ममता बनर्जी के लिए साल 2025 बड़ा इम्तिहान बनता जा रहा है। पहले भतीजे अभिषेक बनर्जी से तकरार की खबरें, फिर SSC स्कैम में 25 हजार टीचर्स की नौकरी छिनना, उसके बाद पार्टी के बड़े नेताओं के झगड़े की चैट लीक होना और अब मुर्शिदाबाद दंगे पर उठते सवाल।
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क्या ममता बनर्जी के हाथ से फिसलता जा रहा है पश्चिम बंगाल और क्या वो 2026 चुनाव में इस तूफान को पार कर पाएंगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए दंगों में ममता बनर्जी पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
जवाब: भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए सरकार एक नया विधेयक लाई। संसद के दोनो सदनों से पारित होने के बाद 4 अप्रैल को राष्ट्रपति ने भी मुहर लगा दी और ये विधेयक कानून बन गया।
इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ये प्रदर्शन दंगे में बदल गया। 8 अप्रैल को प्रदर्शन करने वालों ने पुलिस की 2 जीपों में आग लगा दी। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़कर स्थिति कंट्रोल की।
2 दिन बाद फिर हिंसा भड़की। इस बार भीड़ ने गाड़ियों और दुकानों में आग लगाई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। इसमें पिता-पुत्र को पीट-पीट कर मार देने की बात सामने आई है। वहीं तीसरे मृतक को गोली लगी है। दर्जनों लोग घायल भी हैं।

11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और भीड़ ने गाड़ियों में आग लगा दी।
हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद के धुलियान से करीब 500 लोग पलायन कर चुके हैं। उन्होंने नदी पार मालदा के वैष्णवनगर के एक स्कूल में शरण ली है। 12 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में सेंट्रल फोर्स की नियुक्त करने के आदेश दिए। पुलिस ने मामले में अब तक 221 लोगों को हिरासत में लिया है।
मामले में ममता बनर्जी पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि मुर्शिदाबाद सहित पश्चिम बंगाल के अन्य इलाकों में वक्फ बिल के विरोध के चलते स्थिति पहले से ही नाजुक बनी हुई थी। सोशल मीडिया पर इसका अंदेशा होने लगा था। इसके बावजूद पुलिस तैयार नहीं थी, जिससे प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया।
ममता बनर्जी का फोकस इस बात पर ज्यादा था कि इस कानून में उनकी कोई भूमिका नहीं है। हिंसा के बाद 12 अप्रैल को उन्होंने कहा- वक्फ कानून राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। कानून केंद्र ने बनाया है, इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र से मांगा जाना चाहिए। मेरी अपील है कि शांत रहें। सभी की जान कीमती है, राजनीति के लिए दंगे न भड़काएं।
पश्चिम बंगाल के लीडर ऑफ अपोजीशन और BJP विधायक सुवेंदु अधिकारी का कहना है कि TMC की तुष्टीकरण की राजनीति ने कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि बंगाल की सरकार ही BJP को आम मुसलमानों को जिहादी कहने का मौका दे रही है।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से खुलासा किया है कि बांग्लादेश में हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठनों का हाथ हो सकता है। BSF की इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम को दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस पर ममता बनर्जी ने कहा कि बॉर्डर तो हमारी जिम्मेदारी नहीं, केंद्र की जिम्मेदारी है।
सवाल-2: TMC सांसदों में आपसी टकराव और चैट लीक, ममता की पार्टी के अंदरखाने क्या चल रहा है?
जवाब: ममता की दूसरी बड़ी मुसीबत पार्टी के बड़े नेताओं के बीच जारी आपसी टकराव है। 4 अप्रैल को 2025 को ये खुलकर सामने आ गया।
दरअसल, हाल ही में चुनाव आयोग ने वोटर ID को आधार से जोड़ने का फैसला किया है। इसके विरोध में TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन और कल्याण बनर्जी समेत कई सांसदों के एक ग्रुप ने चुनाव आयोग के दफ्तर में ज्ञापन सौंपा। इसमें 13 सांसदों के दस्तखत थे।
कहा जा रहा है कि TMC सांसद महुआ मोइत्रा भी मौजूद थीं, लेकिन उन्हें ज्ञापन पर साइन नहीं करने दिया गया। इससे महुआ नाराज हुईं, हालांकि सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोला।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले लिखा, ‘ज्ञापन पर सांसदों से साइन कराने का जिम्मा कल्याण बनर्जी के पास था, जिसकी लिस्ट उनके पास थी, लेकिन जब महुआ मोइत्रा को पता चला कि उनका नाम साइन करने वाले सांसदों की लिस्ट में नहीं है, तो वो कल्याण बनर्जी से जा भिड़ीं। दोनों के बीच बहस होने लगी।’
TMC सांसद कीर्ति आजाद ने बीच-बचाव की कोशिश की। कथित तौर पर गहमागहमी को बढ़ता देख पुलिस को सांसदों के बीच आना पड़ा। कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि महुआ ने उन्हें गिरफ्तार करवाने की कोशिश की। BJP IT सेल के मुखिया अमित मालवीय ने इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया।
इसके बाद सभी सांसद प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए विजय चौक में जुटे। जहां पहले से पार्टी के कुछ सासंद मौजूद थे। उनमें सौगत रॉय भी थे। उन्होंने महुआ को रोते हुए देखा और बनर्जी को खरी-खोटी सुनाई। रॉय ने कहा, ‘मैंने महुआ को रोते हुए और कल्याण के व्यवहार के बारे में कई सांसदों से शिकायत करते हुए देखा।’ रॉय ने कल्याण को लोकसभा में चीफ व्हिप के पद से हटाने की मांग भी की।
कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘अगर दीदी (ममता बनर्जी) कहती हैं कि मैं गलत हूं, तो मैं हमेशा के लिए राजनीति छोड़ दूंगा, लेकिन मैं उस असभ्य महिला सांसद (महुआ मोइत्रा) को बर्दाश्त नहीं करूंगा।’
4 अप्रैल की घटना के बाद सांसदों के बीच वॉट्सएप पर ग्रुप चैट में भी विवाद हुआ, जो बाद में लीक हो गया। 8 अप्रैल को अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसके स्क्रीन शॉट्स शेयर किए।
‘AITC MP 2024’ नाम के वॉट्सग्रुप में कल्याण बनर्जी ने इशारों-इशारों में महुआ मोइत्रा को इंटरनेशनल ग्रेट लेडी और वर्सेटाइल इंटरनेशनल लेडी कहा। कथित तौर पर कीर्ति आजाद ने कल्याण बनर्जी के व्यवहार की आलोचना करते हुए उन्हें बच्चा बताया और एक वयस्क की तरह व्यवहार करने को कहा।
सवाल-3: SSC घोटाला क्या है, जिसके कारण 25 हजार टीचर्स को नौकरी गंवानी पड़ रही है?
जवाब: ममता की तीसरी बड़ी मुसीबत SSC घोटाला है। पश्चिम बंगाल स्टाफ सर्विस कमीशन यानी WBSSC ने 2016 में राज्य सरकार के स्कूलों के 24,640 खाली पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा कराई। इसमें टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ शामिल था। करीब 23 लाख लोगों ने परीक्षा दी।
परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जब अपॉइंटमेंट लेटर देने की बारी आई तो 25,753 लोगों को लेटर भेजे गए। यह खाली पदों से 1,113 ज्यादा थे। WBSSC ने सभी उम्मीदवारों की उनके मार्क्स के साथ कॉमन लिस्ट भी जारी नहीं की थी। इसके बाद जब मामले की जांच हुई तो उसमें एक के बाद एक कई गड़बड़ियां सामने आईं…
- परीक्षा में इस्तेमाल हुई OMR शीट के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
- फर्जी मेरिट लिस्ट जारी की गई, जिसमें कम नंबर वाले उम्मीदवारों को ज्यादा नंबर वालों से ऊपर जगह दी गई।
- जो उम्मीदवार मेरिट लिस्ट और वेटिंग लिस्ट दोनों में नहीं थे, उनकी नियुक्ति हो गई।
- उन लोगों के भी अपॉइंटमेंट लेटर जारी किए गए, जिनकी आंसर शीट पूरी खाली थी।
- जिन्हें अपॉइंटमेंट लेटर मिले, उनमें से कई लोगों ने नौकरी पाने के लिए रिश्वत दी थी।
मामले की जांच कर रही CBI ने मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद ED ने 23 जुलाई, 2022 को राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया।
22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल SSC घोटाले में सभी 25,753 टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को रद्द कर दिया।

पश्चिम बंगाल की सड़कों पर धरना देते टीचर्स। प्रदर्शनकारी टीचर्स ने WBSSC परीक्षा की OMR शीट सार्वजनिक करने की मांग की है।
हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद आदेश पर स्टे लग गया। हालांकि, 3 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए शिक्षकों की भर्ती रद्द करने के ही आदेश दिए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोर्ट के इस फैसले पर कहा- ‘मेरे ख्याल से ये CPI (M) और BJP का किया-धरा है। मैं यह फैसला नहीं मान सकती।’ उन्होंने इस फैसले को मानवीय दृष्टि से भी गलत बताया।
सवाल-4: क्या ममता बनर्जी और भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच भी सब कुछ सही नहीं है?
जवाब: कई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि बीते कुछ समय से ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच ‘कोल्ड वॉर’ चल रहा है। जानकार इस टकराव को ‘प्रबीन बनाम नबीन’ नाम दे रहे हैं, जिसमें एक ओर ममता बनर्जी के वफादार ‘ओल्ड गार्ड्स’ हैं। वहीं दूसरी ओर अभिषेक बनर्जी के करीबी ‘यंग टर्क’ हैं…
- डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 2 जनवरी 2025 को नबन्ना भवन में एक मीटिंग हुई, जिसमें CM ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती से ममता ने पूछा कि क्या आपने कभी लोगों की दिक्कतें जानने के लिए बस स्टॉप का दौरा किया? जवाब में चक्रवर्ती सिर्फ बुदबुदाए।
- इसके बाद ममता ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को प्राइमरी स्कूल में सेमेस्टर सिस्टम शुरू करने के प्लान के लिए फटकार लगाई और कहा कि हम बच्चों पर बोझ कम करने की कोशिश कर रहे हैं, बढ़ाने की नहीं। इस घटना ने काफी सुर्खियां बटोरी। चक्रवर्ती और बसु, अभिषेक बनर्जी के करीबी हैं और पार्टी की अगली पीढ़ी के नेता हैं।
- इसके पहले नए साल के प्रोग्राम में कलाकारों को बुलाने को लेकर भी ममता और अभिषेक में टसल दिखी। पार्टी के कुछ सीनियर लीडर्स ने कुछ कलाकारों का बहिष्कार करने को कहा, जिसे अभिषेक बनर्जी ने खारिज कर दिया। हालांकि, बाद में उन कलाकारों की परफॉर्मेंस को रद्द कर दिया। दरअसल, इन कलाकारों ने आरजी कर रेप केस में ममता सरकार का विरोध किया था।
- फरवरी में ममता के चलते अभिषेक बनर्जी के BJP जॉइन करने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं। इन्हें खारिज करते हुए अभिषेक ने कहा, ‘मैं TMC का वफादार सिपाही हूं और मेरी नेता ममता बनर्जी हैं। जो लोग कह रहे हैं कि मैं BJP में शामिल हो रहा हूं, वे झूठ फैला रहे हैं।’
- TMC के भीतर सीनियर लीडर्स के रिटायरमेंट की मांग को भी अभिषेक बनर्जी सपोर्ट करते हैं। उन्होंने कहा, ‘दूसरे पेशों की तरह नेताओं को भी एक तय उम्र के बाद रिटायर हो जाना चाहिए, ताकि नए नेताओं के लिए जगह बने।’ हालांकि ममता ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘सीनियर लीडर्स का सम्मान किया जाना चाहिए।’
पॉलिटिकल एक्सपर्ट और सोशल साइंटिस्ट सुरजीत सी मुखोपाध्याय के मुताबिक,

नबीन बनाम प्रबीन’ या ममता बनाम अभिषेक का झगड़ा TMC ने पार्टी और उसके नेताओं की छवि को बेहतर बनाने और पार्टी में असंतोष को कंट्रोल रखने के लिए किया था।
सवाल-5: और कौन-सी बातें हैं, जिनसे ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं?
जवाब: धरना, दंगे, कोल्ड वॉर, पार्टी टसल के अलावा कुछ ऐसे फैक्ट्स भी हैं, जो ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं…

सवाल-6: क्या ममता बनर्जी के मजबूत हाथों से पश्चिम बंगाल और उनकी अपनी ही पार्टी फिसल रही है?
जवाब: 1998 में कांग्रेस से अलग होकर TMC बनाने वाली ममता बनर्जी का हमेशा से अपनी पार्टी पर कंट्रोल रहा है, लेकिन बीते कुछ समय से ममता का कंट्रोल कमजोर होता दिख रहा है।
कोलकाता की सीनियर जर्नलिस्ट मोनीदीपा बनर्जी के मुताबिक, TMC सांसदों के बीच लड़ाई होना और वॉट्सएप चैट का लीक होना, पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। एक पार्टी जो दीदी (ममता बनर्जी) के सख्त और उदार नेतृत्व में एकजुट होने की छवि पेश करती थी। अब एक मछली बाजार की तरह दिख रही है। पश्चिम बंगाल में एक संकट से दूसरे संकट में फंसती ममता, दिल्ली में पार्टी के मामलों पर अपनी पकड़ खोती जा रही हैं। इससे TMC को नुकसान हो सकता है।
सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एनालिस्ट जयंत भट्टाचार्य के मुताबिक, ममता बनर्जी की सरकार और उनकी पार्टी दोनों ही संकट का सामना कर रही हैं। शायद ऐसा पहली बार है कि ममता बनर्जी अपनी पार्टी और सरकार को अंदर से टूटने से बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। ऐसे में अगले साल राज्य के विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। 2011 में ममता बनर्जी तीन दशक पुरानी लेफ्ट सरकार के खिलाफ कई आरोपों के दम पर सत्ता में आई थीं। आज फिर विपक्ष उन पर कुछ ऐसे ही आरोप लगा रहा है।
सवाल-7: क्या ममता इस तूफान से निकल जाएंगी या 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान होगा?
जवाब: कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्रोफेसर सायंतन घोष के मुताबिक, मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल का जो माहौल है, वो TMC की अपने आधार खासकर मध्यम वर्ग पर पकड़ कमजोर कर सकता है। साथ ही अगले साल होने वाले चुनावों में जनता का असंतोष TMC के खिलाफ वोटों में तब्दील हो सकता है। शासन में कमी आने पर TMC का ‘मां, माटी, मानुष’ का मंत्र खोखला लग रहा है। ऐसे में BJP इस मौके को झपटने और पश्चिम बंगाल में वापसी करने की कोशिश कर सकती है।
सीनियर जर्नलिस्ट मोनीदीपा बनर्जी मानती हैं कि अगले 12 महीने तक ममता बनर्जी को अपनी पार्टी और राज्य पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है। बनर्जी के मुताबिक, आरजी कर रेप केस के बाद अब टीचर्स सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन्हें लोगों को सपोर्ट मिल रहा है। जनता में अंसतोष का दूसरा विस्फोट TMC चुनावी साल में बर्दाश्त नहीं कर सकती है।
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रिसर्च सहयोग: श्रेया नाकाड़े
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भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव कर केंद्र सरकार नया कानून बना दिया है। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसका विरोध कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए…