हिंदुत्व के नाम पर चुनाव जीतने वाली BJP ईद के मौके पर लाखों मुसलमानों को सौगात-ए-मोदी किट दे रही है। इस किट में कपड़े, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों का तेल, चीनी और खजूर शामिल हैं। BJP फिलहाल वक्फ संशोधन बिल की वजह से मुस्लिम संगठनों की नाराजगी का सामना
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आखिर ‘सौगात-ए-मोदी’ किट क्यों बांट रही है BJP, बिहार चुनाव पर नजर या कोई छिपी लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: मुसलमानों को BJP की तरफ से दी जा रही ‘सौगात-ए-मोदी’ किट क्या है? जवाबः 25 मार्च 2025 को नई दिल्ली के गालिब अकादमी से सौगात-ए-मोदी किट बांटने का कार्यक्रम शुरू हुआ। BJP अल्पसंख्यक मोर्चा ने इसकी जिम्मेदारी संभाली है। मोर्चे के 32 हजार कार्यकर्ता देश की 32 हजार मस्जिदों के साथ मिलकर जरूरतमंदों तक ये किट पहुंचाएंगे। हर मस्जिद से 100 लोगों को मदद पहुंचाने का टारगेट रखा गया है।
सौगात-ए-मोदी किट में महिलाओं के लिए सूट, पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों तेल, चीनी, कपड़े, मेवा, खजूर शामिल हैं। हर किट की कीमत ₹500-₹600 के करीब बताई गई है।

सौगात-ए-मोदी किट
BJP अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, ‘रमजान के पवित्र महीने और ईद, गुड फ्राइडे, ईस्टर, नवरोज के मौके पर अल्पसंख्यक मोर्चा सौगात-ए-मोदी अभियान के जरिए जरूरतमंदों तक पहुंचेगा। जिला स्तर पर ईद मिलन समारोह भी आयोजित किए जाएंगे।’
अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी यासिर जिलानी ने कहा,

ये अभियान भाजपा के मुस्लिम समुदाय के बीच कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए है। इसके जरिए भाजपा और NDA के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने पूछा- यह राजनीति है या हृदय परिवर्तन? कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि बिहार में चुनाव है। BJP सौगात नहीं दे रही, बल्कि मुसलमानों के वोट मांग रही है।
सवाल-2: क्या ‘सौगात-ए-मोदी’ देने के पीछे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव हैं?
जवाबः 1990 में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सत्ता में काबिज होने के लिए ‘MY’ फॉर्मूला ईजाद किया। मुस्लिम और यादव कम्युनिटी को मिलाकर बनने वाले इस समीकरण के इर्द-गिर्द हमेशा से बिहार की समूची राजनीति रही है।
अक्टूबर 2023 में जारी हुए बिहार की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 17.7% मुस्लिम और 14.26% यादव आबादी रहती है। इसलिए बिहार में सत्ता की चाह रखने वाली कोई भी पार्टी मुस्लिम और यादव वोट बैंक को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
माना जाता है कि बिहार में अब भी यादव कम्युनिटी का एकमुश्त वोट RJD को मिलता है। हालांकि, मुस्लिम वोटर्स का रुख बदलता रहा है। CSDS-लोकनीति के पोस्ट-पोल सर्वे 2020 के मुताबिक, RJD और कांग्रेस वाले महागठबंधन को 75% मुस्लिमों ने वोट दिया। वहीं, BJP और JDU वाले NDA को 5% और चिराग पासवान की पार्टी LJP को 2% मुस्लिम वोट मिले।
बिहार विधानसभा की 243 में से 32 सीटें ऐसी हैं, जहां 30% से ज्यादा इलेक्टर्स मुस्लिम हैं। यानी 32 सीटें मुस्लिम बहुल हैं, जो बहुमत के जादुई आंकड़े 122 को हासिल करने में काफी मददगार साबित होती हैं।
इन 32 सीटों में से 7 सीटों पर BJP लगातार तीन बार से चुनाव से जीत रही है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी BJP ने 12 और JDU ने 6 मुस्लिम डॉमिनेंट सीटें जीतीं थीं। जबकि कांग्रेस को 5 और RJD को 5 सीटें मिलीं थीं।

सवाल-3: हिंदुत्व की राजनीति से जीत रही BJP को मुस्लिमों का वोट क्यों चाहिए? जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, ‘BJP ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को अपनी पहचान बनाना चाहती है। हिंदुत्व के बावजूद पार्टी यह दिखाने की कोशिश करती है कि वह सिर्फ हिंदुओं की नहीं, बल्कि सभी समुदायों की पार्टी है। पसमांदा मुसलमान तक पहुंचने की रणनीति इसका उदाहरण है।’
CSDS के प्रोफेसर हिलाल अहमद कहते हैं कि BJP को 3 तरह का वोट मिलता है- 1. कोर वोटर, 2. पार्टी सिंपैथाइजर, 3. फ्लोटिंग वोटर। अपने कोर वोटर को एकजुट रखने के लिए BJP एंटी-मुस्लिम विमर्श चलाती है, जैसे- वक्फ बिल, संभल मस्जिद। लेकिन सिंपैथाइजर और फ्लोटिंग वोटर के लिए मुस्लिम आउटरीच जैसे प्रोग्राम भी चलाती है, जैसे- सौगात-ए-मोदी और स्नेह यात्रा।
रशीद किदवई कहते हैं,

BJP को पता है कि मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण उसके खिलाफ जाता है। जब मुस्लिम एकजुट होकर विपक्ष को वोट देते हैं, तो हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण BJP के पक्ष में होता है। BJP कुछ मुस्लिम वोट हासिल करके इस ध्रुवीकरण को कम कर सकती है और अपनी जीत को और पक्का कर सकती है।
लोकनीति पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक 2014 और 2019 चुनाव में BJP को 8% मुस्लिम वोट मिला था, जो 2024 चुनाव में घटकर 6% रह गया। मुस्लिम वोटर्स का नंबर भले ही छोटा हो, लेकिन BJP के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

BJP ने दोतरफा स्ट्रैटजी का बहुत कैलकुलेटेड कदम उठाया। एक तरफ तो पसमांदा और मुस्लिम औरतों की बात करती है, दूसरी तरफ मुस्लिम विरोधी विमर्श को अप्रत्यक्ष रूप से लगातार स्थापित कर रही है।
सवाल-4: मुस्लिमों को लाभार्थी बनाकर अपने पाले में करने की बड़ी स्ट्रैटजी क्या है? जवाब: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 मार्च को विधानसभा में कहा था- राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में मुसलमानों की हिस्सेदारी, राज्य की आबादी में उनकी हिस्सेदारी से कई गुना ज्यादा है। UP में मुस्लिम आबादी 17-19% है, लेकिन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ में उनकी हिस्सेदारी 30-35% है।’

CM योगी ने कहा- सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जाति, पंथ, धर्म, क्षेत्र और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया। (फाइल फोटो)
उदाहरण के लिए- प्रधानमंत्री आवास योजना। 22 जुलाई 2024 को एक सवाल का जवाब देते हुए शहरी और आवास मामलों के राज्य मंत्री तोकन साहू ने कहा था कि 2015 से अब तक 1.9 करोड़ लोगों के घरों को मंजूरी मिली है। इनमें से 85.5 लाख घर पूरे हो चुके हैं। इनमें से 13.45 लाख, यानी 12.74% मुस्लिम लाभार्थी हैं।
रशीद किदवई का कहना है, ‘BJP मुस्लिमों को लाभार्थी बनाकर अपने पाले में करना चाहती है, जिससे फ्लोटिंग वोटर्स का मार्जिन कम हो जाए। BJP मुसलमानों को कई योजनाओं का फायदा देती है और चुनाव के समय उनसे रिव्यू लिया जाता है। ऐसे में वोटर्स के मन में कहीं न कहीं यह बात जरूर बैठ जाती है कि BJP ने उन्हें किसी न किसी तरह फायदा ही पहुंचाया है। इसलिए वोट इसी पार्टी को दिया जाए।’
सवाल-5: क्या मुस्लिम वोटर का झुकाव भी BJP की तरफ बढ़ा है? जवाबः 18 फरवरी को गुजरात में हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों में BJP ने नगर पालिकाओं, नगर निगमों और जिला और तालुका पंचायतों की कुल 2,171 सीटों में से 1,608 सीटों पर कब्जा जमाया। 66 नगर पालिकाओं में BJP के टिकट पर 82 मुस्लिम उम्मीदवार जीतकर आए। पार्टी ने इस चुनाव में 210 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें 21 निर्विरोध चुने गए। इस तरह BJP के मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत का स्ट्राइक रेट 66% रहा।

धरमपुर नगरपालिका की टोटल 24 सीटें थीं जिनमें से 20 पर BJP ने कब्जा जमाया।
BJP राज्य अल्पसंख्यक सेल अध्यक्ष मोहसिन लोखंडवाला ने इस जीत पर कहा,

गुजरात के मुस्लिमों ने BJP की विकास की राजनीति को चुना है, न कि कांग्रेस की तुष्टिकरण वाली नीति को।
इसके अलावा UP विधानसभा उपचुनाव में भी BJP ने मुस्लिम के कैंडिडेट ने बाजी मारी। UP की 60% मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी सीट पर BJP कैंडिडेट रामवीर सिंह ने जीत दर्ज की। रामवीर ने सपा के मोहम्मद रिजवान को लगभग डेढ लाख वोटों से हराया। BJP इस सीट पर आखिरी बार 1993 में जीती थी।
कुंदरकी में रामवीर सिंह अकेले हिंदू उम्मीदवार थे, जबकि बाकी 11 उम्मीदवार मुस्लिम थे। रामवीर सिंह को 1,70,371 वोट मिले, वहीं मोहम्मद रिजवान को सिर्फ 25,580 वोट मिले। दोनों के बीच जीत का अंतर 1,44,791 वोट रहा। तीसरे नंबर पर आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के उम्मीदवार को 14,201 वोट, AIMIM के मोहम्मद वारिश को 8,111 वोट और BSP के रफतुल्ला को 1,099 वोट मिले।
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी का मानना है, ‘गुजरात और UP के चुनाव के दम पर नहीं कहा जा सकता कि मुस्लिम वोटर्स का झुकाव BJP की ओर बढ़ रहा है। इसे सिर्फ रिवर्स पोलराइजेशन के तौर पर देखा जा सकता है, क्योंकि थोड़ा-बहुत असर तो पड़ता ही है, लेकिन इससे मुस्लिम वोटर्स BJP की ओर नहीं झुक रहे। BJP के कई नेता आए दिन मुसलमानों की आलोचना करते हैं और बयान देते रहते हैं, इससे बड़ा फर्क पड़ता है।’
सवाल-6: क्या BJP की इस स्ट्रैटजी से मुसलमानों का बड़ा हिस्सा BJP को वोट करने लगेगा? जवाबः CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक इस बात में हकीकत तो है कि विपक्षी पार्टियों से भी मुस्लिमों में एक असंतोष तो है, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के पास कोई ऑप्शन भी नहीं है।
संजय कुमार कहते हैं, ’अखिलेश, तेजस्वी, ममता या राहुल को मुस्लिम इसलिए वोट नहीं देते कि उन्होंने उनकी कम्युनिटी के लिए बहुत कुछ कर दिया है। उनके सामने बुरे और बेहद बुरे में तय करने का सवाल है। इसलिए वो बुरे की तरफ जाते हैं, बेहद बुरे की तरफ नहीं।’
लेकिन विजय त्रिवेदी की राय अलग है। वे कहते हैं, ‘BJP मुसलमानों की तरफ रीचआउट करना चाहती है, लेकिन अगर यह सोचना कि सौगात ए मोदी जैसी योजनाओं से पूरी तरह से मुस्लिम वोट BJP को मिल जाएगा तो यह न तो BJP को लगता है और यह नामुमकिन भी है।
2019 के चुनाव में BJP का मुस्लिम वोट बैंक 8% था जो 2024 में 2% गिरकर 6% ही बचा। इससे जाहिर होता है कि मुस्लिम आबादी BJP को वोट नहीं देना चाहती। इक्का-दुक्का मुस्लिम वोटर्स BJP से प्रभावित हैं, जो सामान्य बात है।’
विजय त्रिवेदी ने कहा,

मुस्लिम आबादी की अभी बड़ी चिंता वक्फ बिल को लेकर है। इस बिल पर मोदी सरकार के रुख से मुस्लिम वोट शेयर तय होगा, क्योंकि यह CAA और NRC से ज्यादा मुस्लिमों को प्रभावित करेगा। बाकी यह सौगात ए मोदी जैसी स्कीम लॉलीपॉप के अलावा कुछ नहीं।
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार हसन सुरूर के मुताबिक, कई मुस्लिम कहते दिख जाते हैं कि मोदी ने काम किया है। हालांकि, वो BJP को वोट मुश्किल से ही देंगे, क्योंकि इसे कम्युनिटी के साथ गद्दारी की तरह देखा जाता है।
सवाल-7: एक तरफ वक्फ बिल और दूसरी तरफ सौगात-ए-मोदी; मुस्लिमों को लेकर BJP में ही विरोधाभास क्यों है? जवाबः केंद्र सरकार इन दिनों वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों की नाराजगी का सामना कर रही है। मुसलमानों को लेकर BJP सरकार के दो रुख सामने आ रहे…
पहला रुख: मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाना
- BJP वक्फ बिल संसद में पेश करने की तैयारी में है, जिसका भारतीय मुसलमान विरोध कर रहे हैं। 26 मार्च को पटना में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ गर्दनीबाग में मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन किया। मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन को RJD का समर्थन मिला है।
- धरनास्थल पर RJD सुप्रीमो लालू यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी पहुंचे। तेजस्वी यादव ने कहा, ‘किसी भी कीमत पर नागपुरिया कानून लागू नहीं होने देंगे। आप लोगों की लड़ाई में हम मजबूती से साथ खड़े हैं। आप लोग एक कदम चलिएगा तो हम चार कदम चलेंगे।
- 17 मार्च को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।
दूसरा रुख: मुसलमानों को साथ लेकर चलने की बात
- 25 मार्च से केंद्र सरकार ने मुसलमानों के लिए सौगात ए मोदी स्कीम शुरू की, जिसमें राशन से लेकर कपड़ों की किट पसमांदा मुसलमानों को दी जा रही।
- 24 मार्च को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया, लेकिन इसमें भी उलेमाओं ने शिरकत करने से इनकार कर दिया। नीतीश कुमार इसमें जरूर पहुंचे।
- 23 मार्च को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मुसलमानों के लिए रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया।

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में बिहार के CM नीतीश कुमार।
रशीद किदवई कहते हैं, ‘BJP दो विचारधारा के लोगों में बंट गई है। एक तरफ पार्टी के हाईकमान को आभास हो चुका है कि मुसलमान वोट बैंक भले ही बहुत थोड़ा है, लेकिन यह फ्लोटिंग वोटर्स का बड़ा रोल प्ले करता है। इस कारण मुसलमानों में खासकर पसमांदा मुसलमानों को साधने की कोशिशें जारी हैं। दूसरी तरफ कट्टरवादी सोच के लोग हैं। ये लोग चाहते हैं कि BJP सिर्फ हिंदुत्व एजेंडे पर ही काम करे। मुसलमानों को साथ न लिया जाए और इतिहास को लेकर उनसे बदला लिया जाए। BJP में ये विरोधाभास स्वाभाविक है और शायद यही उनकी स्ट्रैटजी भी।’
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रिसर्च सहयोग- अंकुल कुमार
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