मुफ्ती ए शहर बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी बोले- वक्फ संशोधन बिल काबिले क़ुबूल नहीं।
‘वक्फ संशोधन बिल जो नया लाया गया है। उसमें खामियां ही खामियां है। जो पुरानी व्यवस्था थी वही ठीक थी। ऐसा नहीं है कि इस नए बिल में कोई अच्छी चीज है जिसे हम ले लें। यह बिल पूरी तरह से काबिले कुबूल नहीं है।’
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ये कहना है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र शहर बनारस के मुफ्ती ए शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी का। उन्होंने सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन बिल को सिरे नकार दिया। इधर सरकार वक्फ संशोधन बिल ईद के बाद मौजूदा बजट सत्र में पेश कर सकती है।
उधर, सोमवार को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए थे।
ऐसे में अब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शहर मुफ्ती ने भी इस बिल की मुखालिफत शुरू कर दी है। उन्होंने साफ़ लहजे में दैनिक भास्कर से बात करते हुए इस बिल को ना काबिले कुबूल बताया।
वक्फ संशोधन बिल पर शहर मुफ्ती मौलाना बातिन नोमानी की राय जानने के लिए दैनिक भास्कर ने उनसे बात की। उन्होने इसे सिरे से नकारा और बड़ा बयान दिया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट

मुफ्ती ए शहर ने वक्फ संशोधन बिल पर रखी अपनी बेबाक राय।
पुरानी व्यवस्था ही ठीक, ये नहीं शहर मुफ़्ती मौलाना बातिन नोमानी ने वक्फ संशोधन बिल पर बोलते हुए कहा- वक्फ को लेकर जो पुरानी व्यवस्था है वही सही है। जो नया बिल आया इसमें खामियां ही खामियां है। ऐसा नहीं है कि इसमें कुछ हिस्सा काबिले क़ुबूल है और कुछ नहीं। यह वक्फ एमेंडमेंट बिल ही काबिले क़ुबूल नहीं है।
हुकूमत की मंशा ठीक नहीं, इसलिए विरोध शहर मुफ्ती ने कहा- सरकार इस बिल को जबरदस्ती लागू करना चाहती है। अगर यह जबरदस्ती लागू किया गया तो वक्फ प्रॉपर्टी को नुकसान होगा। ये हमारे कब्जे से निकल जाएगी। हुकूमत की मंशा इस मामले में ठीक नहीं है। इसलिए हम और हर तरफ से इसका विरोध हो रहा है। चाहे जो भी हो सरकार इसे खत्म करे और हमें नुकसान से बचाए।
जेपीसी ने ईमानदारी से काम नहीं किया मुफ्ती ए शहर ने इस वक्फ बिल को तैयार करने वाले 31 सदस्यों की कमेटी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा की इस कमेटी ने जो भी किया ईमानदारी से काम नहीं किया। जिसका विरोध हुआ उसी बात की सिफारिश कर दी की इसे लागू कर देना चाहिए। ये सही और दिल को सुकून पहुंचाने वाली बात नहीं है। इसे किसी भी सूरत में वापस लिया जाए इसे हम लागू नहीं होने देंगे।

सुधार लायक कुछ नहीं, पूरा बिल गलत शहर मुफ्ती ने कहा- ऐसा नहीं है कि बिल में कुछ हिस्सा सही है। कुछ गलत है। यह बिल पूरी तरह से खारिज करने लायक है। इसमें कोई भी चीज एक्स्पेट करने लायक है ही नहीं। ऐसे में सरकार हर हाल में इसे वापस ले।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्स्नल लॉ बोर्ड के हिसाब से होगा विरोध शहर मुफ्ती से जब पूछा गया कि क्या इस मामले में वाराणसी में कोई एहतेजाज (विरोध) किया जाएगा। तो उन्होंने कहा- हम इस बिल का विरोध कर रहे हैं। हालात का रुख क्या होगा ? इसे जारी किया जाएगा तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्स्नल लॉ बोर्ड और दीगर इदारे जो फैसला करेंगे उसपर अमल करते हुए कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।
अब जानिए क्या है 1954 में बना वक्फ एक्ट ? जिसे बदलने पर हो रही सियासत
संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया। वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं।
इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई।

इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।
वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।
इन पांच पॉइंट्स में समझिए सरकार वक्फ एक्ट में क्या बदलाव कर रही है ?
1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री : वक्फ बोर्ड में अब दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। इतना ही नहीं बोर्ड के सीईओ भी गैर मुस्लिम हो सकते हैं।
2. महिला और अन्य मुस्लिम समुदाय का पार्टिसिपेशन बढ़ाना: कानून बदलकर वक्फ में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढ़ाया जाएगा। सेक्शन-9 और 14 में बदलाव करके केन्द्रीय वक्फ परिषद में दो महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा नए बिल में बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात भी कही गई है।
बोहरा समुदाय के मुस्लिम आमतौर पर व्यवसाय से जुड़े होते हैं। जबकि आगाखानी इस्माइली मुसलमान होते हैं, जो न तो रोजा रखते हैं और न ही हज जाते हैं।
3. बोर्ड पर सरकार का कंट्रोल बढ़ाना : भारत सरकार कानून बदलकर वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कंट्रोल बढ़ाएगी। वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में गैर-मुस्लिम एक्सपर्ट्स को शामिल करने और सरकारी अधिकारियों से वक्फ के ऑडिट कराने से वक्फ के पैसे और संपत्ति का हिसाब-किताब ट्रांसपैरेंट होगा। केंद्र सरकार अब CAG के जरिए वक्फ की संपत्ति का ऑडिट करा सकेगी।
4. जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन : कानूनी बदलाव के लिए सरकार ने जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है।
इसके मुताबिक राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं, लेकिन कानून में बदलाव के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी, ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच हो सके।
नए बिल के पास होने पर इन संपत्तियों और उसके राजस्व की जांच जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे। सरकार का मानना है कि वक्फ जमीनों को जिला मुख्यालयों के राजस्व विभाग में रजिस्टर्ड कराने और कम्प्यूटर में रिकॉर्ड बनाने से ट्रांसपैरेंसी आएगी।
5. न्याय के लिए अदालत जाने का मौका मिलेगा : मोदी सरकार के नए बिल के मुताबिक वक्फ ट्रिब्यूनल में अब 2 सदस्य होंगे। ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।