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मजदूरी के साए में पला एक सपना, और आज आसमान को छूता हुआ एक बेटा…”

रिपोर्ट – रोचक अग्निहोत्री (शाहजहांपुर)

शाहजहांपुर के छोटे से कस्बे तिलहर के इमली मोहल्ले की तंग गलियों से निकली एक रौशनी, आज पूरे देश के युवाओं के लिए मिसाल बन चुकी है। ये कहानी है शकील अहमद की, जिनके पिता हाजी तसब्बर हुसैन कभी दिन-रात मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालते थे।वो दिन भी थे जब दो वक़्त की रोटी जुटाना मुश्किल था, लेकिन सपने बड़े थे… और हौसले उससे भी ऊंचे। शकील ने वही सपना देखा जिसे अक्सर हालात कुचल दिया करते हैं—सिविल सर्विस का सपना। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

 

दिल्ली में रहकर दिन-रात मेहनत की। किताबों से दोस्ती की,संघर्ष को साथी बनाया। और आज… मेहनत ने अपना रंग दिखाया। UPSC के फाइनल रिजल्ट में शकील ने 506वीं रैंक हासिल कर ली है, और अब वो बन गए हैं IPS अधिकारी।जब दिल्ली से शकील का फोन घर पहुंचा, तो एक पल को सन्नाटा छा गया… और फिर खुशी के आंसुओं ने सब कुछ कह दिया। पिता की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार मजदूरी की थकान नहीं—गर्व और खुशी के थे।शकील की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, हर उस युवा की है जो सीमित संसाधनों के बीच भी असीमित सपने देखता है। ये कहानी बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।

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