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‘ट्रम्प की पार्टी में बहुत से ऐसे नेता हैं, जो दूसरे देशों से आने वाले लोगों से नफरत करते हैं। ट्रम्प के करीबी नेता हों या उनके सलाहकार ज्यादातर की सोच प्रवासियों के खिलाफ है। उनके लिए अमेरिका फर्स्ट सबसे बड़ा नारा है और वो उसी पर काम कर रहे हैं। अब
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ये बात कहने वाले शख्स अमेरिका में रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन के मेंबर हैं। वहां की राजनीति में एक्टिव हैं। ट्रम्प के समर्थक भी हैं। ये कोएलिशन 2015 में बनाया गया था। इसका मकसद अमेरिकी राजनीति में हिंदू-अमेरिकन और इंडियन-अमेरिकन कम्युनिटी को रिपब्लिकन पार्टी के साथ जोड़ना था।
ये ग्रुप अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए लॉबिंग करता है। इसका काम वहां भारतीयों के मुद्दे उठाना और भारत-अमेरिकी संबंधों को मजबूत करना है। अमेरिका में ट्रम्प के चुनाव प्रचार में रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन ने जमकर मेहनत की। रिपब्लिकन पार्टी की नीतियों का समर्थन किया।
ट्रम्प को राष्ट्रपति बने करीब 8 महीने का वक्त बीच चुका है, लेकिन अब तक अमेरिका में रहने वाले उन भारतीयों के हाथ निराशा ही लगी है, जिन्होंने ट्रम्प के लिए प्रचार किया और फंडिंग की। अमेरिका में भारतीयों के लिए इन 8 महीनों में क्या बदला, हमने वहां रह रहे लोगों से समझने की कोशिश की। साथ ही इस बदलाव के पीछे वजह पर भी जानी।

अमेरिका में रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन के प्रोग्राम में रिपब्लिकन पार्टी के लीडर्स शामिल होते रहे हैं।
‘ट्रम्प को सपोर्ट करने वाले भारतीय पछता रहे’ करीब 20 साल से अमेरिका में रह रही प्रियंका (बदला हुआ नाम) बताती हैं, ‘अमेरिका में इंडियन स्टूडेंट स्टडी वीजा लेकर आ जाते हैं। ज्यादातर स्टूडेंट सोचते हैं कि उन्हें कोई नौकरी मिल जाएगी, लेकिन ज्यादातर खाली घूम रहे हैं।’
‘नामी कॉलेजों से पढ़कर आए स्टूडेंट भी अपने सीवी लेकर घूम रहे हैं, क्योंकि यहां जॉब मार्केट की हालत बहुत खस्ता चल रही है। टैरिफ बढ़ने की वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका है। हाउसिंग मार्केट में भी सुस्ती है।‘
प्रियंका बताती हैं, ‘अमेरिका में अगर कोई भी स्टूडेंट वीजा की तय मियाद से ज्यादा रुकता है तो सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्हें भी डिपोर्ट करने की तैयारी चल रही है। वीजा रिजेक्शन पहले की तुलना में बहुत ज्यादा होने वाले हैं।‘
‘भारतीयों के लिए वीजा मुश्किल हुआ, नौकरी पर भी संकट’ प्रियंका बताती हैं, ‘अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जा रही हैं। H1-B वीजा पहले लॉटरी सिस्टम पर आधारित था। लिहाजा कम सैलरी वालों को भी H-1B वीजा मिल जाता था।’
‘कई भारतीय कम सैलरी पर भी आकर काम करते थे और ओवरवर्क करते थे। इसकी वजह से 9 से 5 की जॉब करने वाले अमेरिकियों को दिक्कत होती थी। उन्हें नौकरी से निकाला जाने लगा था। अब नियमों में बदलाव होगा तो H-1B वीजा सिर्फ ज्यादा सैलरी वालों को मिलेगा।’

‘अमेरिका में नौकरी और बसने का सपना, शायद सपना ही रह जाए’ 23 साल के मनप्रीत सिंह (बदला हुआ नाम) पंजाब के रहने वाले हैं। दो साल से अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं। मनप्रीत ने भी पढ़ाई के रास्ते अमेरिका में बसने का प्लान बनाया था, लेकिन वीजा को लेकर बदल रहे नियमों से वो निराश हैं।
वो कहते हैं, ‘मैं जब अमेरिका आया था, तब बाइडेन प्रेसिडेंट थे। उम्मीद थी कि वीजा एक्सटेंशन मिल जाएगा और हम यहां नौकरी कर सकेंगे। बाद में ग्रीन कार्ड लेकर यहीं रह जाएंगे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अभी यहां जो भी भारतीय रह रहे हैं, उन्हें महसूस करा दिया गया है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें अपने देश लौटना ही होगा।’
अमेरिका में जॉब के लेवल पर भी अब काफी चैलेंज है। आमतौर पर अमेरिका में पढ़ने जाने वाले स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं, ताकि अपना खर्च निकाल सकें। मनप्रीत बताते हैं कि अब अमेरिका के जॉब मार्केट में इतनी दिक्कत है कि जो फुलटाइम नौकरियां करते थे, उनकी नौकरियां भी जा रही हैं।
अमेरिका में वकालत पेशे से जुड़े 34 साल के एक युवा ट्रम्प सरकार पर बात करते हुए अपनी पहचान सामने नहीं लाना चाहते। उन्हें डर है कि कहीं उनका अमेरिका में रहना मुश्किल ना हो जाए या उन पर कोई कार्रवाई ना हो जाए।
वे कहते हैं, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि अमेरिका में रहते हुए हमारे आजादी से बोलने पर भी पाबंदी जैसी कोई बात हो सकती है। इसे लेकर कोई कानूनी पाबंदी तो नहीं है, लेकिन डर का माहौल इतना ज्यादा है कि कोई कुछ खुलकर नहीं बोल सकता, खासतौर पर भारतीय।’

‘सरकार बदलने का जिंदगी पर असर, महंगाई बढ़ी- खतरे में नौकरी’ अंकुश भंडारी चंड़ीगढ़ के रहने वाले हैं। वो भी करीब 20 साल से अमेरिका में रह रहे हैं। अंकुश अमेरिका में स्थायी तौर पर रहते हैं और IT इंडस्ट्री में काम करते हैं। शुरू में वो वर्क वीजा पर अमेरिका आए थे, फिर ग्रीन कार्ड मिल गया। अंकुश ना सिर्फ ट्रम्प की नीतियों के समर्थक रहे हैं, बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के भी मेंबर हैं। उन्होंने अमेरिका के चुनाव प्रचार में भी प्रमुखता से काम किया है।
वे कहते हैं, ‘ट्रम्प के दूसरे टर्म में कुछ बदलाव जरूर आए हैं। अगर कोई मेयर या गवर्नर ही बदल जाता है तो जिंदगी पर असर पड़ता है, ऐसे में जब नया प्रेसिडेंट आएगा तो बदलाव होने में कोई ताज्जुब नहीं है। नई सरकार आने के बाद सरकारी तंत्र में चुस्ती आई है, काम पहले की तुलना में तेजी से हो रहे हैं।‘

‘वहीं जो ग्रीन कार्ड या सिटीजनशिप लेने की प्रक्रिया के बीच में हैं। उन्हें भी थोड़ी टेंशन हो रही है कि ऐसा कोई कानून ना आ जाए जिससे उनका प्रोसेस रुक जाए और उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर होना पड़े।‘
टैरिफ वॉर को समझाते हुए अंकुश कहते हैं, ‘टैरिफ वॉर से सरकार को करोड़ों डॉलर्स का फायदा हो रहा है, लेकिन आम लोगों को तो फिलहाल नुकसान ही होगा। लॉन्ग टर्म में फायदा हो सकता है जब कंपनियां यहां आएंगी।‘
अंकुश कहते हैं, ‘हालांकि महंगाई बढ़ गई है। पहले मैं जो ग्रॉसरी 40-45 डॉलर में ले आता था, उसके लिए अब 55-60 डॉलर तक खर्च करने पड़ते हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हालात बेहतर होंगे।‘

अंकुश कहते हैं, ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी की वजह से कई सरकारी विभागों से लोगों को नौकरियों से निकाला गया है। इससे सरकारी विभागों के कामकाज में फुर्ती आई है। वो पहले के मुकाबले ज्यादा एफिशिएंट (दक्ष) हो गए हैं।’
’पिछली सरकार में मैंने एक काम के लिए सरकार को मेल किया था, जिसका जवाब आज तक नहीं आया। अमेरिका में ट्रम्प सरकार बनने के बाद मैंने एक सरकारी विभाग में कामकाज के लिए मेल किया, उसका जवाब 3 दिन में ही आ गया। सिर्फ यही नहीं लोकल पुलिस प्रशासन भी काफी एक्टिव है। ट्रम्प के दौर में कानून व्यवस्था में तेजी से सुधार आ रहा है।’

‘अमेरिका में गैरकानूनी रास्ते से आने वालों को वापस जाना होगा’ अमेरिका के लॉस एंजिलस में रहने वाले शयान अली पाकिस्तान के सिंध प्रांत से हैं। हालांकि, वो खुद को पाकिस्तानी नहीं मानते। सिंधी कहलाना पसंद करते हैं। शयान पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ISI के सताए हुए हैं। अब उन्होंने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया और कृष्ण की भक्ति में लगे रहते हैं।
शयान रिपब्लिकन पार्टी के लॉस एंजिलस में यूथ सेक्रेटरी हैं। वे ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी के कट्टर समर्थक हैं। शयान कहते हैं, ‘कोई किसी भी देश का रहने वाला हो, अगर वो अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से आया है तो उसे वापस जाना ही होगा। अगर कोई स्टूडेंट वीजा, विजिटर वीजा, H1-B वीजा पर आ रहा है तो कानूनी रूप से आने वालों को कोई मनाही नहीं है।’
 
अगर कोई अमेरिका आकर उसी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होगा, फिलिस्तीन का समर्थन करेगा तो उसे दिक्कत हो सकती है। अगर हम ट्रम्प के दूसरे टर्म और ओबामा के पहले टर्म की तुलना करें तो जितने लोगों को ओबामा ने डिपोर्ट किया था, अभी आंकड़ा उससे काफी कम है।

क्या अमेरिका में लोग ट्रम्प के इन फैसलों को लेकर नाराज नहीं है? इसके जवाब में शयान कहते हैं, ’ट्रम्प वही सब कर रहे हैं, जो वादे उन्होंने चुनाव से पहले किए थे। अमेरिका में जो काम करने या पढ़ने आ रहा है, उसके लिए जरूरी है कि वो अमेरिकी कानूनों का पालन करे। आप जिस थाली में खा रहे हो, उसमें छेद नहीं करना चाहिए। अमेरिका ने पूरी दुनिया के लोगों का स्वागत किया, अमेरिका तो देश ही प्रवासियों का है।’
’ट्रम्प ने पिछले 6 महीने में जो किया, वो सारे वादे उन्होंने चुनाव में किए थे। लोगों ने प्रेसिडेंट ट्रम्प को इसी वजह से वोट दिया।’

6 महीने में अमेरिका से 1703 भारतीय डिपोर्ट भारत सरकार के मार्च में संसद में दी जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2025 के बाद से अब तक 388 भारतीयों को डिपोर्ट किया है, जिनमें से 333 सीधे चार्टर्ड उड़ानों से और 55 कॉमर्शियल फ्लाइट्स से आए थे। जनवरी 2025 से जुलाई तक कुल 1,703 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया। यानी रोजाना 8 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जो बाइडेन प्रशासन की तुलना में तीन गुना ज्यादा है।
अमेरिका का कहना है कि ये ऐसे भारतीय हैं जो अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हुए और वहां रह रहे थे।

अमेरिका ने 2025 में शुरुआती 7 महीने में अब तक 1703 भारतीय नागरिकों को भारत डिपार्ट किया है। इनमें 1562 पुरुष और 141 महिलाएं शामिल हैं।
रिपब्लिकन पार्टी के भारतीय मूल के नेता क्या कह रहे हमने इसे लेकर रिपब्लिकन पार्टी में भारतीय मूल के लीडर्स से भी बात की। नाम ना छापने की शर्त पर वो बात करने को राजी हुए। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के लिए इलेक्शन फंड भी रेज किया और चुनाव प्रचार में शामिल रहे। करीब 20 साल से वो रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े हैं।
उन्होंने बताया, ‘पहले की बाइडेन सरकार भारतीयों के प्रति इतनी सख्ती नहीं करती थी। अब तो अगर किसी भी स्टूडेंट के खिलाफ ट्रैफिक से जुड़ा कोई छोटा-मोटा मामला भी हो तो पुलिस उसके पीछे पड़ जाती है। मुझे पता चला है कि करीब 5 करोड़ लोगों को इस तरह से डिपोर्ट करने की तैयारी चल रही है।’
हमने पूछा कि ट्रम्प का भारतीय मूल के लोगों के साथ इस रवैए की वजह क्या है? वो जवाब में कहते हैं,
 
ट्रम्प के आखिरी इलेक्शन में इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी ने ट्रम्प के लिए कोई खास फंड रेजिंग नहीं की। इसकी वजह से ट्रम्प नाराज हैं। PM मोदी भी इलेक्शन से पहले अमेरिका के लॉन्ग आइलैंड में आए, लेकिन ट्रम्प से मिले बिना ही चले गए।

वहीं भारतीय मूल के न्यूजर्सी के नेताओं का कहना है कि वो ट्रम्प प्रशासन के संपर्क में हैं और उनके साथ बैठकें भी कर रहे हैं। वो कहते हैं ‘हमारी कोशिश है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव को कम किया जाए। हम ट्रम्प के सलाहकारों को भी समझाने की कोशिश कर रहे हैं।‘
‘पता नहीं ट्रम्प के मौजूदा सलाहकार कौन सा इतिहास पढ़कर आए हैं। भारत और अमेरिका के पिछले कुछ सालों से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन वो उसे पीछे ले जा रहे हैं। अमेरिका में हर काम लॉबिंग के जरिए होता है, जिसमें मोटा पैसा खर्च करना होगा। हम उस रास्ते से भी ट्रम्प सरकार को मनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
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भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ, ₹5.4 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट प्रभावित

भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर आज यानी, 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया टैरिफ भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकता है। 50% टैरिफ से अमेरिका में बिकने वाले कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे। इससे इनकी मांग में 70% की कमी आ सकती है। पढ़िए पूरी खबर…
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