रिपोर्ट:कृष्ण कुमार शुक्ल/विवेक शुक्ल
उत्तरप्रदेश बाराबंकी:देश भर में चल रही वैश्विक महामारी से बचाव करने के लिए सभी यातायात के संसाधनो सहित रेल सेवाये बंद कर दी गयी थी।लेकिन कोरोना का प्रकोप कम पड़ जाने से अन्य सेवाये तो सुचारु रुप से शुरु हो गयी मगर गरीबो को राहत देने वाली पैसेन्जर सेवा शुरु न हो सकी।जिसके चलते बुढ़वल गोण्डा गोरखपुर से लखनऊ सीतापुर आदि जनपदो को आने जाने वाले गरीबो के चेहरो पर मायूसी की लकीरे गहरी होती जा रही है।जागरुक जनो ने छोटे लोगो के हित मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एंव सूबे के मुखिया आदित्यनाथ योगी से इस अहम मुद्दे पर गौर फरमाये जाने की माँग की है।मालूम हो कि गोरखपुर लखनऊ सीतापुर की ओर आवागमन करने वाले यात्रियो की सुबह शाम दोपहर हर समय बुढ़वल रेलवे स्टेशन पर भीड़ जमा रहती थी।जिसके सहारे तमाम रिक्शा चौपहिया वाहनो का रोजगार लगा रहता था।बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशन पर दुकानदारो की विक्री भी होती थी।अब यह सब न के बराबर है।एक्सप्रेश गाड़ियां आई और निकल गयी।इस रेल लाईन के मध्य कुल कितने स्टेशन है और रोजगार से जुड़े कितने लोग बेरोजगार हो गये यह आवाज और उसकी पीड़ा पर केन्द्र सरकार को संज्ञान लेना चाहिये।बताते चले लखनऊ गोंडा के मध्य बाराबंकी जँहगीरा बाद रफ़ीनगर बिंदौरा बुढ़वल, सहित गोंडा गोरखपुर तक आने जाने वाली पेसेंजर ट्रेनो का संचालन अभी भी शुरू नही किया गया है। जिसके चलते ग्रामीणों क्षेत्रों और कस्बो के अधिकांश मजदूर अपनी रोजी रोटी के लिये बाराबंकी लखनऊ आदि शहरो को मजदूरी करने दिन प्रति दिन आते जाते है।जिनकी समस्या गंभीर अभी बनी हुई है।गरीब मजदूर यात्रियो के लिये जो सस्ता अवागमंन पेसेंजर ट्रेन ही एक मात्र साधन था।वह अभी ग्रहण के दौर मे है।क्षेत्रीय लोगों की माने तो ट्रेनो का संचालन न होने से मजदूर कुली रिक्शा चालक आस पास छोटे दुकान दारो की रोजी रोटी पर भी ग्रहण लगा हुआ है।अब बढ़ती हुई मँहगाई के चलते सरकारी बस व प्राइवेट वाहनों का किराया महंगा होने से गरीब जनता को यात्रा करने में काफी दुश्वारियो का सामना करना पड़ रहा है।आठ दस हजार रुपयो पर नौकरी करने वाले दैनिक मजदूरो का आधा वेतन आवागमन मे खर्च हो रहा है। पीड़ित तथा क्षेत्र के जागरुक जनो ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि लखनऊ गोंडा गोरखपुर पैसेंजर रेलगाड़ी का संचालन अति शीघ्र शुरु कराया जाय जिससे बड़ी संख्या मे लोगो को राहत मिल सके।