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अहमदाबाद2 दिन पहले
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जस्टिस बीआर गवई ने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। वहां उन्होंने यह बातें कही थीं। (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि बेंच पर और बेंच से बाहर जज का व्यवहार ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज के किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है।
चुनाव लड़ने के लिए किसी जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं।
जस्टिस गवई ने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की आलोचना करने वाली टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी पड़ी थी।
जस्टिस गवई ने 19 अक्टूबर को गुजरात के अहमदाबाद में यह बात कही। वे यहां न्यायिक अधिकारियों के लिए हुए वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। हालांकि, इसकी जानकारी 20 अक्टूबर को सामने आई।
जनता का विश्वास बरकरार रखना जरूरी जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बरकरार रखना जरूरी है। इसका सैद्धांतिक कारण यह है कि यदि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ तो वे ज्यूडिशियल सिस्टम के बाहर न्याय तलाश करेंगे।
उन्होंने कहा कि न्याय के लिए लोग भ्रष्टाचार, भीड़ के न्याय के जैसे तरीके अपना सकते हैं। इससे समाज में कानून और व्यवस्था का नुकसान हो सकता है। लोग केस दर्ज कराने और फैसलों के खिलाफ अपील करने में हिचकिचाहट महसूस कर सकते हैं।
धीमी अदालती प्रक्रिया से ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग जस्टिस गवई ने कहा- लंबी मुकदमेबाजी और धीमी अदालती प्रक्रियाएं ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग पैदा करती हैं। न्याय देने में देरी से निष्पक्ष सुनवाई तय करना मुश्किल हो जाता है। ज्यूडिशियल सिस्टम में विश्वास कम हो जाता है, जिससे अन्याय और लापरवाही की धारणा बनती है।
जस्टिस ने कहा कि न्याय में देरी से उन आरोपियों को नुकसान होता है जो बाद में निर्दोष पाए जाते हैं। इससे जेलों में भीड़ भी बढ़ जाती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग-लाइव स्ट्रीमिंग से कार्यवाही में पारदर्शिता जस्टिस गवई ने कहा कि संवैधानिक पीठ की कार्यवाही की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और लाइव स्ट्रीमिंग से कोर्ट की पारदर्शिता बढ़ रही है। ये अच्छा कदम है। इससे जनता को रियल टाइम में फैसले देखने की परमिशन मिलती है।
उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही की छोटी क्लिप जस्टिस के बारे में गलत धारणा बना सकती हैं। इसके लिए वायरल क्लिप क्लिप के दुरुपयोग रोकना है तो अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए गाइड लाइन बनाने की जरूरत है।
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