोटरसाइकिल से बेटे की ससुराल में मिठाई बांटने गए थे।
वह रात को जब मोठ से झांसी लौट रहे थे तो इसी दौरान पूंछ थाना क्षेत्र में उन्हें चार पहिया वाहन ने पीछे से टक्कर मार दी। इससे दोनों भाई की मौके पर ही मौत हो गई। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम कराया है।

शव ले जाने के लिए पोस्टमॉर्टम विभाग के बाहर खड़े परिजन
परिवार में सबसे छोटे थे मेहरबान चार भाइयों रंगी लाल सिंह, हरदास सिंह और भैया लाल में सबसे छोटे मेहरबान सिंह थे। ऐसे में उनसे पूरे परिवार का लगाव भी अधिक था। ऐसे में दोनों भाइयों की मौत पर घर मे कोहराम मच गया है।
बोले थे गांव देखेगा बच्ची का जन्मोत्सव मृतक हरदास और मेहरबान सिंह के गांव के ही रहने वाले मुन्ना लाल ने बताया कि मेहरबान सिंह बहुत ही खुश मिजाज़ इंसान थे। जब उनके घर में बच्ची ने जन्म लिया तो वह बहुत खुश थे। उनका कहना था कि वह अपनी पोती का जन्मोत्सव इतनी धूमधाम से मनाएंगे कि पूरा गांव देखेगा।

घटना की जानकारी देता मृतक मेहरबान सिंह का बेटा नरेंद्र, जिसकी बेटी पैदा हुई है
बेटा बोला, पापा कहते थे कि बेटी को डॉक्टर बनाना है परिवार में बेटी के जन्म से खुश मेहरबान सिंह ने अभी से बच्ची के लिए सपने सजाना शुरू कर दिए थे। बेटे नरेंद्र सिंह ने बताया कि जब बेटी का जन्म हुआ तो पिता ने उससे कहा था कि बेटी को खूब पढ़ना। उनका सपना था कि पोती डॉक्टर बने। इस बात को बताते हुए बेटा फूट-फूटकर रो पड़ा।
समधी ने रोका तो बोले अब बच्ची के बिना कहीं मन नहीं लगता मेहरबान सिंह का पोती से दो माह में इतना लगाव हो गया था कि वह कहीं भी रात नहीं रुकते थे। बेटे के ससुरालवालों ने बताया कि सोमवार को घर आए मेहरबान सिंह को उन्होंने रात में रुक जाने के लिए कहा था। लेकिन वह रुकने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि अब पोती की आवाज़ सुने बिना अच्छा नहीं लगता। यह बात कहकर वह घर के लिए निकल गए थे।