शिकायत करते ही शुरू होता खेल! — जहां अंगुली उठती है, वहीं शुरू होती है फर्जी हाजिरी की रफ्तार!
हैदरगढ़ (बाराबंकी)। पत्रकार राघवेन्द्र मिश्रा
मनरेगा योजना का असली चेहरा अब हैदरगढ़ ब्लॉक में बेनकाब होता जा रहा है, जहां खंड विकास अधिकारी संजीव कुमार गुप्ता के संरक्षण में फर्जी हाजिरी का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब किसी ग्राम पंचायत की शिकायत BDO तक पहुँचती है, तो वहां भ्रष्टाचार कम होने की बजाय और तेज़ हो जाता है। यह न केवल प्रशासनिक निकम्मेपन का बल्कि प्रत्यक्ष संरक्षण और कमीशनखोरी के गठजोड़ का सीधा संकेत है।
मनरेगा योजना का असली चेहरा अब हैदरगढ़ ब्लॉक में बेनकाब होता जा रहा है, जहां खंड विकास अधिकारी संजीव कुमार गुप्ता के संरक्षण में फर्जी हाजिरी का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब किसी ग्राम पंचायत की शिकायत BDO तक पहुँचती है, तो वहां भ्रष्टाचार कम होने की बजाय और तेज़ हो जाता है। यह न केवल प्रशासनिक निकम्मेपन का बल्कि प्रत्यक्ष संरक्षण और कमीशनखोरी के गठजोड़ का सीधा संकेत है।
ब्लॉक हैदरगढ़ की ग्राम पंचायत कमेला में दिनांक 16 जुलाई को मास्टर रोल संख्या 2580 में महिला मेट शिव लली ने 10 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की, जिसमें 7 पुरुष व 3 महिलाएं थीं। लेकिन पोर्टल पर अपलोड की गई फोटो में कोई महिला दिखाई ही नहीं दी — यानी फोटो फर्जी और हाजिरी भी जाली। यही नहीं, मास्टर रोल 2581 में भी वही पुरानी फोटो चिपका दी गई और फिर से 10 मजदूरों की नई हाजिरी सिस्टम में दर्ज कर दी गई।
यही नहीं, ग्राम पंचायत कमेला पहले भी चर्चित रही है, और कुछ महीनों पहले यहां ब्लॉक अधिकारियों ने एक बड़ी जांच भी की थी। लेकिन मीडिया को न नतीजा बताया गया, न फॉलोअप हुआ — यानी सब कुछ रफादफा कर दिया गया।
अब सवाल उठता है — क्या ये जांचें सिर्फ दिखावा थीं? क्या BDO संजीव कुमार गुप्ता खुद इस भ्रष्ट तंत्र में साझीदार हैं? क्योंकि जिस अधिकारी की कार्यशैली ही कमीशन आधारित हो, वो भ्रष्टाचार को रोकने के बजाय मनरेगा को बली का बकरा बनाकर अपनी असफलता से ध्यान भटका रहा है। NMMS पोर्टल पर लगातार फर्जी फोटो अपलोड हो रही हैं, लेबर हाजिरी में खेल चल रहा है और फिर भी कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं?
क्या कारण है कि न कोई निलंबन, न प्राथमिकी, और न ही विभागीय चार्जशीट?ऐसे में अब पूरा मनरेगा तंत्र हैदरगढ़ ब्लॉक में अविश्वास और भ्रष्टाचार की दलदल में डूबता नज़र आ रहा है, और BDO की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर अब भी शासन-प्रशासन ने आँखें मूंदी रखीं तो यह भ्रष्टाचार आने वाले समय में और भी विकराल रूप ले लेगा। फिलहाल मामले की जानकारी डीसी मनरेगा को दी गयी है देखना यह होगा कि कार्यवाही क्या होती है।
क्या कारण है कि न कोई निलंबन, न प्राथमिकी, और न ही विभागीय चार्जशीट?ऐसे में अब पूरा मनरेगा तंत्र हैदरगढ़ ब्लॉक में अविश्वास और भ्रष्टाचार की दलदल में डूबता नज़र आ रहा है, और BDO की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर अब भी शासन-प्रशासन ने आँखें मूंदी रखीं तो यह भ्रष्टाचार आने वाले समय में और भी विकराल रूप ले लेगा। फिलहाल मामले की जानकारी डीसी मनरेगा को दी गयी है देखना यह होगा कि कार्यवाही क्या होती है।
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शिकायत करते ही शुरू होता खेल! — जहां अंगुली उठती है, वहीं शुरू होती है फर्जी हाजिरी की रफ्तार!हैदरगढ़ (बाराबंकी)। पत्रकार राघवेन्द्र मिश्रा
मनरेगा योजना का असली चेहरा अब हैदरगढ़ ब्लॉक में बेनकाब होता जा रहा है, जहां खंड विकास अधिकारी संजीव कुमार गुप्ता के संरक्षण में फर्जी हाजिरी का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब किसी ग्राम पंचायत की शिकायत BDO तक पहुँचती है, तो वहां भ्रष्टाचार कम होने की बजाय और तेज़ हो जाता है। यह न केवल प्रशासनिक निकम्मेपन का बल्कि प्रत्यक्ष संरक्षण और कमीशनखोरी के गठजोड़ का सीधा संकेत है।ब्लॉक हैदरगढ़ की ग्राम पंचायत कमेला में दिनांक 16 जुलाई को मास्टर रोल संख्या 2580 में महिला मेट शिव लली ने 10 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की, जिसमें 7 पुरुष व 3 महिलाएं थीं। लेकिन पोर्टल पर अपलोड की गई फोटो में कोई महिला दिखाई ही नहीं दी — यानी फोटो फर्जी और हाजिरी भी जाली। यही नहीं, मास्टर रोल 2581 में भी वही पुरानी फोटो चिपका दी गई और फिर से 10 मजदूरों की नई हाजिरी सिस्टम में दर्ज कर दी गई।यही नहीं, ग्राम पंचायत कमेला पहले भी चर्चित रही है, और कुछ महीनों पहले यहां ब्लॉक अधिकारियों ने एक बड़ी जांच भी की थी। लेकिन मीडिया को न नतीजा बताया गया, न फॉलोअप हुआ — यानी सब कुछ रफादफा कर दिया गया।अब सवाल उठता है — क्या ये जांचें सिर्फ दिखावा थीं? क्या BDO संजीव कुमार गुप्ता खुद इस भ्रष्ट तंत्र में साझीदार हैं? क्योंकि जिस अधिकारी की कार्यशैली ही कमीशन आधारित हो, वो भ्रष्टाचार को रोकने के बजाय मनरेगा को बली का बकरा बनाकर अपनी असफलता से ध्यान भटका रहा है। NMMS पोर्टल पर लगातार फर्जी फोटो अपलोड हो रही हैं, लेबर हाजिरी में खेल चल रहा है और फिर भी कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं?
क्या कारण है कि न कोई निलंबन, न प्राथमिकी, और न ही विभागीय चार्जशीट?ऐसे में अब पूरा मनरेगा तंत्र हैदरगढ़ ब्लॉक में अविश्वास और भ्रष्टाचार की दलदल में डूबता नज़र आ रहा है, और BDO की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर अब भी शासन-प्रशासन ने आँखें मूंदी रखीं तो यह भ्रष्टाचार आने वाले समय में और भी विकराल रूप ले लेगा। फिलहाल मामले की जानकारी डीसी मनरेगा को दी गयी है देखना यह होगा कि कार्यवाही क्या होती है।