‘नफरत उतनी है नहीं, जितनी दिखाई जाती है। हमारी स्टेट (पाकिस्तान) नफरत का चूरन बेचकर अपना काम निकालती है। भारत से खराब रिश्ते का चूरन बेचकर बाकी मुद्दों से ध्यान हटाती है। आर्मी इसी के नाम पर बजट लेती है। पाकिस्तान में सारे फायदे पंजाब को मिलते हैं। ब
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इस्लामाबाद की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशंस की पढ़ाई कर रहे मोहम्मद अब्बास खान एक ही बयान में पाकिस्तान के मौजूदा हालात, सरकार के काम का तरीका और भारत से खराब रिश्तों की वजह बता देते हैं।
पाकिस्तान में ICC चैंपियंस ट्रॉफी की कवरेज से अलग दैनिक भास्कर ने कुछ युवाओं से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर बात की। उनसे पूछा कि वे इस बारे में क्या सोचते हैं और दोनों देशों के बीच खराब रिश्तों के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं। इसके लिए हम पाकिस्तान की सबसे बड़े एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में शामिल कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी पहुंचे।
यहां मिले स्टूडेंट्स अपने नेताओं से नाराज हैं। उन्हें आर्मी का गुलाम बताते हैं। भारत के बारे में पूछने पर कहते हैं कि इंडिया के प्राइम मिनिस्टर मोदी पाकिस्तान के खिलाफ हैं, लेकिन भारत उनकी लीडरशिप में तरक्की कर रहा है। आगे पढ़िए स्टूडेंट और क्या-क्या बोले…
स्टूडेंट: सहर इंतखाब, पॉलिटिकल साइंस फाइनल ईयर में पढ़ रहीं सहर से हमने पहला सवाल भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पर ही पूछा। वे जवाब देती हैं, ‘दोनों के रिश्ते हमेशा दुश्मनों वाले ही रहे हैं। इस बार ही देखिए, इंडिया की टीम चैंपियंस ट्रॉफी खेलने पाकिस्तान नहीं आई। इससे आगे दुश्मनी और बढ़ेगी।’
‘पाकिस्तान भारत से रिश्ते सुधारना चाहता है, लेकिन भारत की सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान ने साउथ एशिया में अपनी अहमियत कुछ हद तक खो दी है।’

सवाल: रिश्ते तो पहले भी खराब रहे हैं, क्या भारत की मौजूदा सरकार ही इसके लिए जिम्मेदार है? जवाब: रिश्ते खराब होते थे, लेकिन दोनों तरफ से उन्हें सुधारने की कोशिशें भी चलती रहती थीं। 2019 में इमरान खान के वक्त करतारपुर कॉरिडोर खोला गया था। अभी के हालात देखें, तो कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
पॉलिटिकल साइंस की स्टूडेंट के नाते मुझे लगता है कि इंडिया की सरकार हिंदुत्व की आइडियोलॉजी पर चल रही है। चुनावों में पाकिस्तान के खिलाफ बोलकर वोट लेती है। अगर आप पाकिस्तान से ताल्लुक ठीक कर लेंगे, तो वोट नहीं मिलेंगे। मोदी सरकार जब तक रहेगी, रिश्ते नहीं सुधरेंगे। साउथ एशिया में शांति नहीं आएगी।
सवाल: पाकिस्तान की सरकार के बारे में क्या सोचती हैं? जवाब: अगर इंडियन गवर्नमेंट रिश्ते सुधारने के लिए पहल करेगी, तो पाकिस्तान की सरकार स्वागत करेगी। आपके रिश्ते अच्छे होंगे, तो ट्रेड अच्छा होगा और इकोनॉमी बूस्ट करेगी। पाकिस्तान की लिहाज से तो ये अच्छा होगा।
2018 में इमरान खान की सरकार आने के बाद रिश्ते सुधारने के लिए काफी कोशिश की गई। बिलावल भुट्टो इंडिया गए थे। अगर भारत-पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर होंगे, तो पॉलिटिकल पार्टियों को फायदा होगा।
सवाल: पाकिस्तान का यूथ क्या चाहता है? जवाब: पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है। इमरान खान के जेल जाने के बाद तो ये और बढ़ी है। इसका असर इकोनॉमी पर पड़ रहा है। बेरोजगारी बहुत ज्यादा है, यूथ को जॉब नहीं मिल रही। उन्हें काम चाहिए।
सवाल: भारत-पाकिस्तान के रिश्ते कैसे सुधर सकते हैं? जवाब: ट्रेड ओपन होना चाहिए। क्रिकेट सीरीज होनी चाहिए। करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर और काम होना चाहिए। लोग एक-दूसरे के बारे में अच्छी सोच रखेंगे, तो सरकार भी अच्छा काम करेगी।
स्टूडेंट: मोहम्मद अब्बास खान, इंटरनेशनल रिलेशंस
अब्बास भारत को काफी पसंद करते हैं। दिल्ली-मुंबई आना चाहते हैं। मानते हैं कि भारत पाकिस्तान से बहुत आगे है। भारत-पाकिस्तान के रिश्ते पर कहते हैं, ‘हमें यही बताया जाता है कि हमारे और इंडिया के बीच नफरत है। लोग इस पर भरोसा करने लगते हैं। दोनों तरफ की अवाम ताल्लुकात बहाल करना चाहती है, लेकिन नेता ऐसा नहीं चाहते। वही सब कंट्रोल कर रहे हैं।
मैं खैबर पख्तूनख्वाह से हूं। हमारी स्टेट अंग्रेजों का डिवाइड एंड रूल फॉर्मूला चला रही है। सारे मसले और धमाके खैबर पख्तूनख्वाह में होते हैं। पंजाब को सभी सूबों से ज्यादा तवज्जो मिलती है।’

सवाल: भारत की सरकार के बारे में क्या सोचते हैं? जवाब: एक स्टूडेंट के तौर पर मैं कहूंगा कि मोदी ठीक नहीं हैं। वे पाकिस्तान के खिलाफ हैं, लेकिन पाकिस्तानी यंगस्टर के नाते मैं देखता हूं कि उनकी लीडरशिप में भारत तरक्की कर रहा है। भारत का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है। यूथ को काम मिल रहा है।

मोदी भले ही पाकिस्तान के लिए खराब हैं, लेकिन भारत के लिए बेस्ट हैं। इंडिया की गवर्नमेंट बेस्ट है। पाकिस्तान ने हमेशा भारत की ओर दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाया है। हमारी ओर से 71 की जंग हुई, कारगिल किया गया। इन हरकतों ने रिश्ते खराब किए हैं।
सवाल: भारत-पाकिस्तान रिश्ते कैसे सुधर सकते हैं? जवाब: पाकिस्तान में यह राय बनाई गई कि हिंदू-मुसलमान साथ नहीं रह सकते। सच्चाई यह है कि दोनों कौम सालों-साल साथ रही हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों जगह धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। इसे कम करना होगा। फिर रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। हमें अपनी आइडियोलॉजी बदलने की जरूरत है।
सवाल: पाकिस्तान की इकोनॉमी पर क्या कहेंगे? जवाब: इकोनॉमी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि युवाओं के पास करने के लिए बहुत काम हैं। आजकल कई नए काम आ गए हैं। उन्हें करने के लिए लोग नहीं हैं। इंटरनेट मौजूद है। अगर हम अपनी स्किल बेहतर करें, तो जॉब की कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
स्टूडेंट: मलाइका सरवर, पॉलिटिकल साइंस मलाइका आठवें सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही हैं। मलाइका कहती हैं, ‘हमारे बीच चल रहे मसले ही हमारा माइंडसेट तय करते हैं। आजादी के बाद से भारत-पाकिस्तान के रिश्ते खराब रहे हैं। भारत हमेशा पाकिस्तान पर आतंकवाद के आरोप लगाता है। 2008 के मुंबई हमले के बाद से आपकी क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान में एक भी मैच नहीं खेला। यही विवाद हमारे रिश्तों को खराब कर रहे हैं।
1965 की जंग के बाद यही बताया गया कि भारत हमारा दुश्मन है। भारत में भी ऐसा ही है। हम यही पढ़ रहे हैं। वैसा ही माइंडसेट डेवलप हो रहा है।

मैं बहुत क्रिकेट नहीं देखती, लेकिन इंडिया मैच हारता है, तो मुझे खुशी होती है, चाहे ऑस्ट्रेलिया से हारे या इंग्लैंड से। इसी से अंदाजा लगाइए कि हमारे दिमाग में कितनी नफरत भरी गई है। इसे खत्म करने के लिए हमें काम करना चाहिए।
सवाल: भारत की मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती हैं? जवाब: इस सरकार में हिंदुत्व का नैरेटिव फैला है। भारत और पाकिस्तान के मतभेद और बढ़ गए हैं। चुनाव में जीत के लिए आपको किसी को दुश्मन बताना पड़ता है। यहां भी ऐसा ही होता है।
सवाल: पाकिस्तान की पार्टियों का इसमें क्या रोल है? जवाब: पाकिस्तान की पॉलिटिकल पार्टियां आपस में लड़ती रहती हैं। अगर यहां की कोई सरकार इंडिया से रिश्ते सुधारना चाहती है तो बाकी पार्टियां उसके पीछे पड़ जाती हैं। इंडिया में BJP और कांग्रेस के रिश्ते खराब हैं। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी ने कभी सोनिया गांधी को टारगेट नहीं किया। पाकिस्तान में ऐसा नहीं होता है। पाकिस्तान को किसी भी पड़ोसी देश से रिश्ते सुधारना है, तो पार्टियों को आपस के रिश्ते सुधारने पड़ेंगे।
सवाल: भारत में कहा जाता है कि पाकिस्तानी आर्मी नहीं चाहती कि रिश्ते अच्छे हों, क्या ऐसा है? जवाब: ये बात बिल्कुल सही है। हमारे पॉलिटिकल लीडर सिर्फ कठपुतली हैं। पाकिस्तान में कुछ ही इंस्टीट्यूशंस पावर को कंट्रोल करती हैं। ये आपकी डेमोक्रेसी को मजबूत नहीं होने दे रहे। आर्मी इसमें शामिल है।
सवाल: पाकिस्तान की यंग जनरेशन क्या मुश्किलें झेल रही है? जवाब: बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। इस पर काम भी नहीं हुआ। मैं आखिरी सेमेस्टर में हूं, लेकिन मेरे करियर का क्या होगा, इसका डर लग रहा है। मुझे तो फ्यूचर अच्छा नहीं दिखता। स्टूडेंट्स के लिए हालात ठीक नहीं हैं।
सवाल: भारत से क्या कहना चाहती हैं? जवाब: हमें कल्चरल एक्सचेंज करना चाहिए। इससे गैप कम होगा और जमीन पर पब्लिक ओपिनियन बदलेगा। मेरे चाचा स्पेन में रहते हैं। उनके पाकिस्तानियों से ज्यादा इंडियन दोस्त हैं।

स्टूडेंट: सईद जरकाम अब्बास, इंटरनेशनल रिलेशंस सईद कहते हैं, ‘ब्रिटिशर्स जब गए तो हमारी पावर एलीट क्लास के पास आ गई। इसका असर आज भी है। सरकारें रिश्ते नहीं सुधारना चाहतीं। पाकिस्तान की ओर से कई बार कोशिश हुई, लेकिन भारत ने पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं दिया।
‘पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यहां बेरोजगारी है। युवाओं के सामने मुश्किलें है। फिर भी मुझे लगता है कि आने वाले समय में हालात बेहतर होंगे।’

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