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बेहतर हो रही है शादी की सजावट -बाराबंकी समाचार


शादी की सजावट में सुधार हो रहा है

शहर बाजार में सहालग को लेकर साजी फर्मी फूलों की दुकान। -संवाद

शेष। सहालग के सजावटी सामान के बाजार में है ताला। थीम आधारित सजावट की मांग ने बाजार में चमक-दमक बढ़ा दी है। डेकोरेशन में रॉकेट पर रॉयल, बोटेनिकल गार्डन और वेस्ट इंडीज थीम की धूम है। विवाह की रैलियों में अब परंपरा, ग्लैमर और फैशन का अनोखा संगम दिखाई देता है। लीग से लेकर फेयर तक नाटकीय ट्रेंड के साथ परंपराएं और भी फल-फूल रही हैं।

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बचपन की बत्तियाँ आज भी वही हैं जो पहले थीं। बदला है तो सिर्फ उन्हें किरदार का रास्ता बताएं। प्रतिभा को अभिनय में भी आधुनिकता नजर आने लगी है। हल्दी हो या ड्रैगन या फिर जयमाल कार्यक्रम, सभी में फैशन और स्वाद का पैगाम है। साज़िशों से पहले भी भरपूर मनोरंजन और उत्साह के साथ पूरी तरह जा रही हैं।

लोन व लॉज एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद सबा ने बताया कि राजसी थीम विथ मशाल, पालकी व लोटस थीम आदि की घोषणा सबसे अधिक है। डेकोरेशन लेआउट का आधार तैयार किया जाता है। कैंडल लाइट्स और फेयरी लाइट्स से सजावट का अनोखा लुक तैयार किया गया है।

आर्टिफ़िशियल फूलों के निर्माता जाबिर ने बताया कि फूलों की कीमत तो है लेकिन बाज़ार में कम नहीं है। कलात्मक फूल बजट और स्थिरता के कारण खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।

सगाई से विदाई तक की सुई दे रहे इवेंट

निजी समय के दौर में सहलग में प्लानर एलिगेशन से लेकर फेयरवेल तक की दुआएं दे रहे हैं। आधिपत्य काउंटर, होम डोकेरेशन, लंका, हल्दी, ग्वालों-डुल्हन इंट्री आदि की व्यवस्था तक इवेंट प्लानर हैं। इवेंट प्लानर आस्क रस्तोगी के अनुसार हर इवेंट का बजट अलग होता है। छोटी-दुल्हन की इंट्री अलग-अलग थीम की होती है। इस समय पालकी पर होके सवार चली रे… गीत संगीत पालकी थीम की बहुत मांग है।

परंपरा और आधुनिकता का मेल

जहां पहले तेल व मनन आदि परंपराएं प्रमुख थीं, वहीं अब हल्दी, तेल और वरमाला की लक्जरी और नए रुझानों के साथ पूरी तरह से मौजूद हैं। हल्दी कार्यक्रम में पाली तो बैंगन में बैंगन रंग के कपड़े संग आधुनिक सजावट और अनुठे आयोजनों का समावेश देखने को मिलता है। निजी समय के साथ-साथ त्योहारों में आधुनिकता को शामिल किया गया है जिसमें सेरेमनी का मेल दिखता है।



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