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Kashmir Tourist Attack; Srinagar Hotel Security | Pahalgam Tourism | कश्मीरी बोले- टूरिस्ट नहीं लौटे तो बर्बाद हो जाएंगे: टेरर अटैक के बाद घाटी खाली-बुकिंग्स कैंसिल; लौट रहे पर्यटक, आगे क्या होगा


कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 27 टूरिस्ट की जान ले ली। यही बात सबसे हैरान करने वाली है। जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों आतंकी हमले हुए, लेकिन टूरिस्ट कभी टारगेट नहीं रहे। इसकी वजह थी कि कश्मीर घूमने आने वालों से ही कश्मीरियों के घर चलते हैं। और आतंकी भी य

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टूरिस्ट अब कश्मीर छोड़ रहे हैं। बुकिंग कैंसिल करवा रहे हैं। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग यही सोच रहे हैं कि मुश्किल से पटरी पर आ रहा उनका कारोबार इस झटके से कैसे उबरेगा। हालांकि उनका कहना कि हमें पता था ऐसी घटना के बाद ये होगा। आतंकियों की हरकत से हमें भी शर्मिंदगी हो रही है।

पहलगाम हमले का असर टूरिज्म इंडस्ट्री पर दिख रहा है। टूरिस्ट कश्मीर छोड़कर जा रहे हैं। घूमने आने वाले लोग बुकिंग कैंसिल करवा रहे हैं।

पहलगाम हमले का असर टूरिज्म इंडस्ट्री पर दिख रहा है। टूरिस्ट कश्मीर छोड़कर जा रहे हैं। घूमने आने वाले लोग बुकिंग कैंसिल करवा रहे हैं।

पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में क्या बदल सकता है? भास्कर रिपोर्टर्स ने इसका जवाब तलाशने की कोशिश की। हमारे रिपोर्टर वैभव पलनीटकर और सुनील मौर्य लंबे अरसे से जम्मू-कश्मीर में रिपोर्टिंग करते रहे हैं। सहयोगी रऊफ डार अनंतनाग में रहते हैं और कश्मीर की खबरें कवर करते हैं। उन्होंने अपना अनुभव और यहां से बनी समझ शेयर की है। पढ़िए उन्होंने कश्मीर में क्या देखा और समझा…

वैभव पलनीटकर, भास्कर रिपोर्टर कश्मीर में IED ब्लास्ट से बचा, फायरिंग देखी, लेकिन टूरिस्ट पर हमला नहीं देखा

5 अगस्त, 2021 का दिन… इसी दिन जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने के दो साल पूरे हो रहे थे। इस खास दिन की कवरेज के लिए हम राजधानी श्रीनगर में थे। डल झील के पास एक होटल में रुके थे। झील के किनारे बुलेवार्ड रोड पर एक कतार से तिरंगे लहरा रहे थे। टूरिस्ट्स की चहल-पहल थी। आसपास के सभी होटल बुक थे। डल झील में शिकारे तैर रहे थे। सरकार का दावा था कि कश्मीर में पहले के मुकाबले हालात काबू में हैं।

हम होटल से निकले, थोड़ा आगे बढ़ते ही सिक्योरिटी फोर्स के जवान दिखने लगे। श्रीनगर में टूरिस्ट स्पॉट पर जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के जवान तैनात रहते हैं। चौराहों, गली के मुहानों, दुकानों, बाजारों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ये जवान राइफल लिए मुस्तैदी से खड़े होते हैं।

पहलगाम हमले के बाद शहर में आने-जाने वाले रास्तों पर आर्मी और पुलिस तैनात है। आतंकियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

पहलगाम हमले के बाद शहर में आने-जाने वाले रास्तों पर आर्मी और पुलिस तैनात है। आतंकियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

हमें उस दिन टूरिस्ट स्पॉट पर नहीं, श्रीनगर के उन इलाकों में जाना था, जो अलगाववाद का गढ़ रहे हैं। बतौर रिपोर्टर मुझे लग रहा था कि वहां कुछ हो सकता है। कश्मीर में कवरेज करते हुए अंदाजा हो चुका था कि आतंकी कभी टूरिस्ट पर सीधे हमला नहीं करते। आमतौर पर वे जवानों को ही निशाना बनाते हैं। आतंकी उन इलाकों में भी हमला नहीं करते, जहां से भाग पाना मुश्किल हो। सिर्फ घनी आबादी वाले इलाकों या पहाड़ी इलाकों में ही उनका मूवमेंट रहता है।

हम बुलेवार्ड रोड से श्रीनगर डाउनटाउन की तरफ बढ़े। खानयार, जैनाकदल, बोहरी कदल होते हुए जामिया मस्जिद पहुंचे। इसी जगह सबसे ज्यादा पत्थरबाजी और भारत के खिलाफ प्रोटेस्ट हुआ करते थे। 2019 से पहले हर जुमे पर यहां खराब माहौल रहता था।

मुझे यहां प्रोटेस्ट वाली जगह से पीस टू कैमरा यानी पीटूसी रिकॉर्ड करते हुए हालात बताने थे। मैं जिस जगह खड़ा था, वहां ठीक पीछे नीले रंग का डस्टबिन रखा था। मैं उसी जगह से पीटीसी शूट करने के लिए आगे बढ़ा। तभी मेरे एक सहयोगी ने कहा कि सड़क के दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP खड़े हैं, पहले उनसे ऑफिशियल वर्जन ले लेते हैं।

हम सड़क पार करके पुलिस अधिकारी के पास पहुंचे। उनसे पूछा- अब हालात कैसे हैं? जवाब मिला- सब कंट्रोल में। तभी पीछे से जोरदार धमाके की आवाज आई।

इतना तेज धमाका मैंने पहले कभी नहीं सुना था। इससे समझ आ गया कि ये सामान्य धमाका नहीं है। मैंने मोबाइल निकाला और रिकॉर्ड करने लगा। सड़क पर सन्नाटा पसर गया। मैं और मेरे सहयोगी पास वाली गली की तरफ भागे। मैंने दीवार की आड़ लेकर रिकॉर्डिंग जारी रखी।

तब तक समझ आ चुका था, ये IED ब्लास्ट है। कुछ देर बाद मैंने गौर से फोन की रिकॉर्डिंग देखी, तो पता चला कि जिस नीले डस्टबिन के आगे खड़े होकर मैं पीटीसी रिकॉर्ड करने के बारे में सोच रहा था, IED उसी में प्लांट की गई थी। अगर मैं वहां रिकॉर्डिंग कर रहा होता, तो ब्लास्ट की जद में आ जाता। हमारे पास डस्टबिन की पहले और बाद की फोटो है।

दीवार की आड़ लिए मैं रिकॉर्डिंग कर ही रहा था कि अचानक फायरिंग शुरू हो गई। बचने के लिए हम गली में अंदर की तरफ भागे। फायरिंग कहां से हो रही है, कौन कर रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा था। करीब 15 मिनट तक लगातार गोलियां चलती रहीं। हम एक दुकान में घुसे और सीढ़ियों पर चढ़ते गए। दुकान में मौजूद कश्मीरियों ने हमें पानी पिलाया और हिम्मत बंधाई।

मैंने इस घटना के बारे में ऑफिस के ग्रुप पर वॉयस नोट के जरिए पूरी डिटेल दे दी। फोटो और वीडियो शेयर किए। इसकी स्टोरी भी पब्लिश हुई।

कुछ देर बाद फायरिंग रुकी, तो हम पीछे वाले रास्ते से होते हुए निकले। तब तक ब्लास्ट वाली जगह पर लोग जमा होने लगे। सिक्योरिटी फोर्स की टुकड़ियां मोर्चा संभाल चुकी थीं। हम गलियों से होते हुए उस इलाके से बाहर निकल आए। वहां पहुंचे, जहां टूरिस्ट मौजूद थे।

कश्मीर कवर करते हुए ये समझ बन चुकी थी कि टूरिस्ट वाले इलाके सेफ होते हैं। हम रिपोर्टर्स को भी सेफ जगह खोजनी होती थी, तो टूरिस्ट सेंटर्स पर चले जाते थे।

अब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ये समझ पूरी तरह मिट गई है। 5 साल से कश्मीर कवर करते हुए साउथ के कुलगाम से नॉर्थ बॉर्डर पर मौजूद कुपवाड़ा तक कई बार आने-जाने के बाद यकीन था कि आतंकी टूरिस्ट को निशाना नहीं बनाते ताकि लोकल कश्मीरियों को नुकसान न हो।

कश्मीर की इकोनॉमी टूरिज्म पर ही टिकी है। इससे सबसे ज्यादा फायदा लोकल कश्मीरियों को होता है। जम्मू में टैक्सी हायर करने से लेकर रास्ते के रेस्टोरेंट तक, पंपोर में केसर की दुकानों से लेकर पुलवामा में कश्मीरी विलो बैट की दुकानों तक, पहलगाम, गुलमर्ग के आलीशान होटलों से लेकर डल लेक की खूबसूरत हाउस बोट तक सारा बिजनेस कश्मीरी मुसलमानों का ही है।

कश्मीर में आतंकवाद भड़काने वाले पाकिस्तान की एजेंसियां आतंकी गुटों के जरिए कभी आम कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर संकट पैदा नहीं करते थे। कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने के बाद कश्मीर में कोई बड़ी आतंकी घटना न होने से टूरिज्म के लिए अच्छा माहौल बन गया था।

कश्मीर आने वाले टूरिस्ट की संख्या ऑल टाइम हाई पर पहुंच चुकी थी। इसका सबसे ज्यादा फायदा कश्मीरी दुकानदारों और कारोबारियों को हो रहा था। आम कश्मीरी इस बदलाव से खुश थे। पहलगाम के हमले ने इस पूरी कोशिश को खत्म कर दिया।

कश्मीर छोड़ रहे टूरिस्ट, बुकिंग कैंसिल करा रहे एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इस हमले से कश्मीर के टूरिज्म बिजनेस को झटका लगने वाला है। हमले के बाद पर्यटकों ने घाटी छोड़ना शुरू कर दिया है। कुछ फ्लाइट्स के जरिए श्रीनगर से वापस अपने शहर लौट रहे हैं, तो कई नेशनल हाईवे से जम्मू लौट रहे हैं। कश्मीर घूमने की तैयारी कर रहे टूरिस्ट बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं।

ट्रैवल एजेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राउफ त्राबू कहते हैं, ‘ये सिर्फ टूरिस्ट पर नहीं, कश्मीरियों पर हमला है। हमले के बाद से मेरे घर में मातम जैसा माहौल है। मेरे बच्चे, पड़ोसी सब रो रहे थे। कश्मीर आने वाले हर टूरिस्ट को हम अपना मेहमान मानते हैं।’

‘कुछ साल पहले ही हम अमन के रास्ते पर चले थे। लग रहा था कि 25 साल बाद आतंकवाद खत्म हो गया है। पहलगाम का हमला हमारी सोच से बाहर है। इसने पूरी कश्मीरी कौम को झंझोड़ दिया है। टूरिस्ट यहां अच्छा वक्त बिताने आते हैं, लेकिन इस घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है।’

टूरिस्ट के साथ काम करने वाले राउफ कहते हैं, ‘हमें टूर ऑपरेटर्स बता रहे हैं कि इस घटना के बाद सारे टूरिस्ट जा रहे हैं। मुझे सुबह 7 बजे से कैंसिलेशन के लिए कॉल आ रही हैं। यही हाल बाकी टूर ऑपरेटर्स का है। हमें पता था कि ऐसी घटना के बाद ये तो होगा ही। आतंकियों की इस हरकत से हमें शर्मिंदगी हो रही है।’

होटल एसोसिएशन कश्मीर के प्रेसिडेंट वहीद बजाज खारा बताते हैं कि हम सब कश्मीरी टूरिस्ट के साथ हैं। ये बहुत दुखद मौका है। कश्मीर में हर घर रो रहा है। हमने कश्मीर बंद का ऐलान किया है। कश्मीर में बीते 35 साल में टूरिस्ट के साथ ऐसा नहीं हुआ था। आगे भी नहीं होना चाहिए।’

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टूरिस्ट मेरे पास कैंसिलेशन के लिए कॉल कर रहे हैं। मैं उनसे कह रहा हूं कि 24 घंटे का मौका दीजिए, हालात देखकर बताएंगे कि कश्मीर आना चाहिए या नहीं। अभी उन्हें होल्ड पर रखा है। फिर भी लोग टूर कैंसिल कर रहे हैं।

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सुनील मौर्य, भास्कर रिपोर्टर ‘ड्राइवर कहता था, कश्मीर में उतनी घटनाएं नहीं होतीं, जितना ये बदनाम है’ मैं अब तक 4 बार जम्मू-कश्मीर आ चुका हूं। हर बार रिपोर्टिंग के लिए। पहली बार अप्रैल 2024 में आया था। तब लोकसभा चुनाव चल रहे थे। आने से पहले फैमिली ने कई बार कहा कि वहां आतंकी हमले होते हैं। संभलकर रहना। दोस्तों ने भी यही कहा। यही सब सोचते हुए पहले श्रीनगर पहुंचा। एयरपोर्ट से बाहर टैक्सी ली। ड्राइवर से बात होने लगी। मैंने पूछा कि यहां आतंकी घटनाएं काफी होती हैं।

ड्राइवर ने जवाब दिया- नहीं जनाब। कश्मीर में जितनी घटनाएं नहीं होती, उससे ज्यादा बदनाम किया जाता है।

मैं कश्मीर में 10 दिन रहा। दूरदराज के इलाकों में रिपोर्टिंग की। हर जगह खुशनुमा माहौल मिला। कश्मीर के लोग अच्छे मेजबान होते हैं। अनजान लोग भी मदद करते हैं।

इसी बीच कश्मीर में पोस्टेड आर्मी ऑफिसर दोस्तों से बात हुई। मैंने बताया कि मैं कुलगाम, बारामूला, अनंतनाग और अलग-अलग इलाकों में रिपोर्टिंग के लिए जा रहा हूं। उन्होंने तुरंत कहा कि सेफ्टी का ध्यान रखना। मैंने कहा कि अभी तो कश्मीर में आतंकी एक्टिव नहीं हैं। मेरी कई लोगों से लगातार बात हो रही है।

दोस्त ने कहा कि ऐसा नहीं है। यहां लोकल सपोर्ट से आतंकी छिपे हुए हैं। अभी ज्यादा एक्टिव जम्मू एरिया में हैं। वो कभी भी और कहीं भी हमला कर सकते हैं। इसलिए अलर्ट रहना। कुछ भी हो सकता है। जरूरत पड़े तो तुरंत फोन करना।

सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पहलगाम अटैक के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं।

सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पहलगाम अटैक के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं।

अब चौथी बार जम्मू-कश्मीर आया हूं। कृष्णा घाटी गया, जहां से लाइन ऑफ कंट्रोल महज 500 मीटर दूर है। यहां आर्मी अफसर मिले। उन्होंने कहा कि यहां किसी पर भरोसा नहीं करना। सेफ जगह रहना। कब आतंकी आ जाएं, कह कह सकते। कृष्णा घाटी और मेंढर के इलाकों में पहली बार महसूस हुआ कि वाकई आतंकी कहीं से भी आ सकते हैं। अटैक कर सकते हैं। ये भी समझ आया कि कैसे पाकिस्तानी आतंकी यहां से घुसपैठ करते हैं।

इस वाकये के तीन दिन बाद मैं जम्मू में था। तभी पहलगाम में आतंकी हमले की खबर मिली। इससे समझ आ गया कि आखिर कश्मीर आने पर लोग क्यों अपनों की फिक्र करते हैं। कभी नहीं सोचा था कि कश्मीर में ऐसा खौफ फिर से शुरू हो जाएगा। वही खौफ जो हमने पहलगाम के फोटो-वीडियो में देखा।

रऊफ डार, भास्कर के सहयोगी टूरिस्ट कश्मीर आने से डरेंगे, सब ठीक होने में वक्त लगेगा कश्मीर में लोग हमेशा भाईचारे के साथ मिल-जुलकर रहे हैं। श्रीनगर को जम्मू से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे पर टूरिस्ट फंसते हैं, तो सबसे पहले कश्मीरी उनके लिए मदद लेकर जाते हैं। अपने घर में जगह देते, उन्हें खाना खिलाते हैं। कश्मीरियों को उनकी मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है।

उन्होंने कभी हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई के बीच भेद नहीं किया। हम साथ मिलकर रहते आए हैं। पहलगाम में जो हुआ, उससे कश्मीरी शर्मसार हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि उन पर बड़ा दाग लगा है।

इस हमले में टूरिस्ट ही नहीं, लोकल लोगों की भी मौत हुई है। पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई, इसलिए इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। इस हमले से कई परिवार बिखर गए। पिछले कुछ समय से कश्मीर में टूरिस्ट बढ़ रहे थे। इकोनॉमी पटरी पर आई थी। अब इस घटना के बाद टूरिस्ट आने से डरेंगे। अब सब ठीक होने में बहुत वक्त लग सकता है।

CM उमर अब्दुल्ला बोले- मेहमानों का घाटी से जाना दिल तोड़ने वाला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले के बाद टूरिस्ट के कश्मीर छोड़ने पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हमारे मेहमानों का घाटी से जाना दिल तोड़ने वाला है। हम यह भी समझते हैं कि लोग क्यों घाटी छोड़ना चाहते हैं।

वहीं सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने एडवाइजरी जारी कर बताया है कि टूरिस्ट के अचानक लौटने की वजह से एयरलाइन कंपनियों से कहा है कि तुरंत अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था की जाए। साथ ही टिकट रद्द करने या दोबारा बुक करने पर जुर्माना न लेने के निर्देश दिए गए हैं।

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पहलगाम अटैक से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए

1. तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी, लश्कर का आतंकी मास्टरमाइंड

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2. नाम पूछकर हिंदुओं को गोली मारी, कौन है पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला TRF

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। आतंकियों ने टूरिस्ट से नाम पूछने के बाद उन्हें गोली मारी। ये हमला बीते 6 साल में कश्मीर में सबसे बड़ा टेररिस्ट अटैक है। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों के हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। TRF का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है। श्रीनगर में पैदा हुआ शेख सज्जाद अभी पाकिस्तान में है। पढ़ें पूरी खबर…



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