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‘तुम खूनी हो’
‘निकल जाओ, वरना इलाज कर देंगे’
‘तुमसे काम नहीं कराएंगे, तुम्हारा बहिष्कार करेंगे’
ये धमकियां 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल में कश्मीरी स्टूडेंट्स और मुस्लिमों को मिली हैं। किसी को काम से निकाल दिया गया, किसी का डॉक्टर ने इलाज करने से इनकार कर दिया। कश्मीरी स्टूडेंट डरकर पीजी में छिपे हैं या अपने घर लौट गए। धमकियों के वीडियो वायरल हो रहे हैं।
गुस्सा इस बात पर है कि पहलगाम में हिंदुओं को धर्म पूछकर गोलियां मारी गईं। हालांकि इसका एक पहलू और है। इसे शीतल बेन के बयान से समझिए। सूरत की रहने वालीं शीतल के पति शैलेश कलाथिया भी पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए थे।
शीतल कहती हैं, ‘आप कश्मीर को बदनाम कर रहे हैं। कश्मीर में कोई समस्या नहीं है। समस्या सरकार के सुरक्षा इंतजामों में है। वहां कोई सेना नहीं थी, कोई मेडिकल कैंप नहीं था।’ शीतल ने ये बात सेंट्रल मिनिस्टर सीआर पाटिल के सामने कही थी।
पहलगाम के विक्टिम कह रहे हैं कि मुसीबत में कश्मीरियों ने उनकी मदद की। हमले के बाद कई वीडियो वायरल हुए जिनमें लोकल कश्मीरी टूरिस्ट की मदद करते दिखे। उन्हें कंधे पर बिठाकर घाटी से नीचे लाए। गाइड आदिल अपने साथ गई टूरिस्ट को बचाने के लिए आतंकियों से भिड़ गए। इसी वजह से आतंकियों ने उन्हें तीन गोलियां मारीं।

पहलगाम में आतंकी हमले में 26 टूरिस्ट की हत्या के बाद मुस्लिम, खासकर कश्मीरी स्टूडेंट्स को टारगेट करने की घटनाएं हुई हैं। दैनिक भास्कर ने इसकी छानबीन की। उन लोगों से भी बात की, जिन पर हमले हुए हैं।
कहां-कहां टारगेट पर आए कश्मीरी
तारीख: 24 अप्रैल, 2025 जगह: खरड़, पंजाब ये अभाया की आपबीती है। अभाया कश्मीर के कुपवाड़ा की रहने वाली हैं। मोहाली की रयात बाहरा यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। उन्हें यहां दो साल हो चुके हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब उन्हें कश्मीरी होने की वजह से टारगेट किया गया।
अभाया बताती हैं, ‘शाम के 4 बजे थे। मैं यूनिवर्सिटी से निकल रही थी। हमारा 6 कश्मीरी स्टूडेंट का ग्रुप था। रास्ते में कुछ लोगों ने हमें घेर लिया। हमें गालियां देने लगे, मारपीट शुरू कर दी। हम वहां से बचकर भागे और पीजी आ गए।’
‘शाम 8 बजे मैं अपने कमरे में थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजा नहीं खोला। बाहर से आवाज आई- दरवाजा खोलो, तुम आतंकवादी हो।’
‘मेरी दोस्त भी साथ थी। हम बहुत डर गए। हमने अंदर से ही कहा- हम लोगों ने क्या किया। जिन्होंने गलत किया है, उनसे जाकर पूछो।’
‘फिर कुछ सोचकर मैंने गेट खोल दिया। सामने लोकल के ही लोग थे। वे कमरे में घुस आए। एक आदमी ने मेरी दोस्त के बाल पकड़े, उसका हाथ मरोड़ा और गालियां देने लगे। हम उनसे छूटकर जिस हाल में थे, बाहर की तरफ भागे। मैंने स्टूडेंट लीडर ईशरजीत सिंह को कॉल किया। उन्होंने हमारी मदद की। हम अब भी बहुत डरे हुए हैं। पहलगाम में जो हुआ, हमें भी उसका दुख है। इसका बदला हमसे लेना सही नहीं है। हम भी इसी मुल्क के रहने वाले हैं।’
स्टूडेंट लीडर ईशरजीत सिंह NSUI से जुड़े हैं। वे कहते हैं, ‘कश्मीरी स्टूडेंट्स को दोषी बताया जा रहा है। पहलगाम में जो लोग मारे गए, वे कश्मीर के मेहमान थे। और ये लोग (कश्मीरी छात्र) पंजाब में हमारे मेहमान हैं। इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है।’
ईशरजीत बताते हैं, ’25 अप्रैल को सुबह पुलिसवाले अभाया से मिलने आए थे, लेकिन FIR दर्ज नहीं की। सिर्फ इतना कहा कि किसी भी कश्मीरी छात्र के साथ बुरा बर्ताव नहीं होगा।’

ये अभाया और ईशरजीत हैं। ईशरजीत के मुताबिक, पुलिस ने अभाया के मामले में केस दर्ज नहीं किया।
मोहाली SSP दीपक पारीक दैनिक भास्कर को बताते हैं, ‘पंजाब के DIG हरचरण सिंह भुल्लर ने मोहाली में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का दौरा किया है। बाहरी छात्रों की सुरक्षा के संबंध में फैकल्टी और प्रिंसिपल से मीटिंग की हैं। कॉलेज परिसरों और हॉस्टल में और उसके आसपास PCR वाहन तैनात किए गए हैं।’
तारीख: 23 अप्रैल, 2025 जगह: अंबाला, हरियाणा ऐसा ही एक वाकया अंबाला में हुआ। यहां तीन कश्मीरी स्टूडेंट्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की। ये सभी अब कश्मीर चले गए हैं। अंबाला के रहने वाले सरवन सिंह बताते हैं, ‘मौलाना गांव रोड पर तीन कॉलेज हैं। इनमें 80 से 90 कश्मीरी छात्र पढ़ते हैं। तीन दिन पहले महर्षि मारकंडेश्वर कॉलेज के तीन बच्चे 16 किलोमीटर दूर अंबाला सिटी गए थे। वे कश्मीर में अपने घर जाना चाहते थे।’
‘उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल को कुछ लोगों ने उनके साथ हाथापाई की थी। डर की वजह से वे पुलिस स्टेशन नहीं गए। उसी दिन बजरंग दल और हिंदूवादी संगठनों ने प्रोटेस्ट किए थे। वे वापस कॉलेज चले गए। उन्होंने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया। इससे सभी स्टूडेंट डर गए। उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही थी। वे अपने घर जाना चाहते थे। जम्मू तक ले जाने के लिए कैब वाले 20 से 30 हजार ले रहे हैं। हर कोई इतना किराया नहीं दे सकता।’
‘हमें इस बारे में पता चला तो स्टूडेंट्स के लिए हमने गुरुद्वारा खोल दिया। यह गुरुद्वारा अंबाला बस स्टैंड के पास है। हमने फंसे हुए बच्चों को उनके हॉस्टल से लाने के लिए गाड़ी बुक की थी। 25 अप्रैल को 19-20 बच्चे रात में गुरुद्वारे में रहे। हमने उन्हें खाना खिलाया और सुबह उनके घर भेज दिया।’
तारीख: 23 अप्रैल, 2025 जगह: देहरादून, उत्तराखंड 22 अप्रैल की रात हिंदू रक्षा दल ने एक वीडियो जारी किया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा ने कहा, ‘कल से देहरादून में कहीं भी कश्मीरी मुसलमान दिखेगा, तो उसका इलाज किया जाएगा। सुबह 10 बजे से हिंदू रक्षा दल की टीम अलग-अलग इलाकों में जाएगी। हम अब सरकार के भरोसे नहीं बैठेंगे।’

ये हिंदू रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा हैं। उन्होंने वीडियो बनाकर कश्मीरियों को चेतावनी दी थी।
वीडियो वायरल होते ही देहरादून में रह रहे कश्मीरी स्टूडेंट डर गए। बडगाम के रहने वाले किफायत अली देहरादून में पढ़ाई कर रहे हैं। वे माया देवी यूनिवर्सिटी में बीटेक फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हैं।
अली बताते हैं, ‘वीडियो सामने आया तो स्टूडेंट पैनिक हो गए। मेरे कुछ दोस्त रात को ही एयरपोर्ट की तरफ निकल गए। मेरा रूममेट भी चला गया। उसने मुझे एयरपोर्ट से वीडियो भेजा। उसने बताया कि जिस फ्लाइट में वो था, उसमें करीब 40 स्टूडेंट थे। सभी देहरादून से कश्मीर जा रहे थे। फिलहाल यहां 10-12 कश्मीरी स्टूडेंट ही बचे हैं। मेरे दोस्त ने बताया है कि एक लड़के ने उससे कहा कि शाम तक निकलो, वरना हम हॉस्टल आएंगे।’
किफायत अली आगे कहते हैं,

डर तो लग रहा है। पुलिस स्टेशन से 24 अप्रैल को कॉल आया था। उन्होंने भरोसा दिया है कि स्टूडेंट को कुछ नहीं होगा, हम आपकी हिफाजत करेंगे। एग्जाम चल रहे हैं, वरना मैं भी कश्मीर लौट जाता।
प्रोफेसर बोले- कश्मीरी स्टूडेंट को एक जगह शिफ्ट कराया शोपियां के रहने वाले मोहसिन एक प्राइवेट कॉलेज में प्रोफेसर हैं। वे 5 साल से देहरादून में रह रहे हैं। वे बताते हैं, ’22 अप्रैल की शाम हिंदू रक्षा दल का वीडियो मेरे मोबाइल पर आया। मुझे भी डर लगा। ये वीडियो ट्विटर पर भी वायरल होने लगा। कश्मीरी स्टूडेंट दहशत में आ गए। वे मुझे कॉल कर रहे थे। सब बेचैन थे।’
‘कश्मीर से ज्यादातर स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई करने देहरादून आते हैं। हमें लगा यहां रहना सेफ नहीं है। हम 60-70 लोग एयरपोर्ट चले गए। रातभर वहीं बैठे रहे। कुछ स्टूडेंट जिनकी फैमिली अफोर्ड कर सकती थी, उन्होंने तुरंत एयरपोर्ट पहुंचकर श्रीनगर की टिकट करवा ली। वे सुबह की फ्लाइट से निकल गए। 25-26 स्टूडेंट रात से सुबह तक श्रीनगर चले गए। अभी फार्मेसी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंटस के एग्जाम चल रहे हैं। वे सुबह एयरपोर्ट से एग्जाम देने गए।’
’23 अप्रैल को एग्जाम देने के बाद स्टूडेंट कॉलेज में ही रुक गए। वे कॉलेज से बाहर निकलने में डर रहे थे। मैंने उन्हें समझाया तो शाम 6 बजे लोगों की मदद से वे पीजी जाने को तैयार हुए। कॉलेज प्रशासन से इतनी मदद मिली है कि छात्र जब तक चाहें कॉलेज में रुक सकते हैं।’
‘हर बच्चे का पीजी अलग-अलग इलाकों में है। इसलिए भी वे घर लौटने से डर रहे हैं। हम कोशिश कर रहे हैं वे साथ बाहर निकलें और साथ ही घर जाएं। बहुत दूर रह रहे स्टूडेंट्स को पास के फ्लैट्स में शिफ्ट किया है, जहां कश्मीरी स्टूडेंट रह रहे हैं। ज्यादातर स्टूडेंट एग्जाम के बाद अगले हफ्ते कश्मीर लौट जाएंगे।’
हिंदू रक्षा दल बोला- धर्म का काम कर रहे हमने वीडियो बनाने वाले हिंदू रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा से बात की। उनसे पूछा कि धमकाने वाले बयानों से क्या हासिल करना चाहते हैं? ललित कहते हैं, ‘हम धर्म का काम कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो धर्म के लिए शस्त्र भी उठाएंगे। संविधान बाद में है, पहले धर्म आता है। अगर हमारे सनातनी भाई हमारे जैसे योद्धाओं के होते हुए मारे जाएंगे, तो क्या फायदा इस जीवन का और क्या फायदा इस संविधान का।’
ललित आगे कहते हैं, ‘मेरे 26 लोग मारे जाते हैं और आप कह रहे हैं कि मैं संविधान से चलूं। मैं अपनी बात पर अब भी अडिग हूं। हिंदू रक्षा दल अपनी बात पर कायम है।’

‘मेरे लोगों को कश्मीर में सनातनी बोलकर मारा जाता है, बोला जाता है कपड़े उतारो, पैंट उतारो और मैं अपना जमीर बेचकर बैठा रहूं।
ललित शर्मा के वीडियो पर हमने देहरादून एसपी सिटी प्रमोद कुमार से बात की। वे कहते हैं, ‘ललित शर्मा के खिलाफ पटेल नगर थाने में FIR दर्ज की गई है। इसमें वैमनस्य फैलाने और दो समुदायों के बीच नफरत बढ़ाने के लिए बयान देने से जुड़ी धाराएं लगाई गई हैं।’
मुस्लिमों पर भी हमले, दुकानें तोड़ी, इलाज से मना किया
तारीख: 23 अप्रैल, 2025 जगह- अंबाला, हरियाणा 23 अप्रैल को पहलगाम हमले के विरोध में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण मंच ने अंबाला सिटी और कैंट में प्रोटेस्ट किया था। इसी दौरान कुछ लोग जुलूस निकालते हुए राय मार्केट पहुंचे। यहां हंगामा शुरू हो गया। आरोप है कि भीड़ ने मुरादाबादी चिकन कार्नर, मुरादाबादी जायका और तांगा चौक पर खान जूस कॉर्नर की दुकान बंद करा दी और तोड़फोड़ करने लगे।

अंबाला में प्रोटेस्ट के दौरान मुस्लिमों की दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी। इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया गया है।
भीड़ ने शमा नगर में जूस की रेहड़ियां पलट दीं। हालांकि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात संभाल लिए। इस मामले में पुलिस को शिकायत नहीं मिली है। दैनिक भास्कर ने दुकानदारों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे डरे हुए हैं। उन्हें डर है कि इससे कारोबार पर असर पड़ सकता है।
रेस्टोरेंट मालिक रफूक बताते हैं, ‘कुछ लोगों ने मेरा ढाबा तोड़ दिया। मुझे 20 हजार का नुकसान हुआ है। मैं तो अपना काम कर रहा था। कुछ लोग आए और तोड़फोड़ करने लगे। गल्ले से पैसे निकाल लिए। मुझे भी बहुत मारा।’
इस मामले में पुलिस ने कहा कि हमें प्रदर्शन की खबर मिली थी। लोगों में गुस्सा था। वे दुकानें बंद करवाना चाह रहे थे। प्रशासन ने समझाकर उन्हें लौटा दिया।

तोड़फोड़ के दौरान पहुंची पुलिस ने हालात संभाल लिए। उसने भीड़ को दुकानों के सामने से हटा दिया।
तारीख: 24 अप्रैल, 2025 जगह: आगरा, यूपी पहलगाम हमले के 24 घंटे ही बीते थे। 25 साल के मोहम्मद गुलफाम शाहिद अली रात में रेस्टोरेंट बंद करने की तैयारी कर रहे थे। तभी तीन लोग बाइक से आए और गुलफाम को गोली मार दी। उस वक्त गुलफाम का भाई सैफ भी वहीं था। मर्डर के एक दिन बाद क्षत्रिय गौ रक्षा दल के नाम से एक वीडियो जारी किया गया। इसमें दो लड़के कहते हैं, ‘कश्मीर में मारे गए 26 हिंदुओं का बदला 2600 मुसलमानों से लेंगे।’
सैफ ने वीडियो में दिख रहे एक शख्स को पहचाना है। वो गुलफाम की हत्या में शामिल था। इस मामले में ताजगंज थाने में केस दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों और गुलफाम के बीच पुराना विवाद था। हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला वीडियो हटा दिया गया है। वीडियो बनाने का मकसद पुलिस को गुमराह करना था।
तारीख: 25 अप्रैल, 2025 जगह: हाथरस यूपी यूपी के हाथरस में एक मंदिर में काम कर रहे दो मुस्लिम मजदूरों को निकाल दिया गया। घटना हाथरस के सर्कुलर रोड इलाके की है। 24 अप्रैल को बल्केश्वर महादेव मंदिर में रेनोवेशन का काम चल रहा था। यहां शाहिद और हारुन काम कर रहे थे। तभी हिंदू समुदाय के कुछ लोग आए और शाहिद से नाम पूछा। फिर बोले– पहलगाम हमले में हिंदुओं को पहचान करके मारा गया है, इसलिए हम तुम्हें काम से हटा रहे हैं।
प्रवीण वार्ष्णेय नाम के शख्स ने सोशल मीडिया हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। प्रवीण मंदिर के ट्रस्टी हैं और खुद भी मौके पर थे। वीडियो में लोग कहते हैं, ‘हम अपने मंदिर में तुमसे काम नहीं करवाएंगे। तुम्हारा बहिष्कार कर रहे हैं। पूरा इस्लाम हमारे सनातन को टारगेट कर रहा है।’
इस पर शाहिद जवाब देते हैं, ‘आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। जरूरी नहीं है कि आतंकवादी मुस्लिम ही हों। जो भी ऐसा कर रहा है, गलत है।’ इसके बावजूद लोग उनसे काम बंद करने को कहते हैं। वीडियो में शाहिद अपना सामान समेटते नजर आते हैं।

ये शाहिद है। लोगों के विरोध के बाद शाहिद को काम बंद करना पड़ा।
हमने वीडियो शेयर करने वाले प्रवीण कुमार से बात की। वे हाथरस के रहने वाले हैं और पेशे से कारोबारी हैं। प्रवीण कहते हैं, ‘हमने कोई बदतमीजी नहीं की। हमने बहिष्कार इसलिए किया कि उस समाज के लोग भी इस घटना का विरोध करे। इंतेजामिया कमेटी ने शहर में जुलूस निकाला और पुतला फूंका। हमारा मकसद यही था कि मुस्लिम समाज भी सड़कों पर आए। हम नफरत नहीं फैला रहे हैं।’
हमने हाथरस SP चिरंजीव नाथ सिन्हा से पूछा कि पुलिस ने इस घटना पर कोई एक्शन लिया है या नहीं? खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं मिला।
तारीख: 25 अप्रैल, 2025 जगह: कोलकाता, पश्चिम बंगाल 24 अप्रैल को महफूजा खातून की प्रेग्नेंट बहन ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर के पास गई थीं। महफूजा बताती हैं, ‘बहन सात महीने की प्रेग्नेंट है। वो सोसाइटी में रहने वाले डॉ. सीके सरकार के पास गई थी। उस दिन मेरी बहन अस्पताल नहीं जा पाई, इसलिए डॉक्टर ने उसे घर ही बुला लिया। वो छोटी बेटी के साथ उनके यहां गई थी।
डॉक्टर बहन का पूरा नाम नहीं जानती थी। उन्हें पता चला कि मेरी बहन नाम के आगे खातून लिखती है। वो समझी हम बंगाली मुस्लिम हैं। डॉक्टर ने मेरी बहन से बोला कि अब मैं किसी मुस्लिम का इलाज नहीं करती। तुम लोग अनपढ़ और खूनी हो। तुम लोग मेरे धर्म के लोगों को मार रहे हो। आतंकवादी हो। इसके बाद मेरी बहन घर आ गई।’
महफूजा आगे बताती हैं, ‘मेरी बहन ने शाम को डॉक्टर को कॉल कर कहा कि जो उन्होंने कहा है, वो गलत है। हमारे पास कॉल की रिकॉर्डिंग भी है। कॉल पर भी सीके सरकार ने कहा कि तुम हत्यारे हो। कश्मीर में जैसे हिंदुओं को मारा गया वैसे ही तुम्हारे पति को भी मार देना चाहिए। तब तुम हिंदुओं का दर्द समझोगे।’
दैनिक भास्कर ने इस मामले में डॉ. सीके सरकार से भी बात की। वे कहती हैं, ‘मैं अपनी हाउस हेल्प से पहलगाम में हुई घटना के बारे में बात कर रही थी। मैंने कभी सांप्रदायिक टिप्पणी नहीं की। मेरे कई मरीज मुस्लिम हैं। मैंने उसे ऐसा नहीं बोला कि मैं मुस्लिम का इलाज नहीं करूंगी। मुझे नहीं पता वो मुझे क्यों परेशान कर रहे हैं। मैं उनके खिलाफ केस करूंगी।’
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे बोले- मार्केट जाएं तो दुकानदार से धर्म पूछें महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने हिंदुओं को सलाह दी है कि खरीदारी करने जाएं, तो पहले दुकानदार का धर्म पूछें। फिर भी लगे कि दुकानदार झूठ बोल रहा है तो उससे हनुमान चालीसा सुनाने के लिए कहें। 25 अप्रैल को रत्नागिरी के दपोली में राणे ने कहा कि हमें मारने से पहले उन्होंने धर्म पूछा। आपको भी कुछ खरीदने से पहले धर्म पूछना चाहिए।
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1. तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी, लश्कर का आतंकी मास्टरमाइंड

सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पहलगाम अटैक के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि इस हमले का मास्टर माइंड लश्कर-ए तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। पढ़िए पूरी खबर…
2. नाम पूछकर हिंदुओं को गोली मारी, कौन है पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला TRF

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। आतंकियों ने टूरिस्ट से नाम पूछने के बाद उन्हें गोली मारी। ये हमला बीते 6 साल में कश्मीर में सबसे बड़ा टेररिस्ट अटैक है। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों के हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। TRF का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है। श्रीनगर में पैदा हुआ शेख सज्जाद अभी पाकिस्तान में है। पढ़ें पूरी खबर..