Naradsamvad

हाईकोर्ट के अधिवक्ता की पैरवी के बाद पुलिस का ‘गुडवर्क’ बदल सकता है ‘बैडवर्क’ में, पुलिस महकमे में मचा हड़कंप

 

रिपोर्ट/अब्दुल मुईद नारद संवाद न्यूज बाराबंकी

बाराबंकी, एक साल पूर्व एक तस्कर को 3 किलो मारफीन में जेल भेजने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 10 बाराबंकी के 22 दिसंबर 2023 के फैसले को रद्द करते हुए नया आदेश जारी किया है। इस मामले की मजबूत पैरवी कर रहे उच्च न्यायालय के अधिवक्ता फारूक अय्यूब ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि निचली अदालत ने आवेदक मो. सहीम पुत्र तसव्वर की दलील पर विचार किये बिना ही उसे सरसरी तौर पर खारिज कर दिया।

श्री अय्यूब ने बताया कि हाईकोर्ट ने (राज्य बनाम सहीम) मामले में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या 10, बाराबंकी द्वारा पारित आदेश दिनांक 22.12.2023 को रद्द कर दिया है और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए आवेदक द्वारा दायर आवेदन पर नए सिरे से निर्णय ले। हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश सुभाष विद्यार्थी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि लखनऊ से लेकर बाराबंकी तक सहीम को पकड़ कर लाने वाले दरोगा आलोक सिंह, सिपाही अमित, महेश सिंह और आरोपी का लोकेशन सार्वजनिक स्थानों पर लगे कैमरों के सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड, बतौर साक्ष्य इकठ्ठा किये जायें।

जानिए क्या है पूरा मामला

थाना जैदपुर के टिकरा गांव निवासी सहीम पुत्र तसव्वर ने हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए बताया था कि साढू के लड़के मुन्तसिर को बोर्ड की परीक्षा दिलाने वह दिनांक 26.02.23 को लखनऊ गया था। रात हो जाने के कारण वह मलेशेमऊ लखनऊ में रूक गया था। दिनांक 27.02.23 को समय लगभग 10 बजे प्रातः कुछ पुलिस वाले वहाँ आकर जबरन अपने साथ पकड़ कर जैदपुर थाने ले आये और थाने पर बैठा कर घर वालो से नाजायज धन की मांग करते रहे। मांग पूरी न होने पर मार्फीन बरामदगी का फर्ज़ी केस बनाकर जेल भेज दिया।

 

क्या फर्ज़ी साबित होगा पुलिस का गुडवर्क ?

अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए सहीम ने कुछ खास स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और गिरफ्तार करने वाले पुलिस वालों के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर तलब करने के लिए निचली अदालत में अर्जी दी थी लेकिन निचली अदालत ने उसकी अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसके बाद पीड़ित ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। पीड़ित का दावा है कि उसके मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल नम्बरो की सीडीआर सामने आने के बाद पुलिस का गुडवर्क फर्जी साबित हों जाएगा।

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