दलाल पत्रकारों की वजह से बदनाम हो रहा है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ- पत्रकारिता में कुछ तथाकथित पत्रकार कर रहे चाटुकारिता
संपादकीय-राघवेन्द्र मिश्रा naradsamvad.in
सोशल मीडिया की बढ़ रही लोकप्रियता में दलाल किस्म के पत्रकारों में होड़ मची हुई है जहां पूर्व में सरकार बनाने को लेकर और जन जन की आवाज को सरकार तक पहुंचाने को लेकर एक प्लेटफार्म को बनाया गया था जिसे नाम दिया गया था डिजिटल मीडिया जब से ये डिजिटल मीडिया लांच हो गया है शोशल मीडिया आने से युवा पत्रकारों ने इस प्लेटफार्म को पकड़कर आमजनमानस की समस्याओं को प्रशासनिक अधिकारियों और सरकारों तक पहुंचाने का कार्य किया है दूसरी तरफ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बदनाम कर रहे कुछ तथाकथित पत्रकारों की दलाली बंद होने के बाद उनमें निराशा छाई हुई है सोशल मीडिया को कभी बन्द और वैन करने की बात करते हैं, तो कई बार फर्जी खबरों की अफवाह फैलाने की बात कही जा रही है जिस लोकतंत्र में सोशल मीडिया ही आम जनमानस का मुद्दा बना हो वहाँ तथाकथित चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों का आंकलन करना बहुत ही सरल है आज के युग में सोशल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता से तथाकथित पत्रकारों की दलाली बंद हो रही है जिससे दलाल पत्रकारों में खलबली मची हुई है,कहीं पर तो दलाल पत्रकार नेता जी की वाह वाह करने के लिए खबर छाप देते हैं लेकिन जब नेताओ द्वारा विज्ञापन नही मिलता है तब वह पत्रकार अपना दलाली वाला चेहरा साफ साफ दिखा देते हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बदनाम करने में ये बड़े बड़े बहुरूपिया और दलाल किस्म के पत्रकारों का अहम रोल निभाते हैं ऐसे में आम जन मानस को भी सच्चाई की खबरों से गुमराह होना पड़ता है। और दलालों द्वारा फ़र्ज़ी खबरें दिखाकर भ्रमित किया जा रहा है। आज कल के युग मे सभी स्वतंत्र नागरिक शोशल मीडिया का उपयोग कर भ्रस्टाचार पर लगाम लगा रहे हैं ऐसे में कुछ तथाकथित दलाल किस्म के पत्रकारों द्वारा लगातार शोशल मीडिया को बदनाम किया जा रहा है ,जबकि शोशल मीडिया के दौर में बड़े बड़े वैनरों के संस्करण में प्रकाशित खबरों की कटिंग शोशल मीडिया के फेसबुक और व्हाट्सएप्प जैसे प्लेटफार्म पर देखने को मिलती है।इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए दलाली मीडिया से बच के रहने के लिए प्रेरित किया जाना एक जनहित के विषय कहलाता है।यह लेख एक काल्पनिक कृत्यों के विचार पर प्रकाशित किया है लेखक का मानना है किसी को क्षति पहुंचाने के लिए यह लेख नही लिखा गया है,जमीनी हकीकत में गिरते हुए पत्रकारिता के स्तर पर विचाराधीन लेख है।