रिपोर्ट – रोचक अग्निहोत्री (शाहजहांपुर)
शाहजहांपुर – कभी रोडवेज की बसें यात्रियों को मंज़िल तक पहुँचाने का ज़रिया मानी जाती थीं, लेकिन अब लगता है, ये बसें डर और लापरवाही की गवाह बनती जा रही हैं। गढ़मुक्तेश्वर डिपो की एक बस में कौशांबी से शाहजहांपुर लौट रहे एक युवक को रास्ते में ज़हरखुरानी का शिकार बना लिया गया। दुखद बात ये नहीं कि घटना हुई—बल्कि ये कि जब पुलिस से मदद मांगी गई, तब भी सिस्टम सोता रहा।
पीड़ित युवक की पहचान सक्षम गुप्ता के रूप में हुई है, जो चित्रा टॉकीज का रहने वाला बताया जा रहा है। परिचालक अनुज सिंह के अनुसार सक्षम ने कौशांबी से शाहजहांपुर तक का टिकट लिया था। यात्रा के दौरान बरेली के फरीदपुर के पास एक ढाबे पर बस रुकी। जब बस फिर चली और यात्रियों की गिनती हुई तो एक यात्री कम पाया गया। ढूंढ़ने पर वह युवक सीटों के बीच बेहोश मिला।
शक जताया जा रहा है कि उसके पास बैठे व्यक्ति ने ही उसे नशीला पदार्थ खिलाया और मौके से उतरकर फरार हो गया। परिचालक ने तुरंत सूझबूझ दिखाते हुए बरेली मोड़ पुलिस चौकी पर बस रोककर सूचना दी। मगर अफ़सोस! पुलिस ने इस गंभीर मामले को भी हल्के में ले लिया। न तो कोई प्राथमिक जांच हुई, न ही युवक की हालत को देख तत्काल एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई। उल्टा परिचालक को कह दिया गया—“सीधा मेडिकल कॉलेज ले जाओ”।
एम्बुलेंस का इंतज़ार भी लम्बा चला। अंततः पूरी बस को ही मेडिकल कॉलेज परिसर के अंदर ले जाना पड़ा। और यही नहीं—पुलिस ने पीड़ित का बैग तक चेक नहीं किया, जिसमें उसकी पहचान और जरूरी जानकारी हो सकती थी। पुलिस की इस बेरुख़ी से परिचालक और अन्य यात्री भी हतप्रभ रह गए।जब इस मामले में इंस्पेक्टर राजीव तोमर से पूछा गया तो उन्होंने कहा—“मामले की कोई जानकारी नहीं है।”
सवाल ये है कि जब बस पुलिस चौकी पर खुद जाकर सूचना देती है, तो जानकारी कहाँ गुम हो जाती है?
यह घटना सिर्फ ज़हरखुरानी नहीं थी, यह पुलिस व्यवस्था की संवेदनहीनता की भी एक मिसाल है। यात्रियों को अब खुद ही सजग रहना होगा। सफर के दौरान किसी अजनबी से खाने-पीने की कोई चीज़ न लें। और प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसी घटनाओं को लेकर सतर्कता बढ़ाए, वरना अगला शिकार कोई और हो सकता है।