ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने रमज़ान को लेकर कहा, “मैं सबसे पहले रमज़ान शरीफ की मुबारकबाद पेश करता हूँ और तमाम नागरिकों को इस मुकद्दस महीने की बधाई देता हूँ। रमज़ान का यह पवित्र महीना बरकतों, रहमतों और मग़फ़िरत से भरा हु
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अल्लाह तआला ने इस महीने को अपनी इबादत के लिए मुक़र्रर किया है, जबकि बाकी 11 महीने इंसानों के लिए बनाए गए हैं।
इस्लाम के पाँच अरकान में से एक, रोज़ा, बहुत अहमियत रखता है और यह एक फ़र्ज़ इबादत है। अगर कोई बालिग़ मुसलमान-चाहे वह मर्द हो या औरत बिना किसी सही वजह के रोज़ा नहीं रखता, तो वह सख्त गुनहगार होगा।
अल्लाह की रहमत से भरपूर इस महीने में तमाम मुसलमानों को इससे भरपूर फ़ैज़ हासिल करना चाहिए। इसलिए, रमज़ान के सम्मान को बनाए रखने के लिए खाने-पीने की दुकानों, होटलों और रेस्टोरेंट्स को दिन में बंद रखा जाए और इफ्तार के बाद ही खोला जाए। ताकि इस पाक महीने की गरिमा बनी रहे।”
बरेली, जहां आला हज़रत की प्रसिद्ध दरगाह है। ये दरगाह मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण मज़हबी स्थल है। यहाँ रमजान का महीना बहुत ही जोश-ओ-खरोश और अकीदत के साथ मनाया जाता है।
यहाँ के लोग पूरे महीने रोज़ा रखते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं और गरीबों को सदक़ा देते हैं।
रमजान का महत्व
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। यह महीना मुसलमानों के लिए बहुत ही मुक़द्दस माना जाता है। इस महीने में रोज़ा रखना, नमाज़ पढ़ना, कुरान की तिलावत करना और गरीबों को सदक़ा देना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस्लामी अक़ीदों के अनुसार, रमजान के महीने में ही अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद पर कुरान का नुज़ूल किया था। इसलिए, इस महीने को बहुत ही मुक़द्दस माना जाता है।रमजान के महीने में मुसलमान सुबह से शाम तक कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं।
वे सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी खाते हैं और शाम को सूरज डूबने के बाद इफ्तार करते हैं। वे दिन में पाँच बार नमाज़ पढ़ते हैं और कुरान की तिलावत करते हैं। वे गरीबों को सदक़ा भी देते हैं।
1. फजर – सुबह सेहरी के बाद 2. जुहर – दोपहर में 3. असर – शाम के करीब 4. मगरिब – सूरज डूबने के बाद (इफ्तार के वक्त) 5. इशा – रात में, इसके बाद तरावीह की नमाज़
तरावीह की नमाज़
तरावीह रमज़ान में पढ़ी जाने वाली खास नमाज़ है जो इशा के बाद अदा की जाती है। इस नमाज़ में पूरा कुरआन शरीफ तिलावत किया जाता है। मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ जमात के साथ पढ़ी जाती है।
कुरआन में आया है “रमज़ान वो महीना है जिसमें कुरआन नाज़िल किया गया, जो लोगों के लिए हिदायत है और सच्चाई और ग़लती में फर्क करने वाली निशानी है।”
हदीस में कहा गया है “जब रमज़ान का महीना आता है, तो जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिया जाता है।”
रमज़ान में नेकी और सदका
रमज़ान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि ये खुदा की इबादत करने, अपने गुनाहों की माफी मांगने और गरीबों की मदद करने का महीना है।
इस दौरान ज़कात और सदका देना भी बहुत सवाब का काम माना जाता है। रमज़ान के बाद शव्वाल का चांद नज़र आते ही ईद-उल-फितर मनाई जाती है।