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Assam Bank Scam; Guwahati Journalist Dilbar Hussain | BJP Himanta Biswa Sarma | असम बैंक घोटाला- सवाल पूछने वाले जर्नलिस्ट दिलबर पर केस: बैंक के डायरेक्टर CM-चेयरमैन BJP विधायक, हिमंता बोले- पत्रकार नहीं, पूरा परिवार दलाल


‘25 मार्च को गुवाहाटी में असम को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक के बाहर प्रदर्शन चल रहा था। बैंक पर घोटाले के आरोप लगे थे। मैं प्रदर्शन कवर करने गया। तभी बैंक के MD दंबारू सैकिया वहां पहुंचे। मैंने घोटाले पर उनका रिएक्शन लेना चाहा, लेकिन वो मुझे बैंक के अंदर ले

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दिलबर हुसैन मजूमदार गुवाहाटी में वेब न्यूज पोर्टल ‘The Crosscurrent’ के जर्नलिस्ट हैं। उन पर SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। आरोप है कि उन्होंने बैंक के सुरक्षाकर्मी के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। अभी वो जमानत पर जेल से छूटे हैं। हालांकि, दिलबर आरोपों से इनकार करते हुए कहते हैं कि ये सब बैंक के खिलाफ प्रदर्शन की कवरेज करने के कारण हुआ। मेरे भाई पर भी 4 साल पुराने केस में FIR दर्ज करा दी गई।

जिस एपेक्स बैंक पर 50 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे हैं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उसके डायरेक्टर हैं। BJP विधायक बिस्वजीत फुकन चेयरमैन हैं। लिहाजा बैंक में कथित घोटाले को कवर कर रहे जर्नलिस्ट की गिरफ्तारी को मीडिया की आजादी पर खतरे की तरह देखा जा रहा है। हालांकि, CM हिमंता ने दिलबर के भाई और उनके परिवार को जमीन का दलाल बताया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी असम पुलिस को नोटिस भेजकर रिपोर्ट मांगी है। असम को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक घोटाला क्या है? जर्नलिस्ट दिलबर की गिरफ्तारी का पूरा मामला क्या है? दिलबर की गिरफ्तारी के बाद लोकल जर्नलिस्ट इस केस को कैसे देख रहे हैं? ये जानने के लिए हम गुवाहाटी में ग्राउंड जीरो पर पहुंचे।

सबसे पहले जानिए… 25 मार्च को आखिर क्या हुआ था? को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक, असम के बड़े बैंक में से एक है, जिस पर 50 करोड़ रुपए की कथित फाइनेंशियल गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। 25 मार्च को असम की रीजनल पार्टी असम जातीय परिषद की यूथ विंग जातीय युवा शक्ति इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थी। दोपहर के वक्त जर्नलिस्ट दिलबर ये प्रदर्शन कवर करने पहुंचे। उन्होंने बैंक के MD दंबारू सैकिया का रिएक्शन लेना चाहा, तो वे बिना रिएक्शन दिए दिलबर को बैंक में लेकर चले गए।

दिलबर जब बाहर आए तो लोकल पान बाजार पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। करीब 1 बजे पुलिस उन्हें पान बाजार थाने ले गई। दिलबर आरोप लगाते हैं कि पहले कई घंटों तो उन्हें बताया तक नहीं गया कि थाने क्यों लाया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर एक और पोस्ट की। उन्होंने लिखा-

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मेरी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। बैंक घोटाले पर MD से सवाल करने पर मुझे पान बाजार थाने में गिरफ्तार कर लिया गया है।

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दिलबर आगे बताते हैं, ‘इस पोस्ट के बाद पुलिस ने मेरा फोन ले लिया। अगले कई घंटों तक मुझे किसी से मिलने नहीं दिया गया। रात करीब 11 बजे पुलिस ने बताया कि मुझे अरेस्ट कर लिया गया है। SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। मुझ पर बैंक के सिक्योरिटी गार्ड के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।‘

दिलबर को जमानत मिलते ही दूसरा केस लगाया गिरफ्तारी के अगले दिन 26 मार्च को दिलबर को सेशन कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में जांच अधिकारी गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। कोर्ट ने पुलिस का दावा खारिज करते हुए कहा कि गार्ड के बयान से ये साबित नहीं होता कि दिलबर ने जानबूझकर अपमान किया। 26 मार्च को ही उन्हें जमानत मिल गई।

जज ने पुलिस को फटकार लगाते हुए ये भी कहा-

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SC/ST एक्ट का मकसद समाज के कमजोर वर्गों को संरक्षण देना है, न कि इसे व्यक्तिगत या राजनीतिक बदले के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना।

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26 मार्च की देर शाम जमानत मिलने की वजह से बेल बॉन्ड पुलिस के पास अगले दिन पहुंचा। 27 मार्च को दिलबर जैसे ही जेल से बाहर आए, पुलिस ने उन्हें तुरंत दूसरे केस में अरेस्ट कर लिया। इस बार उनके खिलाफ बैंक के MD डी सैकिया ने FIR कराई।

28 मार्च को दिलबर को कोर्ट में दोबारा पेश किया गया। उसी दिन उन्हें फिर जमानत मिल गई। 29 मार्च को दिलबर जेल से बाहर आए।

दिलबर बोले- बैंक MD ने प्रदर्शन बंद कराने को कहा, मना करने पर केस कराया हमने इस मामले को समझने के लिए जर्नलिस्ट दिलबर से बात की। वे 25 मार्च को प्रदर्शन वाले दिन गार्ड से बदतमीजी और बैंक में जबरदस्ती घुसने के आरोप को गलत बताते हैं। MD पर आरोप लगाते हुए वे कहते हैं कि बैंक के अंदर उन्होंने ही बुलाया था। मैं अपनी मर्जी से नहीं गया था।

दिलबर कहते हैं, ‘बैंक में ले जाने के बाद MD ने मुझे लॉबी में बैठाया और भड़क गए। वे कहने लगे कि प्रोटेस्ट बंद कराओ। मैंने उन्हें बताया कि ये जर्नलिस्ट का काम नहीं है। इसके बाद MD दंबारू और बैंक के बाकी लोगों ने मुझे प्रोटेस्ट की फुटेज डिलीट करने के लिए धमकाया। जब मैं बाहर आ गया, तब तक बैंक से पुलिस को शिकायत पहुंच गई और मुझे थाने बुला लिया गया।’

दिलबर बताते हैं, ‘28 मार्च की रात पुलिस मेरे घर तलाशी लेने पहुंची। घर पर सिर्फ मेरी पत्नी थीं। इसके बावजूद तलाशी की कार्रवाई में कोई महिला पुलिस नहीं थी। The Crosscurrent ने इसका वीडियो भी अपने फेसबुक पेज पर लाइव किया। इसमें दिलबर की पत्नी महिला पुलिस न होने पर सवाल उठाती दिख रही हैं।

MD दंबारू सैकिया बोले- दिलबर पर बात नहीं करूंगा इसके बाद हम MD दंबारू सैकिया का पक्ष जानने एपेक्स बैंक पहुंचे। यहां हमने घोटाले के आरोपों और दिलबर केस को लेकर उनसे बात की। वे कहते हैं, ‘उस दिन कुछ लोग बैंक के बाहर प्रोटेस्ट कर रहे थे। जर्नलिस्ट दिलबर भी वहीं थे। कस्टमर्स को बैंक के अंदर आने में दिक्कत हो रही थी। तब गार्ड ने थोड़ा जगह बनाने की अपील की। उसी वक्त गार्ड के साथ बदसलूकी हुई।’

जब हमने दंबारू से दिलबर के आरोपों पर बात की, तो उन्होंने इस पर कोई जवाब देने से मना कर दिया। मामला कोर्ट में होने का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि सारे सबूत पुलिस को सौंप दिए गए हैं।

गार्ड के बारे में पूछने पर भी उन्होंने मामला कोर्ट में होने का हवाला दिया। जब हमने गेट पर मौजूद दूसरे सिक्योरिटी गार्ड्स से पूछा तो उन्होंने बताया कि जिस गार्ड के साथ कथित बदसलूकी हुई थी, वो अभी छुट्टी पर हैं। उनकी तबीयत खराब चल रही है। गार्ड का कॉन्टैक्ट देने से भी मना कर दिया गया।

को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक में घोटाले को लेकर 25 मार्च को असम की रीजनल पार्टी असम जातीय परिषद की यूथ विंग जातीय युवा शक्ति ने प्रदर्शन किया था।

को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक में घोटाले को लेकर 25 मार्च को असम की रीजनल पार्टी असम जातीय परिषद की यूथ विंग जातीय युवा शक्ति ने प्रदर्शन किया था।

कमिश्नर बोले- ये इतना जरूरी केस नहीं कि बार-बार बात करें हमने NHRC के नोटिस, दिलबर और MD दंबारू के आरोपों को लेकर नए सिरे से पुलिस से बात करने की कोशिश की। सबसे पहले हम पान बाजार थाने पहुंचे। यहां मिले थाना इंचार्ज शंकर ज्योति नाथ ने केस पर बात करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस पर बात करने के लिए ऑथराइज नहीं हैं। उन्होंने पुलिस कमिश्नर से मिलने की सलाह दी।

इसके बाद हम गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंचे। यहां लंबे इंतजार के बाद पुलिस कमिश्नर पार्थ सारथी महंता से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने भी केस पर बात करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि पुलिस इसे इतना जरूरी केस नहीं मानती कि बार-बार बात करे। हमें जो बताना था, वो मीडिया को बता चुके हैं।

प्रेस क्लब की प्रेसिडेंट बोलीं- सरकार के खिलाफ लिखेंगे तो केस होगा असम प्रेस क्लब की प्रेसिडेंट सुष्मिता गोस्वामी इसे मीडिया की आजादी पर खतरा बताती हैं। वे कहती हैं, ‘ये बहुत ही डरावनी स्थिति है। दिलबर ऑन ड्यूटी थे। वे MD से उनका पक्ष जानने गए थे। एक जर्नलिस्ट पर काम करते हुए केस लगाया गया। दोनों केस फर्जी थे, क्योंकि कोर्ट ने दोनों में आसानी से जमानत दे दी। SC/ST एक्ट के केस में जमानत मिलना आसान नहीं होता।’

‘दरअसल बैंक का चेयरमैन BJP विधायक है, इसलिए केस किया गया। क्या सरकार के खिलाफ अगर कोई जर्नलिस्ट कुछ लिखेगा, तो उस पर भी केस किया जाएगा। इस सरकार में जर्नलिस्ट काम करने के लिए आजाद नहीं हैं।‘

सुष्मिता और भी मामलों का जिक्र कर पत्रकारों की सुरक्षा की मांग करती हैं। वे बताती हैं कि प्रेस क्लब जल्द ही गवर्नर, सरकार और पुलिस के सामने अपनी मांगों की लिस्ट रखेगी। इसमें सुरक्षा से लेकर डिजिटल पत्रकारों के लिए सिस्टम की मांग की जाएगी।

दिलबर के भाई पर 4 साल पुराने केस में FIR दर्ज, जेल में बंद दिलबर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इस केस की आंच उनके परिवार तक पहुंच गई है। उनके भाई तैबुर रहमान मजूमदार होजाई जिले के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। होजाई पुलिस अधीक्षक (DSP) सौरभ गुप्ता ने बताया, 2021 में तैबुर को राजस्व और सर्किल ऑफिसों में दलालों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में 31 मार्च को उसके खिलाफ एक नया केस दर्ज किया गया।

दिलबर कहते हैं, ‘भाई के केस में जांच होने पर सब साफ हो जाएगा। हम पिछले कई सालों से मौजूदा सरकार के करप्शन पर रिपोर्टिंग करते आए हैं, इसलिए हमें निशाना बनाया जा रहा है।‘

CM हिमंता बिस्वा बोले- दिलबर का पूरा परिवार जमीन दलाल मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस केस पर बयान देते हुए दिलबर के भाई को जमीन का दलाल बताया। उन्होंने दिलबर पर आरोप लगाते हुए कहा, ’दिलबर का भाई जमीन का दलाल है। उसे 2021 में गिरफ्तार किया गया था और चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। इसके बावजूद वो स्कूल में पढ़ा रहा था। सरकार ने उसे निलंबित भी नहीं किया था। इससे पता चलता है कि वे सरकार के नीचे कितनी गहराई तक काम कर रहे हैं।’

’दिलबर खुद एक डंपर बिजनसमैन है। होजाई जाओ और पूछो कि पूरा परिवार जमीन के दलालों के नाम से जाना जाता है।’ दिलबर की गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने कहा, ’राज्य सरकार दिलबर मजूमदार को मान्यता प्राप्त जर्नलिस्ट नहीं मानती।’

अब जानिए इस मामले पर पॉलिटिकल पार्टीज क्या कह रहीं… घोटाले को लेकर AJP और कांग्रेस ने सरकार को घेरा, प्रेस की आजादी पर हमला बताया 25 मार्च को असम जातीय परिषद (AJP) के कार्यकर्ता ही प्रदर्शन कर रहे थे। हमने AJP के प्रवक्ता जिया उर रहमान से बात की। वे दिलबर की गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला बताते हैं। वे BJP पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ये सब बैंक घोटाले को कवर करने के लिए किया जा रहा है।

राज्य में विपक्ष यानी कांग्रेस लगातार बैंक के शीर्ष पदों पर भर्ती में घोटाले का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस लगातार जांच की भी मांग कर रही है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई भी निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर PM मोदी को लेटर लिख चुके हैं। 5 अप्रैल को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी में बैंक के हेड ऑफिस के बाहर कथित घोटाले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया।

BJP: दिलबर पर कार्रवाई पत्रकार होने की वजह से नहीं हुई, दूसरे केस में हुई असम BJP प्रवक्ता किशोर उपाध्याय मीडिया की आजादी पर किसी भी तरह के खतरे से इनकार करते हैं। वे कहते हैं, ‘दिलबर को पत्रकार होने के चलते गिरफ्तार नहीं किया गया है। दिलबर पत्रकार, एडवोकेट और बिजनसमैन भी हैं। कोई एक व्यक्ति एक साथ सब कैसे हो सकता है। उन पर दूसरे मामलों में कार्रवाई हुई है।‘

‘लोग PM से लेकर CM तक को पता नहीं क्या-क्या कहते हैं। उनके खिलाफ लिखते हैं, लेकिन अब तक कभी कोई ऐसे मामले में गिरफ्तार नहीं हुआ। किसी पर इस वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे पत्रकारों पर कार्रवाई करेंगे तो जेल भर जाएगा।‘

बैंक पर कथित घोटाले के आरोपों को लेकर वे कहते हैं कि अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी निष्पक्ष जांच होगी।

एपेक्स बैंक पर पहले भी आरोप लगे 2022 में भी एपेक्स बैंक पर आरोप लगे थे कि 20.3 करोड़ रुपए के लेनदेन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज किया गया। तब ये फंड कथित तौर पर नॉर्थ ईस्ट प्लांटेशन एंड कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। ये राजेश बजाज की कंपनी है, जिनकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) शारदा चिट फंड घोटाले के संबंध में जांच कर चुकी है।

आरोप है कि राजेश बजाज की कंपनी के साथ लेनदेन ‘डिमांड बिल परचेज‘ से किए गए। 1 जुलाई, 2015 को जारी RBI के एक सर्कुलर में डिमांड बिल परचेज को बैन किया गया था। बजाज को कथित तौर पर एपेक्स बैंक के चेयरमैन बिस्वजीत फुकन का करीबी बताया जाता है।

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