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देश में शुरू हुई जानवरों की जनगणना, केंद्र ने एक लाख डॉक्टरों को दिया ये काम


Animal Census: केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शुक्रवार (25 अक्टूबर) को 200 करोड़ रुपये की लागत से 21वीं पशुधन गणना की शुरूआत की. पशुओं की गिनती का काम फरवरी 2024 तक पूरा होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सटीक आंकड़ों की उपलब्धता से सरकार को पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र में उच्च विकास हासिल करने के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.

अगले साल आएगी रिपोर्ट

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के मकसद से 2.5 करोड़ डॉलर की महामारी निधि परियोजना भी शुरू की. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अपने मंत्रालय के अधिकारियों से इस गणना अभियान की नियमित रूप से निगरानी करने को कहा, जिसकी रिपोर्ट अगले साल आएगी.

21वीं पशुधन गणना अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी. गणना प्रक्रिया में अखिल भारतीय स्तर पर लगभग एक लाख क्षेत्रीय अधिकारी शामिल होंगे. इसमें से ज्यादातर पशु चिकित्सक या पैरा-पशु चिकित्सक हैं. गणना में 16 प्रजातियों की 219 देशी नस्लों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे. 

डिजिटल तरीके से रखी जाएगी नजर

केंद्रीय मंत्री ने इस जनगणना में लाए गए इनोवेशन का भी जिक्र किया. इसमें डेटा कलेक्शन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेब-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से वास्तविक समय की निगरानी की बात कही गई, जो कि आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

21वीं पशुधन गणना में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 30 करोड़ से ज्यादा परिवारों को शामिल किया जाएगा. इस जनगणना में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, ऊंट, घोड़ा, खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी जैसी 15 प्रजातियों (मुर्गी को छोड़कर) पर डेटा एकत्र किया जाता है. मुर्गी, बत्तख, टर्की, गीज़, बटेर, शुतुरमुर्ग जैसे पोल्ट्री पक्षियों की गिनती भी हर घर और संस्थानों में जाकर की जाएगी.

केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा, “पशुधन गणना सिर्फ एक गणना नहीं है. यह एक महत्वपूर्ण अभ्यास है जो खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के लिए हमारी राष्ट्रीय रणनीतियों में सहायक है.” 

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