पहलगाम में आतंकी हमले से ठीक पहले का एक वीडियो है। अहमदाबाद के ऋषि भट्ट जिप लाइन राइड शुरू कर रहे थे। तभी गोली चलने की आवाज आई। जिप लाइन ऑपरेटर ने तीन बार कहा- अल्लाह-हू-अकबर। गोलियां चलने की आवाज आने के बावजूद ऑपरेटर नॉर्मल था। वीडियो सामने आया तो स
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इस ऑपरेटर का नाम मुजम्मिल है। NIA ने उससे हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को पूछताछ की थी। हालांकि, तब उसे छोड़ दिया गया था। वीडियो वायरल होने के बाद 28 अप्रैल को उसे दोबारा कस्टडी में लिया गया है। उससे पूछताछ चल रही है। दैनिक भास्कर ने मुजम्मिल के पिता से बात की। वे कहते हैं कि हम मुसलमान हैं, अल्लाह-हू-अकबर बोलते हैं, इसमें क्या गलत है।
इस बीच जांच में सामने आया है कि पहलगाम हमले में आतंकियों को लीड कर रहा हाशिम मूसा पाकिस्तानी सेना में कमांडो रह चुका है। वो 6 महीने पहले सोनमर्ग की जेड-मोड़ टनल पर हुए अटैक में शामिल था। इसी हमले में शामिल एक आतंकी के मोबाइल से पहली बार मूसा की फोटो मिली थी।

अब मुजम्मिल की बात… पहलगाम से करीब डेढ़ किमी दूर लारीपोरा गांव है। मुजम्मिल का घर यहीं हैं। बगल से लिद्दर नदी बहती है। हम पुल पार कर गांव में पहुंचे। यहां कुछ बच्चे मिले। हमने मुजम्मिल का घर पूछा। एक बच्चे ने इशारा करके बता दिया। ईंट की दीवारों वाले दो मंजिला घर में मुजम्मिल का परिवार रहता है। अब्बू-अम्मी, 4 बेटे और 2 बेटियां, कुल 7 लोग। घर देखकर लगता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

ये मुजम्मिल के अब्बू अब्दुल अजीज हैं। दिल के मरीज हैं। कहते हैं कि मेरी खराब तबियत की वजह से ही मुजम्मिल ने मुझे कुछ नहीं बताया।
हमने आवाज लगाई, तो मुजम्मिल के अब्बू अब्दुल अजीज पहली मंजिल से उतरकर नीचे आए। बातचीत शुरू हुई। मुजम्मिल के बारे में अजीज बताते हैं, ‘वो अभी 28 साल का है। सभी भाइयों में सबसे छोटा। हम लोग मजदूरी करते हैं।’
‘मुजम्मिल तीन साल से जिप लाइन का काम कर रहा है। वो 10वीं तक पढ़ा है। 10वीं में फेल हो गया था। वो कुछ काम नहीं करता था। एक दिन कोई आदमी आया। बोला कि इसे मेरे साथ भेज दो, ये जिप लाइन का काम करेगा।’
हमने पूछा- मुजम्मिल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मुजम्मिल जिप लाइन पर एक टूरिस्ट को बैठा रहा है, तभी फायरिंग होती है, मुजम्मिल तीन बार अल्लाह-हू-अकबर बोलता है।
अजीज कहते हैं, ‘मैंने वीडियो नहीं देखा है, लेकिन हम लोग मुसलमान हैं। इसलिए ये तो बोलते ही हैं। तूफान आता है, तब भी यही बोलते हैं। इसमें कोई गलती नहीं है।’
हमले वाले दिन मुजम्मिल घर कब आया था? अजीज जवाब देते हैं, ‘शाम को 5 बजे आया था। उसने कुछ कहा नहीं, बस जोर-जोर से रोने लगा। मैंने पूछा भी कि क्या हुआ। उसने कुछ नहीं बताया। मुझे दिल की बीमारी है, शायद इसलिए नहीं बताया।’

आप थाने गए थे, मुजम्मिल से मिले? अजीज ने बताया, ‘एक बेटा खाना देने गया था, लेकिन मुजम्मिल से नहीं मिलने दिया।’
मुजम्मिल से मिलने उसके भाई मुख्तार थाने गए थे। वे बताते हैं-

हम खाना लेकर थाने गए थे, लेकिन हमारी उससे बात नहीं हो सकी। इसलिए खाना देकर वापस आ गए।
वीडियो बनाने वाले ऋषि बोले- फायरिंग हुई तो पता नहीं चला जिस वीडियो में मुजम्मिल अल्लाह-हू-अकबर कहते सुनाई दिया है, उसे ऋषि भट्ट ने बनाया था। ऋषि अहमदाबाद के रहने वाले हैं। दैनिक भास्कर ने उनसे फोन पर बात की। वे बताते हैं, ‘तब 2:15 से 2:20 बजे का टाइम रहा होगा। मैं जिप लाइन पर था। मुझसे पहले दो टूरिस्ट गए थे। उनके बाद मेरी बारी आई। एक टूरिस्ट को जाने में आधे से एक मिनट लग रहा था। मैं बहुत एक्साइटेड था। इसलिए फायरिंग हुई, तो मुझे बिल्कुल एहसास नहीं हुआ।’
‘मैं जिप लाइन के लैंडिंग पॉइंट पर पहुंचा, तब समझ गया कि आतंकी फायरिंग कर रहे हैं। मैं जिप लाइन पर था, तभी कुछ लोगों को गोली लगी। आप देख सकते हैं वीडियो में लोग दौड़ रहे हैं, उन्हें सीधे गोली लग रही है।’

‘मैं जैसे ही जिप लाइन के लैंडिंग पॉइंट पर पहुंचा, तुरंत परिवार को लेकर भागा। हमने लोगों को गोली लगते देखी, लेकिन किसी आतंकी को सामने से नहीं देखा।’
आपको कब पता चला कि जिप लाइन ऑपरेटर अल्लाह-हू-अकबर बोल रहा है? ऋषि भट्ट बताते हैं, ‘उस समय तो मुझे पता नहीं चला। अहमदाबाद में घर आकर मैंने परिवार के साथ वीडियो देखा। तब पता चला कि फायरिंग हो रही है, तब जिप लाइन ऑपरेटर तीन बार अल्लाह-हू-अकबर बोलता है।’

ये वीडियो ऋषि भट्ट ने मोबाइल से शूट किया था। पीछे दिख रखा शख्स मुजम्मिल है। वो तीन साल से बायसरन घाटी में जिप लाइन ऑपरेट कर रहा है।
ऋषि भट्ट आगे कहते हैं, ‘मुजम्मिल के पीछे खड़ा लड़का उर्दू की कोई किताब पढ़ रहा था। वो नीचे से आया था। मुझे नहीं पता वो कौन सी किताब थी। मुजम्मिल कुछ नहीं पढ़ रहा था। फिर भी अचानक उसने तीन बार अल्लाह-हू-अकबर कहा। ये थोड़ा अजीब लगा। इससे पहले उसने ऐसा नहीं कहा था, मेरी बारी आने पर ही अल्लाह-हू-अकबर क्यों बोला। इसके पीछे क्या वजह हो सकती है, ये तो जांच में पता चलेगा।’
क्या मुजम्मिल को पता था हमला होने वाला है क्या मुजम्मिल को भनक लग गई थी कि आतंकी हमला होने वाला है, इस पर हमने जांच में शामिल सोर्स और कश्मीर के लोगों से बात की। सोर्स बताते हैं, ‘अब तक की पूछताछ में मुजम्मिल के किसी साजिश में शामिल होने की जानकारी नहीं मिल पाई है। न उसकी मिलीभगत सामने आई है। हालांकि, उसे गोली चलने की भनक हो गई थी।’
मुजम्मिल के हमले से ठीक पहले अल्लाह-हू-अकबर बोलने पर लोकल कश्मीरी बताते हैं, ‘मुश्किल वक्त आता है, तब भी अल्लाह-हू-अकबर बोलते हैं। कश्मीरियों को फायरिंग के माहौल में जीने की आदत है। हम गोली की आवाज पहचान लेते हैं। हो सकता है कि गोली की आवाज सुनते ही मुजम्मिल समझ गया कि कहीं फायरिंग हुई है। इसलिए उसने हर फायरिंग पर अल्लाह-हू-अकबर कहां। उसे ये पता नहीं चला होगा कि आखिर फायरिंग कहां हुई है।’
‘अगर उसे पता होता कि फायरिंग उसी जगह हो रही है, तो वो जरूर जिप लाइन रोक देता। तब पहाड़ों में जंगल वाली साइड से फायरिंग हो रही थी। उसे गोली की आवाज तो आई, लेकिन वो ये नहीं समझ नहीं पाया कि फायरिंग उसके ठीक सामने हुई है। तब आसपास के लोग भी नहीं समझ पाए थे कि हमला हुआ है।’
हमले की जांच कहां तक पहुंची पहलगाम हमले के एक हफ्ते बाद अब दो सवाल हैं। 1. अब तक की जांच में क्या-क्या हुआ है? 2. FIR में क्या-क्या है?
100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ; कितने आतंकी थे, अब भी साफ नहीं पहलगाम हमले की जांच NIA कर रही है। पुलिस और जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों से पता चला है कि अब तक 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। सभी के बयान भी दर्ज किए गए हैं। इनमें फोटोग्राफर, घोड़े वाले, बायसरन में दुकान चलाने वाले, जिप लाइन ऑपरेटर और एंट्री के लिए टिकट देने वाले भी शामिल हैं।
NIA के साथ फोरेंसिक टीम भी है। ये टीम पूछताछ के आधार पर सबूत जुटा रही है। अब तक की पड़ताल और टूरिस्टों से मिले वीडियो से ये बात साफ है कि हमले में तीन आतंकी ही शामिल थे। हो सकता है कि और भी आतंकी वहां मौजूद हों, लेकिन उन्होंने फायरिंग नहीं की। वे घाटी के मेन एंट्री पॉइंट और आसपास के एरिया में कवर देने के लिए तैयार थे।
ये भी पता चला है कि आतंकियों को 20 से 25 घंटे तक लगातार पैदल चलने की ट्रेनिंग मिली थी, ताकि हमले के बाद तेजी से सेफ ठिकाने तक पहुंच सकें। आतंकियों ने जिस तरह मूवमेंट करते हुए ही टूरिस्ट को निशाना बनाया, उनके सिर में गोली मारी, इससे साफ है कि आतंकी पूरी तरह ट्रेंड थे और दूर से भी सीधे टारगेट को गोली मार सकते थे।
ऋषि भट्ट के वीडियो से भी पता चला है कि आतंकी जिप लाइन के लैंडिंग यानी आखिरी पॉइंट की तरफ से आए। वहां फायरिंग करने का मकसद था कि लोग भागकर एंट्री गेट की तरफ आ जाएं। वहां दूसरे आतंकी उन्हें टारगेट करने के लिए तैयार थे।
एक वीडियो में एंट्री पॉइंट पर भी एक डेडबॉडी दिख रही है। उसके ठीक पास में दुकान और वॉशरूम के बीच एक शख्स को गोली मारी गई। इन वीडियो की पड़ताल से ये बात साफ होती है कि आतंकी एंट्री पॉइंट के पास बनी दुकानों पर भी फायरिंग से पहले पहुंच चुके थे।

पहलगाम पुलिस ने बायसरन घाटी में आतंकी हमले को लेकर FIR दर्ज की है। इसमें हमले की सूचना मिलने का वक्त 22 अप्रैल की दोपहर 2:30 बजे लिखा है।
बायसरन घाटी में फायरिंग की शुरुआत करीब 2:15 से 2:20 बजे के बीच हुई थी। जिप लाइन के आखिरी पॉइंट के पीछे की झाड़ियों से पहला फायर हुआ। ये बात ऋषि भट्ट के वीडियो और वायरल हो चुके वीडियो की पड़ताल से हुआ है।
पहला वीडियो इसमें एक लड़की को जिप लाइन से आगे भेजा जा रहा है। इसे जिप लाइन से आखिरी पॉइंट तक जाने में करीब 20 से 22 सेकेंड लगे। इसके बाद ऋषि भट्ट को भेजा गया।

दूसरा वीडियो ये वीडियो ऋषि भट्ट का है। वे वीडियो शूट कर रहे थे, तभी दो बार फायरिंग की आवाज आती है। पहली और दूसरी फायरिंग के बाद जिप लाइन ऑपरेटर अल्लाह-हू-अकबर बोलता है। इसी वीडियो में वे आगे बढ़ते हैं, तभी दिखता है कि दूर से एक शख्स को गोली लगती है। वो जमीन पर गिर जाता है। ऋषि उस वक्त जिप लाइन के ऊपर ही थे।

तीसरा वीडियो ये भी जिप लाइन के आसपास से शूट किया गया है। इसमें देख सकते हैं कि जिप लाइन के स्टार्टिंग पॉइंट के पीछे कुछ लोग हैं। सभी डरे हुए हैं। इस वीडियो में 2:23 बजे का टाइम देखा जा सकता है। ये वीडियो 29 मिनट का है। इसके आखिरी में ये हिस्सा शूट हुआ था। इस समय तक फायरिंग होते हुए कुछ मिनट हो चुके थे। इसलिए माना जा रहा है कि पहली फायरिंग करीब 2:15 से 2:20 के बीच हुई थी।

आतंकियों को लीड कर रहा मूसा पाकिस्तानी कमांडो सोर्स बताते हैं कि पहलगाम हमले के दौरान आतंकियों को लीड कर रहा हाशिम मूसा पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप का कमांडो है। अभी वो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था। 15 कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ के दौरान मूसा के पाकिस्तानी सेना में होने के बारे में पता चला।

हाशिम मूसा करीब एक साल से जम्मू-कश्मीर में एक्टिव था। उस पर सिक्योरिटी फोर्स और गैर कश्मीरियों पर हमलों में शामिल होने का शक है। ये भी बताया जा रहा है कि पाकिस्तान सेना ने मूसा को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद वो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। सितंबर, 2023 में उसने भारत में घुसपैठ की। मूसा श्रीनगर के पास बडगाम में एक्टिव था।

4 महीने पहले मारे गए टेररिस्ट के फोन से मिली थी मूसा की फोटो हाशिम मूसा पर 20 अक्टूबर, 2024 को सोनमर्ग में जेड-मोड़ टनल पर हुए हमले में शामिल होने का शक है। इसमें 7 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF ने ली थी। इसके अलावा बारामूला में किए गए अटैक में दो सैनिक और दो पोर्टर की मौत हो गई थी।
आतंकियों ने नागिन इलाके में LoC के पास सेना की गाड़ी पर घात लगाकर हमला किया था। इन हमलों के बाद CCTV फुटेज से आर्मी को एक संदिग्ध के बारे में पता चला था।
2 दिसंबर 2024 में दाचीगाम के जंगलों में सेना ने लोकल आतंकी जुनैद अहमद भट्ट को एनकाउंटर में मार गिराया था। जुनैद लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। उसके फोन में मूसा की फोटो मिली थी। इस फोटो में मूसा के अलावा 3 और आतंकी भी थे। सभी ने आर्मी की ड्रेस पहन रखी थी। ये पहली बार था, जब आर्मी को हाशिम मूसा के बारे में पता चला था।
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