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Hathras Satsang Stampede; Bhole Baba Surajpal Ashram Sevadar | UP Police | हाथरस भगदड़ में 121 मौतें, सूरजपाल को क्लीन चिट कैसे: विक्टिम बोले- बाबा को सजा मिले, सेवादार की पत्नी बोलीं- हमें फंसा दिया


‘हाथरस में भगदड़ के बाद लगा था कि संगत कम हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तो बाहर से भी लोग आने लगे हैं। देश का कोई कोना नहीं बचा, जहां से श्रद्धालु न आ रहे हों। बाबा सूरजपाल को क्लीन चिट भी मिल गई है। होली के बाद कार्यक्रम भी शुरू हो सकते हैं।’

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ये कहना है हाथरस के रहने वाले राजपाल सिंह यादव का, जो UP के कासगंज में सूरज पाल यानी भोले बाबा के आश्रम के ट्रस्टी हैं। वही आश्रम की देखरेख करते हैं।

हाथरस में 2 जुलाई 2024 को बाबा सूरज पाल के सत्संग में भगदड़ मच गई थी। इसमें 121 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद से ही सत्संग बंद है। हादसे के बाद भी श्रद्धालुओं का आश्रम आना नहीं रुका। सूरज पाल के अनुयायी सत्संग शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।

भगदड़ की जांच के लिए बने आयोग की रिपोर्ट आ गई है। इसमें बाबा को क्लीन चिट मिली है। पुलिस-प्रशासन के साथ आयोजकों को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

20 फरवरी को 1670 पन्ने की ये रिपोर्ट UP सरकार को सौंपी गई। 5 मार्च को इसे UP विधानसभा में पेश किया गया। रिपोर्ट में किस आधार पर पुलिस-प्रशासन और आयोजकों को जिम्मेदार बताया गया है, क्लीन चिट मिलने के बाद बाबा सूरज पाल कहां हैं? उनके आश्रम में क्या चल रहा है? पढ़िए ये रिपोर्ट…

सबसे पहले बाबा के आश्रम का हाल… सेवादार बोले- आश्रम में बंद जैसा कुछ नहीं, सब सामने है सबसे पहले हम कासगंज के बहादुर नगर गांव में बाबा सूरजपाल के आश्रम पहुंचे। नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के गेट के बाहर कैमरा निकालते ही सेवादारों ने रोक दिया। यहां सेवादार डंडे लेकर पहरा दे रहे हैं। सभी एक-एक हफ्ते की ‘सेवादारी’ करते हैं। फिर इनकी जगह कोई और ड्यूटी देता है।

आश्रम का गेट बंद था, लेकिन भक्तों के आने का सिलसिला जारी था। भक्त गेट के बाहर ही माथा टेकते और चले जाते। गेट खोलने के बारे में पूछा तो पता चला कि ये सिर्फ बाबा के आने पर ही खुलता है। यहां के लोकल लोग इसे बाबा का घर बताते हैं।

यहीं हमें आश्रम के ट्रस्टी राजपाल सिंह यादव मिले। वे हमें आश्रम के अंदर ले गए। हालांकि, हम उस गेट से अंदर नहीं जा सके, जिसके बारे में कहा गया था कि वो भोले बाबा के आने पर ही खुलता है।

आश्रम दिखाते हुए राजपाल कहते हैं, ‘देखिए, यहां बंद जैसा कुछ नहीं है। भोले बाबा ने सत्संग की शुरुआत इसी गांव से की थी। अब वे UP के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में भी सत्संग करते हैं। बाबा की पत्नी हमेशा उनके साथ रहती हैं। उन दोनों के कोई औलाद नहीं है।‘

बाबा सूरज पाल अभी कहां हैं? इस बारे में राजपाल कुछ नहीं बोलते। आश्रम के बाहर कुछ लोगों ने बताया, ‘भगदड़ के बाद वे सिर्फ एक बार यहां आए। हम लोग उनके दर्शन के लिए तरस रहे हैं।‘

वहीं, 12-13 साल से बाबा की सेवा में लगे एक सेवादार ने बताया कि भोले बाबा भगदड़ के बाद यहां आए थे, तब सिर्फ 24 घंटे रहे थे। उसके बाद चले गए थे और फिर नहीं लौटे।

श्रद्धालु बोले- बाबा हमारे लिए सब कुछ, हमारी जिंदगी बदल दी मुरादाबाद से दर्शन करने कासगंज आए भोले बाबा के एक अनुयायी अजय कहते हैं, ‘मेरे लिए बाबा ही सब कुछ हैं। मैं 2007 से उनसे जुड़ा हूं। यहां आकर हमारी आत्मा साफ होती है। मैं 2 घंटे के लिए आता हूं। माथा टेकता हूं और फिर चला जाता हूं। यहां हमें सब मिलता है। मैं बाबा के सत्संग वाली जगहों पर भी जाता रहता हूं। पिछले साल हाथरस भी गया था।’

पीलीभीत से आए रामपाल बताते हैं, ’मैं यहां 10 से ज्यादा बार आ चुका हूं। दो महीने पहले भी बाबा के दर्शन के लिए बहादुर नगर आया था।’

सूरज पाल आश्रम में नहीं हैं। यहां कोई सत्संग या कार्यक्रम भी नहीं हो रहा है, फिर आने की क्या वजह है? रामपाल जवाब देते हैं, ’क्या पता आगे हो जाए, प्रभु की माया कौन जानता है।’

रिपोर्ट से हाथरस हादसे के पीड़ित नाराज… परिवार बोले- सत्संग में लोगों की सुरक्षा बाबा की जिम्मेदारी, उन पर कार्रवाई हो हाथरस हादसे में सोखना गांव के विनोद कुमार की मां, पत्नी और बेटी की मौत हो गई थी। हादसे के वक्त विनोद बरेली में थे। वे बताते हैं, ‘मैं लौट रहा था, तभी पता चला कि सत्संग में भगदड़ मची है। पहले मां की मौत का पता चला। कुछ देर बाद पता चला कि पत्नी और बेटी भी नहीं रहीं।‘

हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर विनोद निराश होकर कहते हैं, ‘सुरक्षा की पहली जिम्मेदारी बाबा की ही थी। फिर भी वो जिम्मेदारी तय नहीं कर पाए। जैसे ही भगदड़ मची, उनके सेवादार भाग गए। लोग मरते रहे, लेकिन किसी ने जिम्मेदारी नहीं निभाई।’

कार्रवाई के सवाल पर वे कहते हैं, ‘इस पर पढ़े-लिखे लोग ज्यादा बता पाएंगे। अब हमारे घर वाले लौटकर नहीं आने वाले, न ही मुआवजे के 2-2 लाख रुपए से जिंदगी कटने वाली है।’

वहीं, सोखना गांव की ही हंसू देवी कहती हैं, ‘भगदड़ में मैं घायल हुई थी। मुझसे फॉर्म भरवाया गया, लेकिन मुआवजे के 50 हजार रुपए नहीं मिले।’

बाबा पर भरोसा नहीं, अब गांव से कोई उनके सत्संग में नहीं जाएगा हाथरस के नगला विहारी गांव के रहने वाले अवधेश कुमार ने हाथरस हादसे में मां को खो दिया। FIR में सूरज पाल का नाम न होने की वजह से उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर अवधेश कहते हैं, ‘ये सही नहीं हुआ है। सब अंधविश्वास और बेकार की बातें हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।’

अवधेश बताते हैं, ‘पहले कभी मेरे परिवार के लोग सत्संग में नहीं जाते थे। इस बार सत्संग हाथरस के पास के गांव में था, इसलिए सभी चले गए। हादसे के बाद भोले बाबा कभी पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं आए। हमारे गांव के लोग अब उनके सत्संग में नहीं जाना चाहते।’

भोले बाबा के अंधविश्वास को लेकर वे कहते हैं, ‘लोगों को लगता है कि वो भगवान हैं। उंगली उठाते हैं तो चक्र खुद-ब-खुद घूमता है। ऐसा नहीं है। मेरे ताऊ ने वहां जाने के बाद बताया कि उन्होंने उंगली में एक नग पहना है, जिस पर लाइट पड़ने से ऐसा होता है। ताऊ ने कहा कि मैं अब कभी उनके सत्संग में नहीं जाऊंगा।’

नगला विहारी गांव में ही रहने वाले मुनेष बताते हैं, ‘भगदड़ के बाद मैं मां को ढूंढने सिकंदराराऊ अस्पताल पहुंचा। उनकी मौत हो चुकी थी। इतना बड़ा सत्संग कर रहे थे, तो भीड़ को काबू में करना चाहिए था।’

हाथरस के अमौसी गांव के रहने वाले शैलेंद्र ने भगदड़ में मां और पत्नी को खो दिया था। वे बताते हैं, ‘2 जुलाई की शाम घटना का वीडियो देखकर दोनों के बारे में पता चला। हम तुरंत सिकंदराराऊ गए, लेकिन दोनों नहीं मिलीं। फिर हाथरस में मां की डेडबॉडी मिली। पत्नी की डेडबॉडी आगरा में मिली।’

भोले बाबा के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर शैलेंद्र कहते हैं, ‘किसके खिलाफ क्या होना चाहिए, मैं ये सब नहीं जानता। हमारे साथ जो होना था, वो हो गया।‘

सत्संग का मुख्य आयोजक केस में आरोपी, पत्नी बोलीं- हमें फंसा दिया इसके बाद हम 2 जुलाई को सत्संग के मुख्य आयोजक रहे देव प्रकाश मधुकर के घर पहुंचे। वे जेल में हैं। सिकंदराराऊ रेलवे स्टेशन के पास मधुकर का घर है। हम उनकी पत्नी रंजना से मिले। परिवार ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया। हालांकि, रंजना पति के खिलाफ दर्ज केस के बारे में बताते हुए भावुक हो जाती हैं।

कहती हैं, ‘आयोजन कराने वालों में 78 लोग थे, लेकिन मेरे पति को फंसा दिया। वे बहुत ईमानदार हैं। हम तो इसमें किसी की गलती नहीं मानते। भगदड़ में जिनकी मौत हुई, उनके लिए दुख है। ये एक हादसा था, जो आए दिन होता रहता है।‘

‘सत्संग हमेशा खुले मैदान में होता है। कहा जा रहा है कि भीड़ ज्यादा आ गई। क्या किसी ने गिना था कि कितने लोग आए थे। हम तो सेवा कर रहे थे, भविष्य का किसको पता है।‘

केस में सूरज पाल का नाम न होने पर रंजना कहती हैं, ‘मैं उनके बारे में कुछ नहीं बोल सकती। वो तो मानवता की बातें सिखाते हैं। न कुछ हमसे लेते हैं और न कुछ गलत सिखाते हैं।’

अब सूरज पाल के वकील की बात… साजिश के दावे पर अड़े, कहा- जहरीले स्प्रे से सत्संग में भगदड़ मची हमने न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को लेकर सूरज पाल और आयोजकों का केस लड़ रहे सीनियर वकील एपी सिंह से बात की। वे कहते हैं, ‘जिन 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनमें से 9 को जमानत मिल चुकी है। बाकी दो को भी जल्द मिल जाएगी। उन्होंने चार्जशीट के आधार पर दावा किया है कि सूरज पाल को क्लीन चिट मिल चुकी है।

एपी सिंह भगदड़ की घटना के बाद से ही साजिश और जहरीले स्प्रे किए जाने का दावा करते रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर कहा, ‘असामाजिक तत्वों ने साजिश करके इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया। सत्संग में जहरीले स्प्रे का छिड़काव किया गया था। हमारे पास इसके सबूत हैं।‘

सूरज पाल अभी कहां हैं? इस बारे में वे कहते हैं, ‘वो अपने आश्रम में हैं।‘

रिपोर्ट में चंदे और अंधविश्वास पर भी सवाल न्यायिक जांच आयोग ने सत्संग जैसे प्रोग्राम के लिए अलग-अलग लोगों से संपर्क कर पैसे इकट्ठा करने पर भी सवाल उठाए थे। चंदे की कोई रसीद नहीं दी जाती। इसे संस्था के खाते के बजाय व्यक्तिगत खातों में जमा किया जाता था। आयोग को पता चला कि आयोजक समाज में अपना प्रभाव जमाने के मकसद से ऐसे आयोजन करते हैं। इसमें इकट्ठा किए गए पैसों का कोई हिसाब नहीं रहता है।’

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बाबा लोगों को भरोसा दिलाते थे कि उनकी कृपा से भक्तों का कायाकल्प हो गया। वो प्रवचन के दौरान भूत-प्रेत भगाने का भी दावा करते। सेवादारों ने जांच के दौरान बताया कि बाबा का आदेश है कि प्रोग्राम की कोई रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी नहीं होगी। ऐसे फोटो और वीडियो का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। उसे गलत तरीके से लोगों में शेयर किया जा सकता है।

बाबा के साथ 24 घंटे रहने वाली वीडियोग्राफर रूबी ने जांच आयोग को बताया-

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बाबा का आदेश है कि कोई फोटो न ली जाए क्योंकि फोटो और वीडियो का दुरुपयोग किया जा सकता है। उसे गलत तरीके से प्रसारित किया जा सकता है।

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पुलिस के जवाब का इंतजार न्यायिक जांच आयोग ने रिपोर्ट में सत्संग के आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि सूरज पाल की जिम्मेदारियों को लेकर कोई बात नहीं है। इससे पहले SIT ने भी सूरज पाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। घटना के बाद दर्ज हुई FIR में उनका नाम नहीं था।

SIT ने इस केस में लापरवाही के मामले में SDM, CO सहित 6 पुलिस अफसरों को सस्पेंड कर दिया था। हमने SIT को लीड कर रहीं ADG (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ से भी कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की। उनसे बात नहीं हो सकी।

हमने जांच से जुड़े कुछ सवालों के जवाब ई-मेल के जरिए मांगे। स्टोरी लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला। जवाब मिलने पर खबर में अपडेट करेंगे।

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हाथरस भगदड़ की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट 5 मार्च को विधानसभा में पेश की गई। 2 जुलाई, 2024 को हुई भगदड़ में 121 लोगों की जान गई थी। इस रिपोर्ट में आयोग ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। साजिश से भी इनकार नहीं किया है। इसके साथ ही अलग से SIT जांच कराए जाने की बात कही है। पढ़िए पूरी खबर…



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