मदेयगंज पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर अन्य साथियों के विषय में जानकारी जुटा रही है।
लखनऊ में म्यांमार के म्यावाडी में नौकरी के नाम पर साइबर ठगी कराने वाले गिरोह से जुड़े दो लोगों को मदेयगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनके खिलाफ म्यांमार से लौटे एक पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराया था। दोनों आरोपी बैंकाक में डेटा इंट्री ऑपरेटर की नौकरी दिल
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30 हजार थाई भात की नौकरी का देते थे लालच इंस्पेक्टर मदेयगंज राजेश सिंह ने म्यांमार से साइबर ठगी गिरोह से छूट कर आए मशालचीटोला निवासी सुल्तान सलाउद्दीन की शिकायत पर जावेद इकबाल, मो. अहमद खान उर्फ भय्या और जिशान खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। शनिवार को खदरा निवासी मो. अहमद खान और जानकीपुरम सुलभ आवास निवासी जावेद इकबाल को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने विदेश में नौकरी के लिए सोशल साइट पर संपर्क करने वालों के साथ ही विदेश जाने वालों की तलाश करते थे। इसी दौरान पक्का पुल स्थित एक कैफे पर जावेद को सुल्तान सलाउद्दीन मिला था। उसने विदेश में अच्छी नौकरी खोजने की बात कही। जिसके बाद जावेद ने उसे बैंकाक में डॉटा इंट्री ऑपरेटर की जॉब दिलाने का भरोसा दिलाया। सुल्तान प्रतिमाह 30 हजार थाई भात (77 हजार रुपए) में नौकरी मिलने की बात पर राजी हो गया।
बैंकाक जाने के लिए लिए थे पांच लाख रुपए सुल्तान ने पुलिस को बताया कि बैंकाक का वीजा और हवाई टिकट देने के बदले एजेंट जावेद ने पांच लाख रुपए लिए थे। इसके लिए उसने 50 हजार, मो. अनस से एक लाख, सादिक मिर्जा से तीन लाख और तौसीफ से पचास हजार के करीब रुपए लिए थे। जावेद ने करीब पांच लाख देने के बाद सभी को बैंकाक भेजा था। जहां जाते ही बंधक बनाकर एक अपार्टमेंट में रखा गया। जहां उन्होंने साइबर ठगी की ट्रेनिंग देने के बाद ठगी कराई।
बैंकाक से ऑपरेट होता है गिरोह जावेद खान ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उनका गैंग बैंकाक से ऑपरेट होता है। भारत से वह लोग युवकों को बैंकाक भेजते हैं। जबकि गिरोह के अन्य सदस्य बैंकाक से म्यांमार तक युवकों के भेजने का काम करते हैं। उनके लोगों को राफाक राही नाम का युवक डील करता है। इसके अलावा गिरोह में जीशान खान, छोटू, समीर, नफीस और अशरफ यूपी में विदेश में नौकरी करने जाने वालों की तलाश करते हैं।