Naradsamvad

[post-views]

Pune Hinjewadi Bus Fire Tragedy; Vyoma Graphics Driver | Janardan Hambardikar | पत्नी बोली- चाय-पराठे के लिए कौन लेगा 4 जानें: पुलिस ने बस ड्राइवर पर लगाए आरोप, परिवार बोला- हमारा बेटा ऐसा नहीं कर सकता


तारीख: 19 मार्च समय: सुबह करीब 7:30 बजे स्थान: पुणे में हिंजेवाड़ी पुलिस स्टेशन से सिर्फ 200 मीटर दूर

.

पुणे का IT हब हिंजेवाड़ी इलाका। व्योमा ग्राफिक्स के फर्स्ट शिफ्ट के कर्मचारी मिनी बस में सवार होकर कंपनी जा रहे थे। अचानक डसॉल्ट ऑफिस और हिंजेवाड़ी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के ऑफिस के पास बस में आग लग गई। बस में सवार 14 स्टाफ में से 4 की जिंदा जलकर मौत हो गई और 7 झुलस गए।

शुरू में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही थी। पुलिस ने जांच शुरू की, तो महज 6 घंटे में साफ हो गया कि ये सामान्य हादसा नहीं है। जांच की आंच बस ड्राइवर जनार्दन हंबरडेकर की ओर मुड़ी। जनार्दन पिछले 19 सालों से कंपनी में ड्राइवर था। पुलिस का कहना है कि ड्राइवर सैलरी कटने और टाइम पर टिफिन न मिलने से गुस्सा था इसलिए आग लगाई।

हालांकि, कंपनी के कर्मचारी और ड्राइवर की फैमिली को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा। ड्राइवर का परिवार इसे पुलिस की झूठी कहानी बता रहा है। पत्नी का कहना है कि भला चाय-पराठे के लिए कोई किसी की जान कैसे ले सकता है। ये आरोप यकीन करने लायक नहीं हैं।

इस घटना के पीछे पुलिस जो वजहें बता रही है, उस पर कंपनी के कर्मचारी और ड्राइवर का परिवार का क्या कह रहा? ये जानने दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा।

सबसे पहले पुलिस के दावे…

इन 5 वजहों से ड्राइवर ने बस में आग लगाई पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक, जनार्दन, कंपनी और वहां के कुछ कर्मचारियों से नाराज था। DCP विशाल गायकवाड़ ने बताया कि जनार्दन के गुस्से के पीछे अब तक ये पांच कारण सामने आए हैं…

1. सैलरी में कटौती और दिवाली बोनस न मिलना: जनार्दन सैलरी कटने और दिवाली बोनस न मिलने से परेशान था। वो आर्थिक तंगी और कंपनी की बेरुखी से निराश था।

2. जरूरत से ज्यादा काम का दबाव: जनार्दन से ड्राइविंग के अलावा कंपनी में और भी काम कराए जाते थे। उसे सामानों की पैकिंग और लोडिंग जैसे काम भी सौंप रखे थे।

3. टाइम पर टिफिन न मिलना: आगजनी की घटना से ठीक एक दिन पहले 18 मार्च को एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने जनार्दन का गुस्सा और भड़का दिया। उसे घर से टिफिन नहीं मिला था और वो पूरे दिन भूखा रहा। पुलिस का कहना है कि उसने परिवार और पत्नी का गुस्सा कर्मचारियों पर उतारा।

4. अपमानजनक बर्ताव से परेशान: जांच में ये भी पता चला है कि जनार्दन कंपनी और कुछ कर्मचारियों के खराब बर्ताव से आहत था। उसे लगता था कि उसका सम्मान नहीं किया जाता और वो उन्हें सबक सिखाना चाहता था।

5. नाश्ते के लिए टाइम न मिलना: जनार्दन डायबिटीज का मरीज है। उसने पूछताछ में आरोप लगाया कि उसे टाइम पर नाश्ता नहीं करने दिया जाता था। कंपनी सेहत संबंधी जरूरतों का भी ख्याल नहीं रखती थी। इसी वजह से पिछले कुछ दिनों से उसका गुस्सा काफी बढ़ गया था।

वारदात को अंजाम देने से पहले दी थी धमकी DCP विशाल गायकवाड ने बताया कि एक चश्मदीद ने घटना से एक दिन पहले जनार्दन को कथित तौर पर ये कहते हुए सुना था, ‘मैं उन सबको बर्बाद कर दूंगा।’ ये बयान उनकी सोची-समझी साजिश और बदले की भावना की ओर इशारा करता है।

आग लगने के बाद स्टाफ बस करीब 200 मीटर तक बिना ड्राइवर के सड़क पर चलती रही।

आग लगने के बाद स्टाफ बस करीब 200 मीटर तक बिना ड्राइवर के सड़क पर चलती रही।

पुलिस ने कहा- जनार्दन ने जांच में ये खुलासे किए… कंपनी से बेंजीन चुराया: बस में आग लगाने के लिए बेंजीन का इस्तेमाल किया गया, जो प्रिंटिंग में इस्तेमाल होता है। ये बेहद ज्वलनशील केमिकल्स का घोल है। जनार्दन ने कथित तौर पर घटना से एक दिन पहले कंपनी के स्टोर रूम से एक लीटर बेंजीन चुराया था। पुलिस ने इसकी पुष्टि भी की है।

इमरजेंसी एग्जिट से छेड़छाड़: पुलिस की पूछताछ में जनार्दन ने कथित तौर पर कबूल किया कि उसने मिनी बस के पीछे के इमरजेंसी एग्जिट डोर को जानबूझकर खराब कर दिया था, ताकि अंदर फंसे कर्मचारी आग से बच न सकें। जब बस हिंजेवाड़ी फेज 1 में तमाणा सर्कल के पास पहुंची तो उसने कथित तौर पर सीट के नीचे रखे कपड़ों पर बेंजीन डाला और माचिस से आग लगा दी।

DCP के मुताबिक-

QuoteImage

जिंदा बचे लोगों ने बताया कि वे इमरजेंसी गेट नहीं खोल पाए थे। घटनास्थल पर पहुंची फायर ब्रिगेड टीम को पीछे के दरवाजे के पास चार कर्मचारियों की डेडबॉडी एक के ऊपर एक पड़ी मिलीं।

QuoteImage

घटना के बाद फरार होने की कोशिश की आग लगाने के तुरंत बाद जनार्दन ड्राइवर की साइड से न कूदकर कर्मचारियों की तरफ से कूदा। माना जा रहा है कि वो चाहता था कि कोई भी कर्मचारी वैन से बाहर न निकल सके। इसलिए उसने बाकी कर्मचारियों का गेट कवर कर रखा था। इसके बाद वो कर्मचारियों को अंदर फंसा छोड़कर चलती हुई बस से कूद गया। उसके कूदने के बाद लगभग 200 मीटर तक बस बिना ड्राइवर के चलती रही।

चश्मदीद बोले- ड्राइवर की हरकतें संदिग्ध थीं हादसे में सुरक्षित बचे दो कर्मचारियों ने पुलिस को बताया, हमने ड्राइवर को सीट के नीचे कुछ हरकतें करते देखा था। इससे पहले ही जनार्दन ने हमारी ओर का दरवाजा बंद कर लॉक कर दिया, जिससे हम अंदर फंस गए।’

पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या बस के इमरजेंसी (पिछले) गेट से जानबूझकर छेड़छाड़ की गई थी। फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही इसे कन्फर्म किया जा सकेगा।

बस के अंदर से मिले माचिस और कपड़े DCP विशाल गायकवाड़ ने कन्फर्म किया कि ये एक प्री-प्लांड बदले की घटना थी। जांचकर्ताओं ने जली हुई बस से माचिस बरामद की और बेंजीन के इस्तेमाल पर फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, ताकि सबूतों को और मजबूत किया जा सके।

आरोपी पर BNS की धारा 103 (1) और 109 (1) के तहत हत्या और हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया है। आरोपी जनार्दन भी हादसे में झुलसा था, इसलिए उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसे अभी औपचारिक तौर पर अरेस्ट नहीं किया गया है। अभी वो पुलिस कस्टडी में है।

आरोपी ड्राइवर का परिवार क्या बोला…

खून देखकर घबराने वाला इंसान ऐसे हिंसक काम कैसे करेगा जनार्दन ने अपने कबूलनामे में आग लगाने की बात स्वीकार कर ली है, लेकिन उसका परिवार ये मानने को राजी नहीं है। उसके भाई विजय नीलकंठ हंबरडेकर कहते हैं, ‘जनार्दन स्वभाव से इतने शांत हैं कि वे खून देखकर भी घबरा जाते हैं, उनके लिए ऐसी हिंसक घटना को अंजाम देना नामुमकिन है।‘

घटना के CCTV फुटेज में एक शख्स जनार्दन को आग बुझाते दिख रहा है। विजय ने उस फुटेज का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि अगर जनार्दन कर्मचारियों को मारना चाहते थे, तो उस कर्मचारी ने उनकी मदद क्यों की। विजय को इसमें साजिश की आशंका नजर आ रही है।

पुणे में वियोमा ग्राफिक्स कंपनी की बस में आग लगने की घटना 19 मार्च की सुबह हुई। फर्स्ट शिफ्ट का स्टाफ बस में सवार होकर ऑफिस जा रहा था।

पुणे में वियोमा ग्राफिक्स कंपनी की बस में आग लगने की घटना 19 मार्च की सुबह हुई। फर्स्ट शिफ्ट का स्टाफ बस में सवार होकर ऑफिस जा रहा था।

हमेशा टाइम पर सैलरी और बोनस मिला पुलिस के दावे के उलट विजय कहते हैं, ‘भाई को हमेशा टाइम पर सैलरी मिलती थी। उसने कभी किसी मानसिक परेशानी की बात नहीं कही। वो 19 साल से कंपनी में काम कर रहे थे। वहां उनकी छवि बहुत अच्छी थी। लोग उन्हें ‘मामा‘ कहते थे।’

हालांकि, वो ये भी मानते हैं, ‘वहां कर्मचारियों पर बहुत ज्यादा दबाव है। भाई भी कंपनी छोड़ने के बारे में सोच रहे थे। मेरे भाई बहुत जिम्मेदार व्यक्ति हैं। उन्होंने हमेशा अपने परिवार की जरूरतों का ध्यान रखा।’

सेहत ठीक न होने के आरोपों पर वो कहते हैं, ’अगर मेरे भाई मानसिक रूप से अस्वस्थ थे तो उन्हें बस चलाने की परमिशन क्यों दी गई। कंपनी ने उन्हें नौकरी पर क्यों रखा। घटना से पहले तक हमारे बीच बातचीत हुई और वो बिल्कुल सामान्य थे।’

विजय पुलिस की इस थ्योरी पर हंसते हैं कि जनार्दन ने घर पर खाना न मिलने के कारण गुस्से में आकर बस में आग लगा दी। उनका तर्क है कि ऐसी स्थिति में वे अपनी पत्नी से झगड़ा करते, न कि वर्क प्लेस पर इतना बड़ा कदम उठाते।

नींद का इंजेक्शन लगाकर भाई का जबरदस्ती बयान लिया विजय पुलिस की जांच प्रक्रिया पर शक जताते हुए कहते हैं, ’मेरे भाई का बयान अस्पताल में नींद का इंजेक्शन देने के बाद लिया गया। वे ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। मेरे भाई बेहद शांत स्वभाव के हैं। आप आसपास के लोगों से पूछेंगे तो वो भी उनके अच्छे व्यवहार की ही बात करेंगे।’

विजय ने बस में आग लगने के हालात पर भी सवाल उठाए और कहा कि जलकर खाक हो चुकी गाड़ी में माचिस की तीली और कपड़े का टुकड़ा कैसे बच गया।

’मेरे भाई घटना के बाद भागे नहीं थे, बल्कि उन्होंने दूसरों की मदद की थी। अगर वैन के दरवाजे बंद थे तो कुछ लोग बिना खरोंच के कैसे बाहर निकल आए। बस में मेरे बहनोई भी थे। वे अंतिम व्यक्ति थे, जो खुले दरवाजे से बाहर निकले।’ आखिर में विजय पूरे भरोसे के साथ कहते हैं, ’मेरी आर्थिक हालत भले अच्छी ना हो, लेकिन मैं अपने भाई के लिए हर संभव कानूनी लड़ाई लड़ूंगा।’

बस में आग लगने के बाद की तस्वीर है, जिसमें कुछ स्टाफ अगले दरवाजे से सुरक्षित बाहर निकल गया था, जबकि 4 लोगों की जिंदा झुलसकर मौत हो गई।

बस में आग लगने के बाद की तस्वीर है, जिसमें कुछ स्टाफ अगले दरवाजे से सुरक्षित बाहर निकल गया था, जबकि 4 लोगों की जिंदा झुलसकर मौत हो गई।

पत्नी बोलीं- चाय के साथ पराठा नहीं मिला तो क्या कोई ऐसा काम करेगा आरोपी जनार्दन की पत्नी ने कहा कि मेरे पति ने कभी बोनस न मिलने की बात नहीं बताई, बल्कि दिवाली पर उन्हें पैसे मिले थे। वे बताती हैं, ’वे डायबिटिक हैं। सुबह नाश्ते से पहले दवा लेते हैं, इसलिए हमेशा घर से नाश्ता करके ही जाते थे।’

QuoteImage

ये आरोप यकीन करने लायक नहीं लगते हैं कि सिर्फ चाय के साथ पराठा न मिलने पर मेरे पति इतना बड़ा कदम उठाएंगे।

QuoteImage

पत्नी ने केमिकल लेने के दावे पर भी संदेह जताया। वे कहती हैं, ’अगर ऐसा कुछ दिख रहा था, तो किसी ने उन्हें रोका क्यों नहीं। मेरे पति को फंसाया जा रहा है और उन्हें न्याय मिलना चाहिए। कोई और भी दोषी हो सकता है। हालांकि वो कौन है, ये मुझे नहीं पता।’

कंपनी के ओनर बोले- कोई भी सैलरी पेंडिंग नहीं थी इस पूरे मामले पर हमने कंपनी के ओनर नितिन शाह से भी बात की। वे बताते हैं, ’हम लोग अभी सदमे में हैं। अब तक हम इससे बाहर नहीं आ पाए हैं। पुलिस की जांच चल रही है। हम पुलिस के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।’

’घटना में जो भी कर्मचारी घायल हुए हैं, हम उनकी इलाज में मदद कर रहे हैं। वे सब हमारे फैमिली मेंबर की तरह हैं। कुछ लोग तो हमारे साथ 1985 से हैं, कोई 2006 से हैं। बहुत सालों से लोग हमसे जुड़े हुए हैं। वो हमारा परिवार हैं।’

आरोपी ड्राइवर की बकाया सैलरी के सवाल पर नितिन कहते हैं, ’उसका कुछ भी बकाया नहीं है। हमने उसे समय पर पूरी सैलरी दी है।’ कंपनी से केमिकल चोरी के सवाल पर वे कहते हैं, ’उसके बारे में कुछ मालूम नहीं है।’

विक्टिम की फैमिली की बात… भाई की मौत के बाद परिवार सड़क पर आया इस घटना में जान गंवाने वाले सुभाष भोसले के चचेरे भाई विनोद भोसले ने बताया, ’हमें फोन पर पता चला कि शॉर्ट सर्किट के चलते बस में आग लग गई और स्टाफ के चार लोगों की मौत हो गई। इसके बाद हम रूबी हॉल क्लिनिक और फिर यशवंत राव वायसीएम हॉस्पिटल पहुंचे। यहां हमने सुभाष के शव की पहचान की।’

’सुभाष को काम को लेकर कोई खास तनाव नहीं था। वो कंपनी में पेपर कटिंग मशीन ऑपरेटर थे और परिवार के अकेले कमाने वाले थे। इसमें मेरे माता-पिता, पत्नी और 11वीं में पढ़ने वाला बेटा शामिल है। अब भाई के जाने के बाद पूरा परिवार सड़क पर आ गया है।’

आरोपी ड्राइवर के सवाल पर विनोद कहते हैं, ’कंपनी में वो शुरू से काम कर रहा था। लगभग 15-20 साल पुराना कर्मचारी था। उसका कभी किसी से विवाद नहीं रहा। न ही उसने कभी कोई संदिग्ध बर्ताव किया। मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि वो ऐसा कर सकता है। मुझे पुलिस जांच पर भरोसा है।’

विनोद का मानना है कि अगर ड्राइवर को कंपनी से शिकायत थी, तो उसे कंपनी को नुकसान पहुंचाना चाहिए था, न कि निर्दोष लोगों को, जिनका उससे कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं था। ……………………………

ये खबर भी पढ़ें…

बेलगावी में बस कंडक्टर की पिटाई से भड़का भाषा विवाद

21 फरवरी, 2025 को कर्नाटक के 51 साल के बस कंडक्टर महादेव हुक्केरी की पिटाई से ये विवाद फिर उभर आया। कर्नाटक ने महाराष्ट्र बॉर्डर में बसें भेजना बंद कर दिया। जवाब में महाराष्ट्र ने अपनी बसें रोक दीं। दोनों तरफ ड्राइवरों पर हमले किए गए। ये सब करीब एक हफ्ते चला। अभी का माहौल जानने दैनिक भास्कर बेलगावी पहुंचा। यहां मराठी और कन्नड़ बोलने वालों से बात की। पढ़िए पूरी खबर…



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1618528
Total Visitors
error: Content is protected !!