Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
A 151 feet long trident will be installed in Anandeshwar temple of Kanpur | कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर में लगेगा 151 फीट का त्रिशूल: मुंबई की बजाज कंपनी ने किया निर्माण, जूना अखाड़े के संरक्षक की पहल पर निर्णय – Kanpur News Pakistan Loan Total Amount; China Saudi Arabia | Financial Crisis | आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान पर ₹21.6 लाख करोड़ कर्ज, तिजोरी खाली; 11 हजार करोड़ मिलने वाले थे, भारत वो भी रुकवाने जा रहा Fire breaks out in a marriage home in Agra | आगरा में मैरिज होम में लगी आग: लाखों रुपये का सामान जला, एक घंटे में तीन गाड़ियों ने बुझाई आग – Agra News Kashmir Islam Story Explained; Kota Rani | Hindu King Vs Muslim Ruler | हिंदू राजा को मारकर खूबसूरत राजकुमारी से शादी की: कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक कौन था; घाटी में कैसे फैला इस्लाम Bareilly Police beating a youth committed suicide protest | बरेली पुलिस की पिटाई से तंग युवक ने जान दी: जिस रात लड़की भागी, वॉट्सऐप पर दोनों की बात हुई थी; पिता बोले- बेटे को थाने में पीटा – Bareilly News Pakistan Seema Haider Deportation Controversy | India Citizenship | पाकिस्तानी लौटाए जा रहे, सीमा हैदर को क्यों मिली छूट: वकील का दावा- सारे डॉक्यूमेंट्स ATS के पास, लिस्ट में नाम नहीं, बेटी बनी कवच
[post-views]

Kashmir Tourist Attack Story; Pahalgam | India Pakistan War | कश्मीर में आतंकियों को सैलरी-प्रमोशन भी, ये है टेररिज्म इंडस्ट्री: पहलगाम वाले 14 में से 12 आर्टिकल-370 हटने के बाद बने आतंकी


‘मैं 2003 में पाकिस्तान गया था। तब उम्र सिर्फ 14 साल थी। 7वीं में पढ़ता था। नादानी में बॉर्डर पार चला गया। मेरे साथ और भी लोग थे। वहां हमें 2-3 महीने ट्रेनिंग दी गई। 3 महीने बाद फिर कैंप में वापस आए। वहां 5-6 साल रहे। शुरुआत में हर महीने 1 हजार से 15

.

भर्ती, ट्रेनिंग, सैलरी, प्रमोशन पढ़कर शायद लग रहा हो कि ये कॉर्पोरेट कंपनी की बात हो रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये कश्मीर में आतंकी संगठनों के काम करने का तरीका है। दैनिक भास्कर को ये बात बताने वाले शख्स खुद आतंकी रह चुके हैं। फिर सरेंडर करके आम जिंदगी में लौट आए।

पहलगाम में 26 टूरिस्ट के कत्ल के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने 14 लोकल आतंकियों की लिस्ट जारी की है। इन पर पाकिस्तानी आतंकियों की मदद करने का शक है। सुरक्षा एजेंसियों पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों से इनका लिंक भी तलाश रही हैं। 14 में से 12 आतंकियों ने 2019 के बाद आतंकी संगठन जॉइन किया है।

इनमें 19 साल का आदिल रहमान और 25 साल का आसिफ अहमद शेख आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के डिस्ट्रिक्ट कमांडर हैं। 28 साल का जुबैर अहमद वानी हिजबुल मुजाहिदीन का चीफ ऑपरेशनल कमांडर है।

दैनिक भास्कर ने पहले आतंकी रह चुके शख्स और पूर्व आर्मी अफसर से आतंकी संगठनों का स्ट्रक्चर समझा। ये कैसे भर्ती करते हैं, कैसे काम करते हैं और आतंकियों को बदले में क्या मिलता है। पढ़िए ये रिपोर्ट

पहलगाम हमले में शामिल आदिल गुस्से में बना आतंकी कश्मीर में आतंकी संगठनों के टारगेट पर कम उम्र के लड़के होते हैं। कई बार तो वे नाबालिगों को भी अपने साथ जोड़ लेते हैं। आदिल रहमान जब लश्कर से जुड़ा, उसकी उम्र सिर्फ 15 साल थी। ज्यादातर लड़के गुस्से में या किसी लालच में आतंकी संगठनों से जुड़ते हैं।

ये पहलगाम अटैक में शामिल रहे आदिल अहमद ठोकर की पड़ताल के दौरान इसका पता चला। साइंस से ग्रेजुएट और उर्दू में MA करने वाला आदिल टीचर होने के बाद भी आतंकी बन गया। 2017 में उसकी जमीन पर मोबाइल टावर बनाने को लेकर विवाद हुआ था।

पहले आतंकी रह चुके एक शख्स ने धमकी देकर टावर का काम रुकवा दिया था। इससे नाराज होकर आदिल घरवालों को बिना बताए 2018 में आतंकी बनने पाकिस्तान चला गया। तब आदिल की उम्र करीब 26 साल थी।

पुलिस और आर्मी की तरह आतंकियों की भी रैंक और डेजिग्नेशन सोर्स बताते हैं कि आतंकी संगठन नए कैडर को भर्ती करने के बाद उन्हें ट्रेनिंग देते हैं। एक्टिविटी के हिसाब से रैंक देते हैं। फिर उनके जरिए नए युवाओं को भर्ती करवाते हैं। हमारी पड़ताल में आतंकी संगठनों के बारे में तीन बातें पता चलीं।

1. पहलगाम अटैक के बाद जिन 14 एक्टिव आतंकियों की लिस्ट बनाई गई है, उनमें 12 तो 2019 या इसके बाद आतंकी बने। यानी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद। जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया था। एक्टिव आतंकियों में ज्यादातर साउथ कश्मीर यानी अनंतनाग और पहलगाम वाले एरिया के हैं। इनकी उम्र 19 से 27 साल के बीच है।

2. जम्मू-कश्मीर या भारत के दूसरे हिस्से में हमले के लिए आतंकी संगठन लोकल सपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। बायसरन घाटी तक जाने और वहां से लौटने में भी यही तरीका अपनाया। लोकल सपोर्ट की वजह से ही हमले के एक हफ्ते बाद भी आतंकियों की सटीक लोकशन नहीं मिल पा रही है।

3. बायसरन घाटी में अटैक के लिए रूट मैप बनाने की बात सामने आई है। इसमें एक कश्मीरी आतंकी फारुख अहमद टेडवा पर शक है। वो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर जाकर ट्रेनिंग ले चुका है। फिर कश्मीर लौटकर रेकी की। अभी वो पाकिस्तान में ही है। शक है कि उसी ने बायसरन घाटी की लोकेशन और रूट मैप तय किया था।

फारुख को कश्मीर के पहाड़ों का चप्पा-चप्पा पता जांच एजेंसियों की पड़ताल में ये बात साफ हुई है कि आतंकियों के पास बायसरन घाटी तक पहाड़ी रास्ते से आने और हमले के बाद 30 मिनट से पहले सेफ ठिकाने तक पहुंचने का रूट मैप था।

फारुख अहमद टेडवा ऐसे रूट मैप बनाने में एक्सपर्ट है। 45 साल का फारुख कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के कलारुस का रहने वाला है। कुपवाड़ा लाइन ऑफ कंट्रोल से सटा एरिया है, जहां से पाकिस्तानी आतंकी घुसपैठ करते हैं।

सोर्स से पता चला कि फारुख 1990 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर गया था। वहां ट्रेनिंग ली। कश्मीर के बारे में इनपुट दिया। इसके बाद 2016 तक घुसपैठ कर कई बार कश्मीर लौटा। फिर वापस PoK चला गया। 2016 के बाद वो कश्मीर नहीं लौटा। अब वो बॉर्डर पार मौजूद आतंकियों का मेन हैंडलर है। उसे कश्मीर के पहाड़ी इलाकों की अच्छी जानकारी है।

फारुख आतंकियों को पहाड़ों पर चलने से लेकर वहां छिपने तक की ट्रेनिंग देने में माहिर है। पहाड़ों पर किस लोकेशन से चढ़ना है और कहां से उतरना है, आर्मी की नजर में आए बिना किसी लोकेशन पर कैसे पहुंचना है, इसकी तैयारी में फारुख का ही रोल होता है।

कश्मीर में ग्राउंड पर मजबूत नेटवर्क, एप के जरिए आतंकियों के कॉन्टैक्ट में माना जाता है कि फारूख अभी PoK में है। वहीं से ट्रेनिंग और पहाड़ों की लोकेशन कश्मीर में मौजूद आतंकियों को देता है। वो मोबाइल एप के जरिए कश्मीर में उनके कॉन्टैक्ट में रहता है। उसका कश्मीर में ग्राउंड पर काफी मजबूत नेटवर्क है। हाल में ही आर्मी ने उसके घर को ब्लास्ट कर उड़ा दिया था।

सोर्स बताते हैं कि पहलगाम अटैक में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों को फारूख ने ही लॉजिस्टिक सपोर्ट दिलाया था। उनका कॉन्टैक्ट ओवरग्राउंड वर्कर्स से कराया। उन्हीं की मदद से पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों के लिए कश्मीर में लोकल सपोर्ट मिलने के साथ खाने-पीने का इंतजाम होता है।

जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, फारूख को कुपवाड़ा, त्राल और पीरपंजाल रेंज के बारे में अच्छी जानकारी है। फिलहाल कश्मीर में एक्टिव आतंकियों में सबसे ज्यादा अनुभव उसी के पास है। इसलिए किसी भी बड़ी आतंकी घटना में इसकी भूमिका रहती है।

अब पढ़िए पूर्व आतंकी की कहानी कश्मीर में युवाओं का ब्रेनवॉश कर कैसे उन्हें आतंकी बनाया जाता है, कैसे वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ट्रेनिंग दी जाती है। ये जानने के लिए हमने ऐसे शख्स से बात की जो 14 साल की उम्र में PoK में ट्रेनिंग ले चुका है। वो कई साल तक कैंप में रहा। वहीं शादी की। फिर आतंक की राह छोड़कर नॉर्मल जिंदगी गुजारने लगा।

ये शख्स 2003 में PoK गया था। 2012 में कश्मीर लौटा और आर्मी के सामने सरेंडर कर दिया। अब वो मजदूरी करके घर चलाता है। आर्मी और पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसे क्लीनचिट मिल चुकी है। हमने उससे जाना कि कश्मीर के युवाओं को आतंकी कैसे टारगेट करते हैं।

कैंप में ट्रेनिंग, हर महीने 20 हजार रुपए तनख्वाह ‘मैं 2003 में PoK गया था। उस वक्त कश्मीर में काफी आतंकी एक्टिव थे। मैं तब स्कूल में पढ़ता था। कई लोगों ने कहा कि इस काम में मजा है। थोड़ा दबाव भी बनाया। इसलिए मैं बॉर्डर पार चला गया। हम 20-25 लोग थे। छिप-छिपकर PoK गए थे। वहां कैंप में ट्रेनिंग ली। पहले हजार से 1500 रुपए मिलते थे। फिर 20 हजार रुपए तक मिलने लगे।’

आतंक का रास्ता क्यों छोड़ा? जवाब मिला- ‘PoK में कई साल रहते हुए समझ आया कि पाकिस्तान की हालत बहुत खराब है। महंगाई बहुत ज्यादा थी। कैंप से उतने पैसे नहीं मिलते थे।’

‘2008 में मैंने वहीं एक लड़की से लव मैरिज कर ली थी। उसके साथ रहने लगा था। खर्च पूरा नहीं हो पाता था। तब समझ आया कि जो पाकिस्तान हमारे ऊपर खर्च करता है, उसकी खुद की हालत खराब है। मैंने तय कर लिया कि जल्द ही पाकिस्तान छोड़ दूंगा। उस समय माहौल सही नहीं था। 2012 में माहौल अच्छा हुआ, तब 300 से ज्यादा लोग पाकिस्तान से भारत लौट आए। उनमें मैं भी था।’

‘तब मेरी सोच भी ज्यादा नहीं थी। उम्र बढ़ी तो सोच बदली। समझ आ गया कि यहां हमारी जिंदगी खराब हो गई। युवाओं को इसी तरह बरगलाया जाता है। उन्हें गलत रास्ते पर नहीं जाना चाहिए। पहलगाम अटैक का मुझे दुख है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। सभी गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए।’

पाकिस्तान में बैठा TRF लीडर, अभी सबसे खतरनाक संगठन यही खुफिया सूत्रों से पता चला है कि आर्टिकल-370 हटने के बाद लश्कर-ए-तैयबा की एक्टिविटी कम हो गई। तभी साउथ कश्मीर के लोकल आतंकियों ने नया संगठन TRF बनाया। ये लश्कर के लिए काम करता है। इसमें लश्कर के ही आतंकी हैं। तब अब्बास शेख चीफ एरिया कमांडर था। वो साउथ कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला था।

अब्बास ने ही ये तय किया था कि लोकल कश्मीरियों पर कोई हमला नहीं करेगा। कश्मीर में बाहर से आए लोगों और सुरक्षाबलों पर ही अटैक करेंगे। उसने कम उम्र के लड़कों को संगठन में जोड़ा था। 2021 में एक शूटआउट में अब्बास मारा गया था। ये एनकाउंटर श्रीनगर में हुआ था।

इसके बाद से PoK में रहते हुए सज्जाद गुल कश्मीर नेटवर्क संभाल रहा है। वो भी कम उम्र के लड़कों को संगठन में जोड़ता है। उन्हें ट्रेनिंग दिलाता है। उन्हें हिट एंड रन की स्ट्रैटजी सिखाता है। यानी मारो और भागो। निशाने पर गैरकश्मीरी और आर्मी है। जिन युवाओं में बदले की भावना होती है या कोई परेशानी होती है, वे उससे कॉन्टैक्ट कर संगठन में शामिल कर लेते हैं।

सज्जाद गुल पर UAPA के तहत केस दर्ज हैं। इनमें हथियारों की स्मगलिंग, सिक्योरिटी फोर्स पर अटैक, गैर कश्मीरियों की टारगेट किलिंग और भारत में आतंकवाद बढ़ाना शामिल है।

सुरक्षाबलों ने भी आतंकियों की कैटेगरी बनाई, उसी हिसाब से ट्रेसिंग आतंकियों की कैटेगरी और उनकी रैंकिंग का क्या मतलब है? ये समझने के लिए हमने रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर धीमान से बात की। उनसे ऑपरेशनल कमांडर, डिस्ट्रिक्ट कमांडर और A-प्लस से लेकर C कैटेगरी के बारे में पूछा।

वे बताते हैं, ‘जैसे आर्मी, पुलिस या दूसरे ऑफिसों में रैंकिंग होती है, उसी तरह आतंकियों के ग्रुप में भी रैंकिंग है। ये कैटेगरी आर्मी और पुलिस खुद बनाती है, ताकि हम उन पर नजर रख सकें। उन्हें ट्रैक कर सकें। किस आतंकी को कितना ट्रैक करना जरूरी है, इसे ध्यान में रखते हुए रैंकिंग बनाई जाती है।’

‘जैसे किसी आतंकी संगठन का चीफ ऑपरेशनल कमांडर होता है। उसे पूरे स्टेट की जिम्मेदारी दी जाती है। वही उस आतंकी संगठन को ऑपरेट करता है। इसलिए हमारे टारगेट पर सबसे पहले वही होता है। अगर उसे ट्रेस कर लिया तो उससे जुड़े आतंकियों को ट्रेस करना आसान होता है। इसके बाद डिस्ट्रिक्ट कमांडर होता है। उसके पास पूरे जिले की जिम्मेदारी होती है। डिस्ट्रिक्ट कमांडर के नीचे कई कैटेगरी के आतंकी होते हैं।’

QuoteImage

C कैटेगरी का मतलब, जिसने अभी हाल में आतंकी संगठन जॉइन किया है। उसे ट्रेंड किया जा रहा है। कोई पुराना आतंकी भी इस कैटेगरी में हो सकता है, अगर वो कम एक्टिव है।

QuoteImage

‘इसी तरह B-कैटेगरी का मतलब कोई आतंकी 5-6 महीने या उससे ज्यादा वक्त से संगठन में है। और काफी एक्टिव है। इसके बाद कैटेगरी-A का मतलब कोई आतंकी 1 से 2 साल से लगातार एक्टिव है। वो टारगेट को पूरा करने के लिए एक्टिव होता है। इसके बाद सबसे ज्यादा रैंक वाला A+ और A++ की भी रैंकिंग होती है। इस कैटेगरी के आतंकी सबसे ज्यादा एक्टिव और खतरनाक होते हैं। ये 2 साल या उससे ज्यादा समय से लगातार एक्टिव रहते हैं।’

TRF के नाम से ऑडियो जारी, हमले की धमकी दी TRF से जुड़े कमांडर अहमद सलार का पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ऑडियो सामने आया है। ये ऑडियो अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल है। हालांकि, सिक्योरिटी या जांच एजेंसियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

ऑडियो में कहा गया है- कुछ दिन से हिंदुस्तान आर्मी और पुलिस बेगुनाह लोगों को गिरफ्तार कर रही है। ओवर ग्राउंड वर्कर्स को सामान (हथियार) देकर आतंकी साबित कर रहे हैं। कुछ हमारे साथियों और उनके हमसायों (पड़ोसियों) के घर में ब्लास्ट किए गए हैं। अगर किसी को लगता है कि ऐसा करके वो हमारे हौसले पस्त कर देंगे, तो ये उनकी गलतफहमी है। हम पहले ही घर छोड़कर अल्लाह की राह में निकल चुके हैं।

इन्हें ये सब करके खुशी मिलती है। आने वाले वक्त में हम भी इनके साथ यही करेंगे। मकान के बदले मकान। घरवालों के बदले घरवाले। इस बार कोई कैंडल मार्च नहीं होना चाहिए। ये सब इन्होंने (सरकार और आर्मी) शुरू किया है, लेकिन हम इसे खत्म करेंगे।

पाकिस्तान ने इंटरनेशनल बॉर्डर पर चौकियां खाली कीं, झंडे हटाए पहलगाम हमले के 8 दिन बाद 30 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना ने इंटरनेशनल बॉर्डर पर कई पोस्ट खाली कर दी हैं। पाकिस्तानी सेना ने यहां से झंडे भी हटा लिए हैं। ये पोस्ट कठुआ के पर्गवाल इलाके में खाली की गई हैं।

23 अप्रैल से पाकिस्तानी सेना LoC पर लगातार सीजफायर वॉयलेशन कर रही है। इस बीच 29 अप्रैल को भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने हॉटलाइन पर बात की। भारत ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर फायरिंग के लिए पाकिस्तान को चेतावनी दी है।

पूर्व रॉ चीफ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड की कमान केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का नए सिरे से गठन किया है। पूर्व रॉ चीफ आलोक जोशी को इसका चेयरमैन बनाया गया है। प्रधानमंत्री आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) बैठक के बाद ये जानकारी दी गई। CCS की यह दूसरी मीटिंग है, पहली मीटिंग पहलगाम अटैक के अगले दिन 23 अप्रैल को हुई थी।

बोर्ड में कुल 7 लोग हैं। इनमें पूर्व वेस्टर्न एयर कमांडर एयर मार्शल पीएम सिन्हा, दक्षिणी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह, रियर एडमिरल मोंटी खन्ना, रिटायर्ड IPS अफसर राजीव रंजन वर्मा, मनमोहन सिंह और IFS से रिटायर्ड वेंकटेश वर्मा शामिल हैं।

……………………………..

पहलगाम हमले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए

1. जम्मू-कश्मीर के 15 सेक्टर में पाकिस्तान ने बरसाए बम, बंकर में छिपे लोग

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने बारामूला, कुपवाड़ा और जम्मू के 15 सेक्टर में फायरिंग की और रॉकेट दागे हैं। यहां बसे गांवों में जगह-जगह कम्युनिटी बंकर बने हैं। पहले यहां अक्सर फायरिंग होती थी, लेकिन 4-5 साल से शांति थी। इसलिए बंकरों का इस्तेमाल भी बंद हो गया। अब बदले माहौल में गांववाले इन्हें साफ करके फिर से तैयार कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…

2. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री

पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर…



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1693968
Total Visitors
error: Content is protected !!