रिपोर्ट/वाइस एडिटर कृष्ण कुमार शुक्ल
महादेवा /रामनगर।सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल लोधेश्वर महादेव मंदिर करीब पांच हजार साल पुराना माना जाता है यह इतना लोकप्रिय कि इसे भारत के शीर्ष 52 शिविलिंगों में माना जाता है देश के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ लोधेश्वर महादेवा मंदिर में सावन के दिनों में देश के कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग को स्थापित किया था तब करीब 12 वर्ष तक रुद्र महायज्ञ किया था फाल्गुन का मेला यहां खास अहमियत रखता है पूरे देश में लाखों श्रद्धालु यहां कावर लेकर शिवरात्रि से पूर्व पहुंचकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं माना जाता है कि वेद व्यास मुनि की प्रेरणा से पांडवों ने रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया और तत्कालीन गंडक इस समय घाघरा नदी किनारे कुल्छात्तर नामक जगह पर इस यज्ञ का आयोजन किया महादेवा से 2 किलोमीटर उत्तर नदी के पास आज भी कुल्छात्तर में यज्ञ कुंड के प्राचीन निशान मौजूद हैं उसी दौरान इस शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी
क्षेत्रीय लोग कहते हैं कि लोधराम नाम के किसान अपने खेत में पानी लगाए हुए था सिंचाई का सारा पानी एक गड्ढे में जा रहा था और वह गड्ढा पानी से भी नहीं भर रहा था रात को किसान लोधराम परेशान होकर घर लौट आया और सपने में देखा कि जिस गड्ढे में पानी जा रहा था वहां शिवलिंग है यह वही शिवलिंग था जिसे माता कुंती महाभारत काल में पूजा-अर्चना करती थी जिसके बाद इस स्थान का नाम लोधेश्वर महादेवा नाम पड़ गया पूरे सावन महीने में यहां लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं महादेवा मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन में भगवान शिव हर शिवलिंग में विराजते हैं लोधेश्वर महादेव का महत्व पौराणिक काल से है यहां जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है यहां बेलपत्र धतूरा भांग मदार के फूल और शमी की लकड़ी से पूजन किया जाता है लोधेश्वर महादेवा में जलाभिषेक के लिए जिले के अलावा लखनऊ बहराइच कानपुर उन्नाव उरई जालौन फैजाबाद अमेठी सीतापुर समेत कई जिलों से लाखो की तादात में शिव भक्त दर्शन के लिए आते है