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पुणे1 दिन पहले
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को पदभार ग्रहण किया था।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि अगर आस्था हो तो ईश्वर कोई भी रास्ता निकाल देते हैं। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान के लिए मैंने भी ईश्वर से प्रार्थना की थी।
दरअसल, CJI पुणे के खेड़ तालुका में अपने पैतृक गांव कन्हेरसर में लोगों को संबोधित कर रहे थे। जहां उन्होंने 2019 को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले से जुड़ा किस्सा शेयर किया।
तत्कालीन CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर-बाबरी विवाद का निपटारा किया था। CJI उसी बेंच का हिस्सा थे।
बेंच ने यह फैसला भी सुनाया था कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी।
अयोध्या बाबरी विवाद पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस बोबडे, तत्कालीन CJI रंजन गोगोई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर।
फैसला सुनाने वाली बेंच के पास 3 महीने था केस CJI ने कहा, ‘अक्सर हमारे पास फैसलों के लिए मामले आते हैं, लेकिन हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ। केस 3 महीने तक मेरे सामने था। मैं ईश्वर के सामने बैठा और कहा कि आपको समाधान ढूंढना होगा। मेरा यकीन करें, यदि आपको भरोसा है, तो ईश्वर ही कोई रास्ता निकाल देंगे’।
134 साल पुराने विवाद पर 1045 पेज का फैसला लिखा था 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। संविधान पीठ द्वारा शनिवार को 45 मिनट तक पढ़े गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया।
इसके मुताबिक चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी गई।
कोर्ट ने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो कि विवादित जमीन की करीब दोगुना है।
फैसला लिखने वाले जज का नाम सामने नहीं आया था जनवरी 2024 में न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में CJI चंद्रचूड़ ने बताया था कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था। उन्होंने कहा था- अयोध्या में संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही इस केस से जुड़े सभी जजों ने फैसले पर एक राय बनाई थी।
नवंबर 2019 में अयोध्या रामजन्मभूमि केस में फैसला लिखने वाले जज का नाम सामने नहीं आया था। CJI ने इसी पर कहा कि फैसले से पहले जजों ने आपस में बैठकर यह तय किया था कि ये अदालत का फैसला होगा, किसी जज विशेष का नहीं।
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