कृष्ण कुमार शुक्ल,नारद संवाद न्यूज
बाराबंकी। राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविरों में व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव का क्रियात्मक प्रशिक्षण मिलता है। महाविद्यालय में पुस्तकीय ज्ञान प्रदान किया जाता है किंतु शिविर में स्वयं करके सीखने का अवसर मिलता है।उक्त विचार प्रदीप सारंग सदस्य नमामि गंगे जिला गंगा संरक्षण समिति ने वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष सात दिवसीय शिविर कोटवा अमदहा के समापन समारोह में व्यक्त किये। शिविर के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाली स्वयं सेवक शादिया, वंदना और संजना कुमारी को पुरस्कृत किया गया। हिमांशी वर्मा, उजमा बानो, कशिश वर्मा, वंदना की भी प्रशंसा की गई। शिविर में पचास शिविरार्थी उपस्थित रहे। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ बलराम वर्मा ने कहा कि समाज सेवा का पाठ पढ़ लेने वाले छात्र कभी असफल नहीं होते। राष्ट्रीय सेवा योजना का प्रेरक वाक्य है- मैं नहीं आप। यानी दूसरे के लिए भी कुछ करना।विशिष्ट अतिथि एड रजत बहादुर वर्मा अध्यक्ष ग्रीन गैंग ने कहा कि हर एक को अपने जन्मदिन मैरिज एनिवर्सरी सहित प्रत्येक खुशी उल्लास के मौके पर वृक्षारोपण करना चाहिए।महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डॉ राम सुरेश वर्मा ने कहा कि व्यावहारिक प्रशिक्षण, भावी जीवन के संकटों से बचा लेती है। सातों दिन की समीक्षा करते हुए अनेक संस्मरण सुनाए।कार्यक्रम अधिकारी गुलाम नबी के संचालन में सम्पन्न समापन समारोह में शैक्षिक समन्वयक डॉ दिनेश सिंह ने सभी का स्वागत किया और शिविर आख्या प्रस्तुत की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ० रूचि सिंह, डॉ० राम सुरेश वर्मा, विष्णु मिश्रा, जितेन्द्र यादव, राकेश कुमार, संतोष कुमार, नीरज वर्मा, मंजूलता शर्मा, सुष्मिता शुक्ला, प्रदीप, चंद्रेश आदि उपस्थित रहे।