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West Bengal Waqf Bill Protest Violence; Murshidabad | Hindu Muslims | क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा: वक्फ कानून के खिलाफ उकसाया, हिंसा से पहले मीटिंग, अंसार बांग्ला पर शक


‘सरकार ने वक्फ बिल पास किया है, उसी वजह से मुसलमान हम पर जुल्म कर रहे हैं। हमारे घर तोड़ दिए। हमें बाहर निकाला और घरों में आग लगा दी। मेरे गले पर चाकू रख दिया। मैं किसी तरह बचकर निकल आई।’

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दंगाई भीड़ से बचकर आईं रिया पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की रहने वाली हैं। नाव से करीब 140 किमी दूर मालदा के लिए निकली हैं। केंद्र सरकार के नए वक्फ कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में 7 अप्रैल से छोटे-छोटे प्रदर्शन चल रहे थे, लेकिन 11 अप्रैल को हालात बिगड़ गए। विरोध कर रही भीड़ ने ट्रेनें रोक दीं, पुलिस पर पथराव किया और नेशनल हाईवे बंद कर दिया।

हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है।

फोटो 11 अप्रैल की है, जब मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ चल रहा प्रोटेस्ट हिंसक हो गया। यहां भीड़ ने गाड़ियों में आग लगा दी।

फोटो 11 अप्रैल की है, जब मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ चल रहा प्रोटेस्ट हिंसक हो गया। यहां भीड़ ने गाड़ियों में आग लगा दी।

हिंसा के बाद हिंदुओं के पलायन की खबरें हैं। एक दर्द तैफुल को भी मिला है। हिंसा के दौरान उनके 17 साल के बेटे एजाज अहमद को गोली मार दी गई। वो मामा के घर से लौट रहा था। बंगाल पुलिस और BSF ने हिंसा पर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें लिखा है कि इसके पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी SDPI का हाथ हो सकता है। बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसार बांग्ला पर भी शक है।

भीड़ और पुलिस के बीच झड़प, फिर शुरू हुई तोड़फोड़-लूटपाट मुर्शिदाबाद से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-12 पर सजुर मोड़ और धुलियान नगरपालिका के जाफराबाद शहर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। आरोप है कि प्रदर्शन कर रहे लोग दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट करने लगे।

इसके बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा शुरू हो गई। इसे रोकने के लिए पुलिस के साथ BSF की 10 और CRPF की 5 कंपनियां तैनात कर दी गईं। सावधानी के तौर पर मुर्शिदाबाद और पास के जिलों मालदा और बीरभूम में इंटरनेट बंद कर दिया गया।

मुर्शिदाबाद में 14 अप्रैल यानी सोमवार को भी वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए। जंगीपुर के बाद कंडी के कुली चौरा एरिया में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ बहस हुई। शमशेरगंज के जाफराबाद गांव में आम के बागान से सेंट्रल फोर्स के जवानों पर ईंट-पत्थर फेंके गए। आरोप है कि जवान गांव में गश्त कर रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया।

जवान बागान के अंदर गए, तो उन पर चारों ओर से हमला शुरू हो गया। उनके साथ शमशेरगंज की पुलिस भी थी। हालात ऐसे बने कि उन्हें उल्टे पांव भागना पड़ा। इसके बाद मौके पर सेंट्रल फोर्स की कंपनियां भेजी गईं। पुलिस के सीनियर अफसर पहुंचे।

शमशेरगंज के जाफराबाद गांव में सिक्योरिटी फोर्स पर हमले के बाद जवानों को लौटना पड़ा। हालांकि, पुलिस के मुताबिक अब हालात कंट्रोल में हैं।

शमशेरगंज के जाफराबाद गांव में सिक्योरिटी फोर्स पर हमले के बाद जवानों को लौटना पड़ा। हालांकि, पुलिस के मुताबिक अब हालात कंट्रोल में हैं।

तैफुल के 17 साल के बेटे को गोली मारी हिंसा में मरने वालों में 17 साल का एजाज अहमद भी शामिल है। उसके पिता तैफुल बताते हैं, ‘एजाज 11 अप्रैल को मामा के घर गया था। नदी पार कर घर लौट रहा था। ई-रिक्शा में बैठा था, तभी सजुर मोड़ पर उसे गोली मार दी गई। नहीं पता कि गोली पुलिस ने चलाई या किसी और ने। एजाज को हॉस्पिटल ले गए, लेकिन अगले दिन सुबह 11 बजे उसकी मौत हो गई।’

हिंदू परिवार मुर्शिदाबाद से भागकर मालदा आए हिंसा के बाद कई हिंदू परिवार मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा आ रहे हैं। इन्हीं में शामिल जयंत दास परिवार के साथ घर छोड़कर जाते मिले। वे बताते हैं, ‘यहां मुसलमान बहुत परेशान कर रहे हैं। हमारा घर तोड़ दिया। कोई सामान नहीं छोड़ा। नहीं पता हम कैसे रहेंगे। पुलिस पूछताछ करने आती है, लेकिन अभी हम यहां से जा रहे हैं।’

मुर्शिदाबाद से भागकर आए लोगों के लिए मालदा में शेल्टर होम बनाए गए हैं। ये लोग स्कूलों में रह रहे हैं।

मुर्शिदाबाद से भागकर आए लोगों के लिए मालदा में शेल्टर होम बनाए गए हैं। ये लोग स्कूलों में रह रहे हैं।

शमशेरगंज में भीड़ ने 65 साल के हरगोविंद दास और उनके बेटे 35 साल के चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। ये घटना 12 अप्रैल की है।

चंदन की चचेरी बहन शरबानी दास कहती हैं, ‘ये सब चार घंटे चला। बम फटने की आवाजें आ रही थीं। हमारे घर में चार बच्चे, मैं, चंदन और ताऊजी थे। हम लोग घर में छिपे हुए थे। तभी भीड़ आई और ताऊ को बाहर खींचकर ले गई। चंदन उन्हें बचाने गया। दंगाइयों ने दोनों को मार दिया। उनका गला काट दिया।’

मुस्लिम बोले- दंगाई घर से सब लूट ले गए इसी एरिया में रहने वाले अख्तर बताते हैं, ‘मैं हिंदू आबादी वाले इलाके में रहता हूं। इसके अगल-बगल में सभी मुस्लिम इलाके हैं। भीड़ ने हमला किया तो हम सभी घर से बाहर निकल गए। दंगाई घरों में घुसकर तोड़फोड़ कर रहे थे। उस वक्त करीब 4 बजे थे। एरिया के ज्यादातर लोग काम पर गए थे। मरने वाले चंदन और हरगोबिंद दास रोज कमाने-खाने वाले थे। मुझे लगता है ये सब लूटपाट के लिए किया गया है।’

यहीं मिले तारिक बताते हैं, ‘मेरी मेडिकल शॉप है। घर में दुकान का सामान रखा था। मैं उस वक्त घर पर नहीं था। घर में घुसकर लोगों ने पूरा सामान लूट लिया।’

हिंसा में बांग्लादेश से आए लोगों के शामिल होने का शक मुर्शिदाबाद के जर्नलिस्ट संजीब साहा दैनिक भास्कर को बताते हैं, ‘वक्फ के विरोध में चल रहे प्रदर्शन किसी नाम या संगठन के बैनर तले नहीं हो रहे। इसमें बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का नाम आ रहा है, तो ऐसा बिल्कुल हो सकता है। मुर्शिदाबाद से लेकर नदिया तक भारत-बांग्लादेश बॉर्डर खुला हुआ है। यहां से दोनों देशों में आवाजाही आसान है।’

साहा आगे बताते हैं, ‘मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर BSF के अफसरों ने IG को रिपोर्ट सौंपी है। हिंसा के पीछे बांग्लादेश के संगठन अंसार उल्लाह बांग्ला टीम या अंसार बांग्ला का हाथ बताया गया है। ये संगठन बांग्लादेश में बैन है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पश्चिम बंगाल के बॉर्डर वाले इलाकों में भी इसी तरह की हिंसा हो सकती है।’

पहचान उजागर न करते हुए एक पत्रकार बताते हैं-

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BSF की रिपोर्ट में जंगीपुर में हुई हिंसा में बांग्लादेशी आतंकियों की भूमिका का जिक्र है। जंगीपुर में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर का ज्यादातर हिस्सा नदी वाला है। इससे यहां तारबंदी करना मुमकिन नहीं है।

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‘BSF की निगरानी के बावजूद बॉर्डर के कई हिस्सों से बांग्लादेशी आते-जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से ये लोग भारत में लोगों को भड़का रहे थे। उन्होंने आमने-सामने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकें भी की थीं।’

‘खास तौर पर जंगीपुर सीमा के उस पार बांग्लादेश का चंपई नवाबगंज जिला आतंकियों और अपराधियों का गढ़ माना जाता है। वहीं से आतंकी भारत में लोगों से कॉन्टैक्ट कर उन्हें हिंसा के लिए उकसा रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगाइयों में कुछ बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हो सकते हैं।’

सांसद बोले- दंगा करने वाले दूसरे जिलों से आए मुर्शिदाबाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मुर्शिदाबाद में 66% मुस्लिम आबादी है। मुर्शिदाबाद में लोकसभा की तीन सीटें हैं, तीनों TMC के पास हैं। विधानसभा में मुर्शिदाबाद से चुने गए 22 में से 20 विधायक TMC के हैं।

हिंसा के दौरान TMC के नेता भी उपद्रवियों के निशाने पर रहे। फरक्का से विधायक मनिरुल इस्लाम के भाई के घर 12 अप्रैल को हमला हुआ था। वे कहते हैं, ‘हमारे इलाके में कभी ऐसी घटना नहीं हुई। बाहरी लोगों के बिना यह संभव ही नहीं है।’

जंगीपुर सांसद खलीलुर रहमान भी यही शक जताते हैं। वे कहते हैं, ‘हिंसा करने वाले नदिया और मालदा जिले से पानी और सड़क के रास्ते आए थे।’

BSF अलर्ट, पुलिस के साथ CRPF भी गश्त कर रही BSF के साउथ बंगाल फ्रंटियर के IG करणी सिंह शेखावत ने बताया कि जब तक राज्य पुलिस चाहेगी, BSF हिंसा वाले इलाके में तैनात रहेगी। हम पुलिस की पूरी मदद करेंगे। साथ ही किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधि के खिलाफ अलर्ट रहेंगे’।

मुर्शिदाबाद हिंसा पर BSF के साउथ बंगाल फ्रंटियर के DIG PRO नीलोत्पल कुमार पांडे कहते हैं, ‘शमशेरगंज के कुछ इलाकों में हमारे जवानों पर पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला किया गया। आज हालात में सुधार हुआ है। हमले में BSF के किसी भी जवान को गंभीर चोट नहीं आई।’

हिंसा के बाद सेंट्रल फोर्स के जवान पुलिस के साथ गांवों में गश्त कर रहे हैं। रैपिड एक्शन फोर्स भी एक्टिव की गई है।

हिंसा के बाद सेंट्रल फोर्स के जवान पुलिस के साथ गांवों में गश्त कर रहे हैं। रैपिड एक्शन फोर्स भी एक्टिव की गई है।

मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहास मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है।

दिसंबर, 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दीं

2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई।

पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे।

इसके बाद से ही BJP राज्य में अपने लिए जमीन तलाश रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में TMC को 46% वोट मिले। वहीं BJP को 38.2% वोट मिले थे। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है। माना जा रहा है कि वोटों का यह फासला कम हो सकता है।

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वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद 24 परगना में प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़प हो गई। बसंती हाईवे पर बैरमपुर में पुलिस ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही एक गाड़ी को रोका था। भांगर, मिनाखा, संदेशखाली से ISF कार्यकर्ता ने सुबह 10 बजे हाईवे जाम कर दिया था। उन्होंने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी। पढ़िए पूरी खबर…



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