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Bangladesh Awami League Situation; Sheikh Hasina Party | Future Plan | क्या बांग्लादेश में फिर होगा तख्तापलट, होगी हसीना की वापसी: अवामी लीग के नेता बोले- पार्टी को खड़ा कर रहे, हसीना कॉन्टैक्ट में


‘शेख हसीना पार्टी लीडर्स से लगातार बात कर रही हैं। उनसे जब भी बात होती है, वो हमें बांग्लादेश में हुई हिंसा के पीड़ितों के साथ खड़े होने और उनकी मदद करने के लिए कहती हैं।’

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सुजीत राय बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग में संगठन महामंत्री हैं।

5 अगस्त 2024 को देश में तख्तापलट और शेख हसीना के भागकर भारत आने के बाद से सुजीत समेत पार्टी के नेता और कार्यकर्ता छिपकर रह रहे हैं।

बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट की अटकलें हैं। इधर छात्र आंदोलन का चेहरा रहे नाहिद इस्लाम ने अंतरिम सरकार से अलग होकर ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ बना ली है।

इस बीच दैनिक भास्कर ने सुजीत राय से बात की। उन्होंने बताया कि हम शेख हसीना के कॉन्टैक्ट में हैं और दोबारा पार्टी खड़ी करने की कोशिश में लगे हैं।

आर्मी चीफ की मीटिंग के बाद मौजूदा सरकार के तख्तापलट की अटकलें बांग्लादेश में 24 मार्च को आर्मी चीफ वकार उज जमान ने अपने टॉप अफसरों के साथ मीटिंग की। आर्मी चीफ सरकार के कामकाज पर पहले भी नाखुशी जता चुके हैं। इससे चर्चा तेज है कि सेना मोहम्मद यूनुस की लीडरशिप वाली अंतरिम सरकार को हटाकर खुद सत्ता संभाल सकती है। हालांकि, सेना ने तख्तापलट की खबरों को खारिज कर दिया है।

करीब 8 महीने पहले बांग्लादेश में स्टूडेंट मूवमेंट और शेख हसीना के भारत भागने के बाद अंतरिम सरकार बनाई गई थी। अब सवाल ये है कि मौजूदा हालात में क्या शेख हसीना बांग्लादेश लौट पाएंगी, उनकी पार्टी अवामी लीग का फ्यूचर क्या होगा, देश में होने वाले आम चुनाव में पार्टी की क्या भूमिका होगी? दैनिक भास्कर ने इस पर अवामी लीग के नेताओं, सीनियर जर्नलिस्ट और एक्सपर्ट्स से बात की।

‘बांग्लादेश में हम सेफ नहीं, भारत आजादी दिलाने में मदद करे’ बांग्लादेश अवामी लीग के लीडर सुजीत राय नंदी अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से हैं। वे कहते हैं, ‘5 अगस्त के बाद से हम डरे हुए हैं। अब भी हमारे पास सिक्योरिटी नहीं है। मैं खुलकर बाहर नहीं निकल सकता। हमारे कार्यकर्ता भी घरों में कैद हैं।’

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कई पार्टी लीडर्स ने घर छोड़ दिया है। वे छिपकर रह रहे हैं। भीड़ अब भी सड़कों पर घूम रही है। भारत ने हमें आजादी दिलाने में मदद की थी। हमें फिर उससे ही मदद की उम्मीद है। इस मुसीबत से बाहर निकालने में प्लीज हमारी मदद कीजिए।

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सुजीत आगे बताते हैं, ‘शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के कुछ दिनों बाद हालात बेहतर हुए, तो उन्होंने कुछ लीडर्स के साथ मिलकर अवामी लीग को फिर से खड़ा करने की कोशिश शुरू की। वे नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट कर रही हैं। हम पार्टी को फिर खड़ा करने के प्लान पर काम कर रहे हैं।’

स्टूडेंट आंदोलन से जुड़े नेताओं की मांग थी कि अवामी लीग को बैन कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, अंतरिम सरकार ने साफ कर दिया है कि अवामी लीग पर बैन लगाने का कोई प्लान नहीं है।

सुजीत राय नंदी इस पर कहते हैं, ‘अवामी लीग को कोई बैन नहीं कर सकता। लोग हमारी लीडर शेख हसीना के साथ हैं। अब भी अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी है। 50% से ज्यादा लोग पार्टी को सपोर्ट करते हैं।‘

‘शेख हसीना के बिना पार्टी को खड़ा करना मुश्किल’ अगर शेख हसीना बांग्लादेश नहीं लौटती हैं तो क्या दूसरे लीडर पार्टी को फिर से खड़ा कर सकते हैं? नंदी जवाब देते हैं, ‘बिना शेख हसीना के अवामी लीग खड़ी नहीं हो सकती। उनके खिलाफ देश में कई फर्जी केस लगाए गए हैं। एक चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश रची गई।‘

वे आगे कहते हैं, ‘गलत लोगों ने देश में दंगा किया और माहौल बिगाड़ा। हालांकि, अब भी बांग्लादेश के लोग शेख हसीना को पसंद करते हैं। इसीलिए उन लोगों को मारने की कोशिश की जा रही है।‘

बांग्लादेश में चुनाव के सवाल पर वे कहते हैं, ‘अवामी लीग हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखती है और जनता के बीच चुनाव लड़कर जीतना जानती है। अगर निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो हमारी पार्टी ही जीतेगी। अगर चुनाव में अवामी लीग और शेख हसीना शामिल नहीं होती हैं, तो उस चुनाव का कोई मतलब नहीं है।’

‘शेख हसीना के बेटे अब पार्टी का भविष्य’ सुजीत रॉय नंदी के मुताबिक, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद एक्टिव हो गए थे। वे लगातार देश के हालात बताते रहे, मीडिया से भी बात करते रहे। वाजेद फिलहाल अमेरिका में बिजनेस संभाल रहे हैं, लेकिन बांग्लादेश में हो रही गतिविधियों पर उनकी नजर है।

अगर हसीना बांग्लादेश नहीं लौटीं तो क्या उनके बेटे कमान संभाल सकते हैं? सुजीत कहते हैं, ‘वे काबिल लीडर हैं। देश को डिजिटल बांग्लादेश बनाने में उनका बड़ा योगदान है। वे हमारी नई पीढ़ी के लिए आदर्श हैं। वे हमारे लिए भविष्य के नेता हैं।’

हमने सुजीत के अलावा पार्टी के दूसरे नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी बात की। ज्यादातर लीडर्स डरे हुए हैं, इसलिए बात नहीं करना चाहते। ये लोग अब भी अंडरग्राउंड हैं और हालात सुधरने की उम्मीद लगाए हुए हैं।

‘अवामी लीग की वापसी इतनी आसान नहीं’ अवामी लीग की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए हमने पार्टी को दो दशकों से कवर कर रहे पॉलिटिकल जर्नलिस्ट मोहम्मद जाकिर से बात की। वे कहते हैं, ‘आंदोलन करने वाले छात्रों ने नई पार्टी बनाई है। उन्होंने साफ कर दिया है कि बांग्लादेश की राजनीति में अवामी लीग की वापसी स्वीकार नहीं करेंगे।‘

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन का चेहरा रहे नाहिद इस्लाम ने ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ बनाई है।

‘ऐसे में सरकार का ये कहना कि अवामी लीग को बैन नहीं करेंगे, इसकी मंशा साफ नहीं है। बांग्लादेश में ऐसी खबरें भी चल रही हैं कि सेना के अफसरों ने स्टूडेंट लीडर्स से मुलाकात की है। उन्होंने अवामी लीग को बैन न करने पर बात की है। इसका मकसद ये दिखाना है कि आने वाले चुनाव में सभी की बराबर हिस्सेदारी होगी।’

‘बांग्लादेश के हालात देखकर मुझे लगता है कि अभी अवामी लीग को फिर से खड़ा कर पाना बहुत मुश्किल होगा। पार्टी भरोसा खो चुकी है। उसके लीडर्स के लिए लोगों तक जाना और उन्हें मनाना आसान नहीं होगा।‘

क्या शेख हसीना के बिना अवामी लीग फिर से खड़ी हो सकती है? जाकिर कहते हैं, ‘अगर कोई सोच रहा है कि साफ छवि वाला लीडर पार्टी का नेतृत्व कर सकता है, तो ये पूरी तरह गलत होगा। अवामी लीग का हर कार्यकर्ता शेख हसीना को ही लीडर मानता है। उनके अलावा कोई दूसरा लीडर पार्टी को नहीं चला सकता।‘

पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले… अवामी लीग को अपना नाम और पहचान दोनों बदलनी होगी, तभी बात बनेगी बांग्लादेश के पॉलिटिकल एक्सपर्ट मोहम्मद कमरुजमान कहते हैं, ‘अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी पार्टी है। शेख हसीना के कार्यकाल में ये पार्टी देश को सही से चलाने में नाकाम रही है।‘

‘मर्डर, मनी लॉन्ड्रिंग, उगाही-वसूली और उत्पीड़न के कई मामले सामने आए। छोटे से स्टूडेंट मूवमेंट ने हसीना सरकार गिरा दी। शेख हसीना और अवामी लीग लोगों का भरोसा खो चुकी थी इसलिए ये सब हुआ।‘

‘बांग्लादेश में फिलहाल लोग अवामी लीग के खिलाफ हैं। पार्टी से जुड़े लीडर आगे आकर इसे खड़ा कर सकते हैं, लेकिन ‘अवामी लीग’ नाम इतना बदनाम हो चुका है कि इसके साथ पार्टी का आगे बढ़ना मुश्किल होगा। मुझे लगता है कि नाम बदलने के साथ-साथ पार्टी में कई बड़े बदलाव करने होंगे। साथ ही अपनी इमेज सुधारने का मैसेज लोगों तक पहुंचाना होगा।‘

‘ये बात सही है कि अवामी पार्टी बहुत मजबूत रही है, लेकिन छात्रों के आंदोलन ने जिस तरह सरकार गिराई, उसके बाद शेख हसीना ने अपना इकबाल खो दिया है।’

इस साल के आखिर में यानी दिसंबर तक बांग्लादेश में चुनाव हो सकते हैं। इसके लिए देश की विपक्षी पार्टियां क्या कर रही हैं? इस पर कमरुजमान कहते हैं ‘बांग्लादेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी है। इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी, गण अधिकार परिषद और नेशनल सिटिजन पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुट चुकी हैं।’

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मेरा मानना है कि दिसंबर तक चुनाव करवा पाना बहुत मुश्किल होगा। मुझे लगता है कि 2026 के आखिर में ही चुनाव हो पाएंगे।

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‘लोगों का सरकार से जुड़ाव, अभी तख्तापलट मुमकिन नहीं‘ खबरें आती रहती हैं कि बांग्लादेश में आर्मी तख्तापलट कर सकती है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चल रही अंतरिम सरकार गिर सकती है। क्या ऐसा हो सकता है, ऐसा हुआ तो शेख हसीना और अवामी लीग का क्या होगा? इसके जवाब में मोहम्मद कहते हैं, ‘अगर आर्मी की टॉप मीटिंग की जानकारी लीक की गई है, तो इसका मतलब है कि आर्मी के दूसरे जनरल मौजूदा आर्मी चीफ के समर्थन में न हों।‘

‘मुझे लगता है कि मौजूदा स्थिति में आर्मी अफसरों के लिए तख्तापलट करना नामुमकिन है। छात्र आंदोलन के बाद से लोगों का जुड़ाव मौजूदा सरकार के साथ है। आम सैनिकों की भावनाएं और उम्मीदें दोनों इस सरकार से जुड़ी हैं। अगर तख्तापलट की कोशिश होगी, तो सेना में बगावत का भी डर होगा।’

‘सरकार में आने के बाद से ही डॉ. यूनुस ने अमेरिका, UN और कई बड़े देशों से संबंध बनाए हैं। डॉ. यूनुस खुद अर्थशास्त्री हैं, इसलिए लोगों को उनसे आर्थिक तरक्की की भी उम्मीदें हैं। हालांकि, भारत को लेकर बांग्लादेश का रुझान अब भी साफ नहीं है। भारत के साथ रिश्तों का आगे क्या होगा, ये सबसे बड़ा सवाल है।’

बांग्लादेश सरकार ने कहा… अवामी लीग को बैन नहीं करेंगे, हिंसा में शामिल लीडर्स पर चलेगा केस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर डॉ. यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम कहते हैं कि हमने साफ तौर पर कहा है कि हम अवामी लीग को बैन नहीं करेंगे। हम लोकतांत्रिक बांग्लादेश बनाना चाहते हैं और यही हमारा कमिटमेंट है। हमारा फोकस है कि हिंसा में शामिल नेताओं को न्याय की चौखट तक लेकर आएं।

बांग्लादेश में चुनाव कब होंगे? इसके जवाब में आलम कहते हैं, ‘हमारी कोशिश है कि अगर सभी पार्टियां सहमत हो जाएं तो साल के आखिर तक दिसंबर में चुनाव कराए जाएं। अगर पार्टियां चुनाव प्रक्रिया में बड़े सुधार की मांग करती हैं, तो 2026 में जून-जुलाई तक चुनाव हो सकते हैं।’

शेख हसीना के बारे में आलम कहते हैं, ‘UN की रिपोर्ट ने भी साफ कर दिया है कि उनकी सरकार ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है।’

शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर भारत से कोई जवाब नहीं मिला है। क्या बांग्लादेश सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर रही है? आलम कहते हैं, ‘हम भारत के सामने बार-बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठाते रहे हैं। हमारा यही स्टैंड है। हमारे बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण समझौता है। हम उनके प्रत्यर्पण की मांग आगे भी करते रहेंगे।’

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दावा- बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश

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