कानपुर1 मिनट पहले
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कानपुर के परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर में 151 फीट का त्रिशूल स्थापित किया जाएगा। प्रदेश का सबसे ऊंचा यह त्रिशूल ब्रह्म मुहूर्त में सुबह चार बजे कानपुर पहुंचा गया है। त्रिशूल फिलहाल आनंदेश्वर कॉरिडोर के पास ट्रक में रखा गया है।त्रिशूल के आगमन पर जूना अखाड़ा के गुरु मूर्ति और आनंदेश्वर मंदिर के महंत अरुण भारती महाराज ने पूजन-अर्चन किया। इस दौरान मंदिर परिसर बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठा।
इस त्रिशूल के निर्माण का निर्णय जूना अखाड़ा के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज ने सावन माह में लिया था। उनका मानना था कि आनंदेश्वर धाम में भोले बाबा का सबसे ऊंचा त्रिशूल होना चाहिए।
जूना अखाड़े के वरिष्ठ अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज, उमाशंकर भारती महाराज, नारायण गिरि महाराज, केदारपुरी महाराज और सभापति मोहन भारती महाराज सहित सभी गुरु मूर्तियों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी। इसके बाद मुंबई की बजाज कंपनी से त्रिशूल का निर्माण कराया गया। भोलेनाथ के भक्त इस त्रिशूल को देखने के लिए उत्साहित हैं।
महंत विवेक पुरी महाराज ने बताया की ये यूपी का सबसे ऊंचा अष्टधातु का त्रिशूल होगा। इसके पहले पूरे यूपी में प्रयागराज में त्रिशूल लगाया गया है। त्रिशूल सनातन का धार्मिक प्रतीक है। इसलिए पंच दशानन जूना अखाड़ा के द्वारा यह निर्णय लिया गया है की यूपी की मिनी काशी कहे जाने वाले परमट मंदिर में त्रिशूल लगाया जाएगा।
काशी के विद्वान निकलेंगे त्रिशूल लगाने का मुहूर्त…
जूना अखाड़ा के मीडिया प्रभारी आशुतोष कुमार अंश ने बताया कि त्रिशूल भगवान शिव का शक्ति स्वरूप हथियार माना जाता है। इसके लगाने के लिए काशी के 11 विद्वानों से शुभ मुहूर्त निकलवाया जा रहा हैं। इन्हीं विद्वानों ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर के उद्घाटन का शुभ मुहूर्त बताया था।
अष्टधातु से बनाया गया है त्रिशूल…
आशुतोष कुमार ने बताया कि इस महात्रिशूल का निर्माण पांच धातुओं (तांबा, चांदी, लोहा व पीतल, अष्टधातु) से किया गया है। इसकी स्थापना के समय काशी के विद्वान व आचार्य इसके लिए आमंत्रण और जागृत पाठ करेंगे। इसकी स्थापना से शहर में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा ।
