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Parliament Security Breach; Neelam Azad Jail | Bhagat Singh Biography | संसद में सेंध, आरोपी बोले- कुछ गलत नहीं किया: पेशी पर आए पिता ने कहा- बेटे मनोरंजन के लिए रोटी और चटनी लाया


दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट नंबर-15 में बहुत ज्यादा गहमागहमी नहीं थी। तभी पुलिस 6 लोगों को लेकर पहुंची। ये संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपी मनोरंजन डी, नीलम आजाद, सागर शर्मा, अमोल शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत थे।

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बीते 15 महीने से ये सभी तिहाड़ में बंद हैं। UAPA के तहत केस दर्ज है। 17 मार्च को हुई सुनवाई में सभी की न्यायिक हिरासत 15 अप्रैल तक बढ़ा दी गई। 12.40 बजे सुनवाई शुरू हुई और 12.55 पर कोर्ट ने अगली तारीख दे दी। इसी दौरान हमने नीलम और मनोरंजन से बात की। नीलम केस की इकलौती महिला आरोपी है।

नीलम ने बताया कि वो जेल में भगत सिंह की बायोग्राफी पढ़ रही है। वहीं मनोरंजन संविधान पढ़ रहा है। दोनों ने कहा, ‘हमने कुछ गलत नहीं किया, देखते हैं हमें कब तक जेल में रखते हैं।’

13 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में कार्यवाही के दौरान मनोरंजन और सागर ऑडियंस गैलरी से वेल के अंदर कूद गए थे। सदन में स्प्रे कर उन्होंने पीले रंग का धुआं उड़ाया। उस दिन संसद पर हमले की 22वीं बरसी थी। इसी बीच संसद परिसर में नीलम और अमोल को प्रोटेस्ट करते पकड़ा गया। ललित झा ने 14 दिसंबर को सरेंडर कर दिया और महेश को 16 दिसंबर को अरेस्ट किया गया था।

जेल में नीलम पढ़ रही भगत सिंह के कोर्ट ट्रायल की कहानी 37 साल की नीलम हरियाणा के जींद के घासो खुर्द गांव की रहने वाली है। पटियाला हाउस कोर्ट से नीलम की बेल रिजेक्ट हो चुकी है। दिल्ली हाईकोर्ट में बेल पेंडिंग है। बातचीत की शुरुआत में हालचाल लेते हुए हमने नीलम से पूछा- आप कैसी हैं? नीलम मजाकिया लहजे में बोली, ‘जेल में कोई कैसा होगा, लेकिन मैं ठीक हूं।’

सवाल: जेल में वक्त कैसे कटता है? जवाब: किताबें पढ़ती हूं और पेंटिग करती हूं।

सवाल: आजकल क्या पढ़ रही हैं? जवाब: भगत सिंह की बायोग्राफी पढ़ रही हूं। उनकी बायोग्राफी के वो हिस्से, जिसमें उन पर चले ट्रायल के बारे में लिखा है। उन पर लगे आरोपों पर बहस और भगत सिंह के जवाब पढ़ रही हूं।

सवाल: जेल में पेंटिंग का सामान मिल जाता है? जवाब: जो है, उसी से करती हूं। पेंटिंग और क्राफ्टिंग का कुछ सामान और मांगा था। वो तो नहीं दिया।

सवाल: घर की याद आती है? जवाब: घर तो याद आता ही है, लेकिन ठीक है।’

जेल के साथी और सुरक्षा में तैनात पुलिसवालों की ओर देखते हुए नीलम कहती है, ‘ये लोग भी अब परिवार ही लगते हैं।’

साजिश का मास्टरमाइंड मनोरंजन पढ़ रहा संविधान नीलम के बाद हमने मनोरंजन से बात की। पुलिस के मुताबिक, संसद में घुसपैठ का प्लान उसी ने बनाया था। हमने पूछा- जेल में क्या करते हैं? जवाब मिला- ‘आजकल संविधान पढ़ रहा हूं। लगभग खत्म हो चुका है।’

नीलम केस की सुनवाई के दौरान बिल्कुल शांत थी, वहीं मनोरंजन के चेहरे पर गुस्सा साफ दिखता है। 15 मिनट में सुनवाई खत्म होने और नई तारीख मिलने के बाद पहला रिएक्शन उसी की तरफ से आया।

वो नीलम की तरफ मुड़ा और तेज आवाज में बोला-‘कोई बात नहीं। हमने कोई गुनाह नहीं किया है। इन्हें आज नहीं तो कल हमें छोड़ना ही होगा। हमने कुछ गलत नहीं किया है। देखते हैं, हमें कब तक नहीं छोड़ते।’ सागर शर्मा भी बेपरवाही से बोला- चलते हैं साथी।

फोटो में मनोरंजन और नीलम कोर्ट में जाते दिख रहे हैं। मनोरंजन पुलिसवाले के साथ है, वहीं नीलम आगे चल रही है।

फोटो में मनोरंजन और नीलम कोर्ट में जाते दिख रहे हैं। मनोरंजन पुलिसवाले के साथ है, वहीं नीलम आगे चल रही है।

मनोरंजन के पिता बोले- बेटे के लिए रोटी और चटनी लाया था मनोरंजन के पिता भी कोर्ट में मौजूद थे। सुनवाई खत्म होते ही वे बेटे के पास पहुंचे। हाथ में एक थैला थमा दिया। वे बेटे के लिए खाना लाए थे। जेल के स्टाफ ने थैला ले लिया और कहा हम खिला देंगे।

देवराज गौड़ा कहते हैं, ‘मेरा बच्चा बहुत अच्छा है। मुझे नहीं पता उसे क्या हो गया। उसने कुछ गलत नहीं किया। जो किया, देश के लिए किया। जय अंबेडकर, जय संविधान बोलकर संसद के भीतर गया।’

देवराज आगे कहते हैं, ‘मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे मन में क्या है। वो कहता है कि किसान, बेरोजगार, कामगार बहुत मुश्किल में हैं। नौजवान पढ़े-लिखे हैं, पर घर में हैं। उनके पास काम नहीं है। मुझे इन लोगों का साथ देना है। मैंने अपने लिए कुछ नहीं किया, जो किया उन लोगों के लिए किया है।’क्या पहले कभी मनोरंजन ने ऐसे प्रोटेस्ट किए थे? देवराज कहते हैं-

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वो प्रोटेस्ट में जाता था, लेकिन पहले ऐसा नहीं किया। पढ़ता था, तब एक संगठन बनाया था। वो बेरोजगारों और मजदूरों के लिए प्रदर्शन करता था।

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उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। 2012 में कोर्स पूरा हो गया था। उसे नौकरी नहीं मिली। वो मेरे साथ खेती में हाथ बंटाता था। कहता था कि उसे देश के लिए कुछ करना है।’ स्वामी विवेकानंद और डॉ. अंबेडकर को पढ़ता था। उसके पास एक हजार से ज्यादा किताबें हैं। वो बस देश के बारे में सोचता था।’

आपको पता था मनोरंजन दिल्ली क्यों आता है, किससे मिलता है? देवराज कहते हैं, ‘बोलता था कि पर्सनल काम है। कुछ बताता नहीं था। मैं उससे कहता भी था कि अपना काम करो। इस बार भी दिल्ली आया, तो कुछ नहीं बताया।’

देवराज की आवाज भारी होने लगती है। वे कहते हैं, ‘मनोरंजन की मां और छोटी बहन उसे बहुत याद करती हैं। हमें भगवान, कोर्ट और संविधान पर भरोसा है कि मनोरंजन को इंसाफ मिलेगा। मेरे बच्चे ने कुछ गलत नहीं किया है। सभी को उसका सपोर्ट करना चाहिए। उसने चोरी-मर्डर नहीं किया। वो बाहर आएगा।’

‘हम गरीब हैं। 3 हजार किमी दूर से ट्रेन में आता हूं। अब तक 15 बार आ चुका हूं। बच्चे के लिए आना ही पड़ेगा न। एक बार आने में 4-5 दिन लगते हैं।’

मनोरंजन के लिए कुछ लाए थे क्या? ‘उसकी मां ने कोकोनट की चटनी और रोटी भेजी थी। वही लाया हूं’

मनोरंजन के वकील बोले- ये केस सुरक्षा में चूक का, सेंध का नहीं मनोरंजन के वकील सोमार्जुन वीएम कहते हैं, ‘ये केस सुरक्षा में चूक का है। सुरक्षा में सेंध का नहीं। दोनों लड़के संसद के अंदर वैलिड पास के जरिए गए थे। ये बात मान लेंगे तो सिस्टम को जवाबदेह होना पड़ेगा। इसलिए जानबूझकर केस को संसद की सुरक्षा में सेंध की तरफ मोड़ा जा रहा है। अपनी गलती छिपाने के लिए इस केस को खींचा जा रहा है। आरोपियों को बेल नहीं दी जा रही।’

सोमार्जुन कहते हैं, ‘उन्हें अपराधी साबित करने के लिए पूरा सिस्टम लगा है। 15 महीने से जेल में रखा गया है, बेल रिजेक्ट कर दी। उन लोगों ने संसद के भीतर ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे एक भी सांसद को नुकसान पहुंचा हो। उल्टा सांसदों ने उन्हें पीटा। इन लोगों ने किसी पर हाथ नहीं उठाया। ये सिर्फ प्रोटेस्ट था, कोई आतंकी मंशा या साजिश नहीं।’

‘मनोरंजन के घर से 600 से ज्यादा किताबें मिली हैं। ये किताबें डॉ. अंबेडकर, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, वल्लभ भाई पटेल और देश की इकोनॉमी पर हैं।’

सोमार्जुन कहते हैं, ‘बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है। ये लड़के बस अपने प्रतिनिधियों का ध्यान इस समस्या की तरफ खींचने के लिए गए थे। अपनी आवाज उन तक पहुंचाने के लिए और ये कहने कि समस्या का हल निकालना होगा। उनका मकसद बस इतना था। चार्जशीट से भी साफ है। कोई ऐसा फैक्ट नहीं है, जिससे इनका अपराध जगत से कोई कनेक्शन या अपराधी मानसिकता की तरफ इशारा मिले।’

‘इन लड़कों को जबसे अरेस्ट किया गया है, एक बार भी सरकार की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई। अगर चार्जशीट में कुछ निकला होता, तो कम से कम मीडिया के सामने उसे जरूर लाते। पर नहीं लाए क्योंकि कुछ निकला ही नहीं।’

‘13 महीने बाद फोरेंसिक रिपोर्ट आई, उसमें भी कुछ नहीं।’ एडवोकेट सोमार्जुन बताते हैं कि केस की फोरेंसिक रिपोर्ट आ गई है। इसमें करीब 13 महीने लग गए, लेकिन उसमें भी कुछ नहीं है। सोमार्जुन रिपोर्ट्स के पॉइंट बताते हैं।

  1. रिपोर्ट में कोई हथियार साथ ले जाने का जिक्र नहीं है।
  2. कैनिस्टर का जिक्र दोनों चार्जशीट में है, लेकिन इसे ‘माइट बी डेंजरस’ लिखा गया है यानी इसमें भरा केमिकल खतरनाक हो सकता था। कैनिस्टर को एक्सप्लोसिव नहीं बताया गया। मनोरंजन के मोबाइल से खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की स्पीच मिली। इन्वेस्टिगेशन के दौरान इसका कनेक्शन नहीं पाया गया।
  3. बाइक से लद्दाख जाने पर लिखी डायरी मिली, जो चे ग्वेरा की ‘द मोटरसाइकिल डायरीज’ की तर्ज पर लिखी गई थी।
  4. मनोरंजन के कुछ ई-मेल मिले। इनमें उसके चाइनीज दोस्त और कंबोडिया जाने का मेल मिला। मनोरंजन ने बताया कि ये यात्रा एक NGO के लिए की गई थी।

नीलम के वकील बोले- नीलम पर UAPA लगाना गलत नीलम को जमानत न मिलने पर हमने उसके वकील बलराज मलिक से बात की। वे बेल रिजेक्शन का आधार किसी फैक्ट को नहीं बल्कि डर को मानते हैं। कहते हैं, ‘UAPA और PMLA जैसे केस में निचली अदालतें बेल देने से डरती हैं। ऐसे केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी बेल देने से डरते हैं। निचली अदालतों को लगता है जब ऊपरी अदालतें हिचक रही हैं, तो हम क्यों बेल देने का जोखिम लें।’

‘रही बात नीलम की तो वो निर्दोष है। नीलम मुख्य आरोपी मनोरंजन और अन्य लोगों से मिली तो थी। उसे संसद के भीतर जाने के लिए बाकियों ने कन्विंस भी किया था।’

बलराज कहते हैं कि नीलम को छोड़िए, वो तो बेकसूर है, दूसरों पर भी UAPA किसी भी हालत में नहीं लगना चाहिए था। अगर कानून की बात करें तो एक एक्ट है, Obstruction of Parliamentary Proceedings, इसे लगाया जा सकता था। चलती संसद में अड़चन डालने का आरोप लगाया जा सकता था। इसमें 1-2 साल की सजा थी। इससे ज्यादा तो किसी का भी अपराध नहीं है।

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