Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
Dehradun News: पुरानी चीजों से नए सपने बुनता देहरादून का नवांकुर फाउंडेशन, महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर बद्रीनाथ में बर्फबारी, जमने लगे प्राकृतिक झरने – News18 हिंदी दुल्हन ने दिल्ली से खरीदा शादी का लहंगा, मां से बोली- ‘घर आ रही हूं’, फिर जो हुआ, सिहर गई GRP – Bride was returning to Meerut from Delhi after buying wedding lehenga sadly What happened next will wrench your heart Indian Railwyas खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में फिर पलटा कनाडा, स्टेटमेंट जारी कर कहा-“भारतीय नेताओं अधिकारियों के खिलाफ नहीं हैं सुबूत” 3 Idiots का ‘चतुर रामलिंगम’ याद है? 15 साल बाद देखकर 360 डिग्री घूमा लोगों का सिर, देखते ही बोले- ये तो साइलेंसर है VIDEO of passengers pushing a roadways bus | रोडवेज बस को धक्का मारते यात्रियों का VIDEO: बाराबंकी परिवहन विभाग की बसों का हाल बेहाल, परिवहन मंत्री के दावे फेल – Barabanki News

Dehradun News: पुरानी चीजों से नए सपने बुनता देहरादून का नवांकुर फाउंडेशन, महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर


देहरादून.‘यथा नामे तथा गुणे’ संस्कृत का यह वाक्य जिसका अर्थ है- जैसा नाम वैसे गुण, देहरादून स्थित इंदिरानगर के नवांकुर फाउंडेशन पर सटीक बैठता है. चार साल पहले 2020 में देहरादून की रहने वालीं दो बहनें दीपिका दत्त और मनीषा बहल ने इसकी शुरुआत की थी. इसका मकसद गरीब तबके से आने वाली महिलाओं को सशक्त करना और उन्हें स्वावलंबी बनाना था. नवांकुर फाउंडेशन में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के अलावा पुराने कपड़ों और बेकार पड़ी चीजों जैसे- गत्ते, कागज, डिब्बे आदि को नया रुप देना सिखाया जाता है. यहां तकियों के कवर, हैंडीक्राफ्ट और मिट्टी की ज्वेलरी बनाने के हुनर को तराशा जाता है.

नवांकुर फाउंडेशन की बदौलत 150 से अधिक गरीब परिवारों की महिलाएं सशक्त बनी हैं. यहां मुफ्त में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के अलावा अन्य चीजों को भी सिखाया जाता है. फाउंडर दीपिका दत्त ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनके मन में विचार आया कि क्यों न हम जरुरतमंद लोगों की मदद करें. फिर उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर गरीब परिवारों से आने वाली महिलाओं को सशक्त करने का सोची. जिसके बाद नवांकुर फाउंडेशन की शुरुआत हुई. खास बात है कि यहां सिखाई जाने वाली चीजों के लिए हम बिल्कुल भी पैसा नहीं लेते हैं. ये पूरी तरह से मुफ्त है. हमारा मकसद गरीब महिलाओं को सशक्त करना है.

नवांकुर फाउंडेशन में क्या है खास?
नवांकुर फाउंडेशन का जिक्र करते हुए दीपिका दत्त बताती हैं कि हम पुरानी साड़ियों से तकियों के कवर बनाते हैं. साथ ही हमने बेकार पड़ी साड़ियों से नई ड्रेस तैयार की हैं. यहां कई बच्चियां और महिलाएं कढ़ाई और सिलाई सीखने आती हैं. इसके अलावा हैंडीक्राफ्ट बनाए जाते हैं, जैसे- जूट का बैग, मिट्टी की ज्वेलरी, साज-सजावट का सामान, बेकार पड़े डिब्बों से नए सुंदर रंग-बिरंगे बॉक्स आदि. मिट्टी से बनाई गई ज्वेलरी को महिलाएं पसंद करती हैं. उन्होंने कहा कि बेकार पड़ी चीजों का सही इस्तेमाल करना भी यहां हम सिखाते हैं, जो बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं.

मेले-महोत्सव में बेचते हैं प्रोडक्ट
नवांकुर फाउंडेशन पिछले चार साल में 150 से अधिक महिलाओं और गरीब बच्चियों को सशक्त कर चुका है. उनकी बनाई चीजों को बाजार में मेले और महोत्सव के जरिए पहुंचाया जाता है. कुछ स्थानीय दुकानदार अपनी दुकानों में इनके हाथों से बनाए प्रोडक्ट बेचते हैं. मुख्यत: देहरादून में लगने वाले अलग-अलग मेलों में स्टॉल के माध्यम से प्रोडक्ट बेचे जाते हैं.

पुरानी साड़ियों से तैयार की ड्रेस
नवांकुर फाउंडेशन में सिलाई, कढ़ाई सीख रहीं सपना रावत ने लोकल 18 से कहा कि पिछले एक माह से वह यहां आ रही हैं. इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा. उन्होंने कहा कि सबसे बढ़िया उन्हें यह लगा कि हम कैसे पुरानी वस्तुओं को नया रुप दे सकते हैं. उन्होंने खुद पुरानी साड़ियों से कई नई ड्रेस तैयार की हैं, जो अपने आप में कुछ अलग थीं.

Tags: Dehradun news, Local18, Uttarakhand news



Source link

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

787531
Total Visitors
error: Content is protected !!